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सूरज
साल की आखिरी बारिश के साथ ये साल भी चला गया ©सूरज #बारिश के साथ साल भी चला गया।
#बारिश के साथ साल भी चला गया।
read moreKiran Chaudhary
ये एक आखिरी खत होगा तो मैं तुम्हारे नाम लिख रही हूं, कहना तो बहुत कुछ है मगर कलम ने भी मेरा साथ छोड़ दिया है। ©Kiran Chaudhary कलम ने भी मेरा साथ छोड़ दिया है।।
कलम ने भी मेरा साथ छोड़ दिया है।।
read moreनवनीत ठाकुर
White जब तक न थी तन्हाई की ये गहरी रात अंधेरी , तब तक किसी ने महसूस किया नहीं, कि दोस्त अब दूर जाने गए। दूरियों ने दिल को तोड़ा, फिर भी चुप रहे हम, कभी खुद से भी ज्यादा, हम उनसे दूर जाने गए। वो दिन भी आए जब रिश्तों के मायने बदल गए, और अब उनकी यादें भी, हमसे दूर जाने गए। अब तन्हाई में बसा है, सिर्फ उनका नाम, जो कभी हमारे पास थे, अब वो दूर जाने गए। अब न कोई साया है, न कोई अपना लगता है, गुज़रते वक्त के साथ, दोस्त दूर जाने गए। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर जब तक न थी तन्हाई की ये गहरी अंधेरी रात, तब तक किसी ने नहीं महसूस किया, कि दोस्त दूर जाने गए। दूरियों ने दिल को तोड़ा, फिर भी
#नवनीतठाकुर जब तक न थी तन्हाई की ये गहरी अंधेरी रात, तब तक किसी ने नहीं महसूस किया, कि दोस्त दूर जाने गए। दूरियों ने दिल को तोड़ा, फिर भी
read moreKK क्षत्राणी
बच्चों का साथ सुकून भरा होता है जब तक वो मासूम होते हैं दिल भी उनको देख कर झूम लेता है...
read moreRakesh frnds4ever
White जब जब भी या जब कभी भी जरूरत थी मुझे ,, तब तो किसी ने कुछ भी मेरे लिए जरूरी समझा नहीं!!!!:::: अब जब की कुछ भी जरूरी नहीं रहा मेरे लिए ,,तो,,फिर किसी की भी या कुछ भी जरूरी क्या है मेरे लिए!!???!!! _________ ©Rakesh frnds4ever #जब जब भी या जब #कभी भी #जरूरत थी #मुझे ,, तब तो किसी ने कुछ भी मेरे लिए #जरूरी समझा नहीं!!!!:::::: अब जब की #कुछ_भी जरूरी नहीं रहा #मे
नवनीत ठाकुर
पिता की यादों में है वो ख़ामोश रहमत, उनके लफ़्ज़ों में आज भी वफ़ा का पैग़ाम बाकी है। हर मुश्किल घड़ी में वो हौसला बनकर आते हैं, वो दुनिया से रुख़्सत हुए, पर उनका असर बाकी है। वो चले गए, छोड़ गए ज़िंदगी की तालीम, उनके नक्श-ए-राह पर हर कदम का निशां बाकी है। जब भी टूटता हूँ सफर की ठोकरों में कहीं, उठाने को आज भी उनका अरमां बाकी है। पिता का साया आज भी है मेरे साथ यूं, उनकी दुआओं का साया हर राह पे बाकी है। चले गए वो फलक के सफर पर दूर कहीं, पर उनकी मौजूदगी का एहसास हर सांस में बाकी है। वो जुदा हुए, पर छोड़ गए अनमोल ख़ज़ाना, यादों में बसा है महकता उनका गुलिस्तां बाकी है। अब वो सितारा बनकर आसमां में रोशन हैं, उनकी रौशनी से मेरी हर रात और सुबह बाकी है। जैसे अंधेरों में चिराग़ की लौ जलती है, वैसे ही उनकी यादों का उजाला हर लम्हा बाकी है। इस फानी दुनिया से वो चले गए हैं भले, मगर मेरे दिल में वो जिंदा हैं, उनका हर वो लम्हा बाकी है। ©नवनीत ठाकुर #पिता का साया
#पिता का साया
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