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Sunita Shanoo
हजारों सवाल हैं जीवन में जवाब एक भी नहीं... जवाब अगर है भी तो मन सुनने को तैयार नही... मैं मन को मना भी लूं तो मन ही मन में मन मर जाये... मन को हराकर भला हुआ है किसी का? कासे कहें
Naveen kabir
कासे कहूं.... कासे कहूं अपनी बतीयां कासे कहूं... झूठे लोग, झूठी दुनियां कासे कहूं.. जीत देखूं तू ही तू है,जब भी करूं बातीयां रब की... कासे कहूं.. सारा जग है एक तमाशा,फिर भी करूं बतीयां जग की... कासे कहूं.. गुम हो गए दुनियां की भीड़ में, ढूंढता फिरुं खुद को... कासे कहूं.. जब भी आए याद तू मुझको, नैनन बहे अंसूवा दिस भर... कासे कहूं.. नवीन ' कबीर ' ©Naveen Kr कासे कहूं... #Life
Venus Sharma
तेरे मन पहुंची नहीं ,मेरे मन की बात नाहक हमने थे लिए, साजन फेरे सात कासे कहूँ मन की बात
Shashi Bhushan Mishra
कासे कहूँ मैं बात जिया की, निंदिया नदारद याद पिया की, रात निगोरी बैरन मोरी, दर्द बढाए मोरे हिया की, तड़पे जल बिन ऐसे मछली, राम बिना जो हाल सिया की, विचलित मन बेचैन फिरत हैं, मिलनातुर है शलभ दिया की, बरसे लोर कोर दृग सूजत, देत गवाही नित तकिया की, हृदय पुकार पुकार बुलावे, चैन न आबत दिन रतिया की, 'गुंजन' मन में कृष्ण बिराजे, खेलत फाग रंग रसिया की, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #कासे कहूँ मैं बात जिया की#
Satish Chand SHARMA
मुझे इंतजार है, किसी का❗ कि जो मुझे पहचान लेगा!🙋♀️ कि जो मुझे दिल से जान लेगा!♥️ कि मैं उसी के लिए बनी हूं!♥️ और वह मेरे लिए!♥️♥️ और हम दोनों एक दूजे के लिए!💏 ©Satish Chand SHARMA कासे कहूं! कि मुझे किसी का इंतजार!
Nishaaj
जिन्दगी के कासे में सारे सिक्के अपनी मर्जी के नही गिरते हम कितनी ही मन्नतो के दिये जला ले वक्त अपनी मर्जी की चाल चलता है ©Nishaaj जिन्दगी के कासे में सारे सिक्के अपनी मर्जी के नही गिरते हम कितनी ही मन्नतो के दिये जला ले वक्त अपनी मर्जी की चाल चलता है
Atul Sharma
*📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“10/11/2021”*📝 ✨ *“बुधवार”*🌟 “संसार” के सबसे “कठोर धातु” में से एक है “लोहा”, “लोहे” से हम “अस्त्र-शस्त्र” प्राप्त कर सकते है, “अनेक वस्तुएं” प्राप्त कर सकते है, अब इस “लोहे” को प्राप्त करने के लिए, इस “लोहे” को प्राप्त करने के लिए किसका उपयोग किया जाता है ? “लोहे” का ही...ये बात हम सभी जानते है कि “लोहे” से ही “लोहे को काटा” जाता है, इसके आगे एक बहुत बड़ा “प्रश्न” आ जाता है, जो बहुत बड़ी “सीख” दे जाता है,ऐसा क्यों होता है ? कि हम “लोहे” से ही “प्रहार” कर रहे है “लोहे” पर किन्तु जिस “लोहे से प्रहार” कर रहे है उस “लोहे का आकार” नहीं बदल रहा, जिस पर “प्रहार” कर रहे है उस “लोहे का आकार” बदल रहा है, इसमें “अंतर” क्या है...इसमें अंतर है “तापमान” का,जिस “लोहे” को हमें बढ़ाना है और “काटना” है उस “लोहे को गर्म” किया जाता है और जिस “लोहे” से हमें “प्रहार” करना है उस “लोहे को ठंडा” रखा जाता है, अर्थात “ठंडा” लोहा “गर्म” लोहे को काटता है,अब देखिए हमारे “जीवन” में भी “समस्याएं” भी आती है हमें इस बात पर ध्यान रखना चाहिए कि हमें हमारे मन को “शांत” रखना है यदि हम “क्रोध” और “ईष्र्या” की “अग्नि” में जलते रहें,“द्वेष की अग्नि” में जलते है तो हम भी उस “लोहे की भांति” हो जाएंगे जिसका “तापमान” कई अधिक है,तब कोई भी आके हमें “क्षति” पहुंचा सकता है,याद रखिए जिसकी सबसे अधिक “स्थिर बुद्धि” है,जो सबसे “शांत व्यक्ति” है वो सबसे अधिक “बलशाली” है... *“अतुल शर्मा”🖋️📝* ©Atul Sharma *📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“10/11/2021”*📝 ✨ *“बुधवार”*🌟 *#“कठोर धातु”* *#“लोहा”*
Kailash Kumar
🌺फूलों में गुलाब 🌹 🥂नशे मे शराब 👏प्रोग्राम में ताली मजाक में साली धातु मे सोना दु:ख में रोना😭😭 प्यार में घम और ♥️आपके दिल में है हम