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Stories related to गईं

sanatani vikram ji

#Sad_Status धुंधली यादें साथ रह गईं😞🥺🥀

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White ट्रेन की खिड़की से आँसू गिर रहे थे,
बीते वादों के टुकड़े बिखर रहे थे।
वो लड़की खामोश थी, दर्द कह न पाई,
नज़रें झुकी थीं, पर आँखें सब सुनाई।
लड़का बस दूर खड़ा देखता रह गया,
दिल रोया बहुत, पर कुछ कह न सका।
स्टेशन पीछे छूटता चला गया,
एक प्यार था, जो रूठता चला गया।
अब सिर्फ धुंधली यादें साथ रह गईं,
वो ट्रेन चली गई… और मोहब्बत वहीं रह गई…
😞🥺🥀

©sanatani vikram ji #Sad_Status धुंधली यादें साथ रह गईं😞🥺🥀

dilkibaatwithamit

दिल है उसी के पास,हैं साँसें उसी के पास देखा उसे तो रह गईं आँखें उसी के पास.. बुझने से जिस चराग़ ने इन्कार कर दिया चक्कर लगा रही हैं हवाएँ

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White दिल है उसी के पास,हैं साँसें उसी के पास
देखा उसे तो रह गईं आँखें उसी के पास..

बुझने से जिस चराग़ ने इन्कार कर दिया
चक्कर लगा रही हैं हवाएँ उसी के पास.......✍️

©dilkibaatwithamit
  दिल है उसी के पास,हैं साँसें उसी के पास
देखा उसे तो रह गईं आँखें उसी के पास..

बुझने से जिस चराग़ ने इन्कार कर दिया
चक्कर लगा रही हैं हवाएँ

Anjali Singhal

#IndianRepublic Happy Republic Day 🇮🇳 #RepublicDay #26January #गणतंत्रदिवस #India #bharat "देश को आज़ाद कराने का था सबका अपना अपना प्रय

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"देश को आज़ाद कराने का था सबका अपना अपना प्रयत्न,
भड़की चिंगारियाँ दी गईं कुर्बानियाँ लाने देश में लोकतंत्र।

अब न हो कोई छल-कपट, न रचा जाए कोई षड्यंत्र,
इसलिए 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया हमारा गणतंत्र।।"

©Anjali Singhal #IndianRepublic 

Happy Republic Day 🇮🇳 #republicday #26january #गणतंत्रदिवस #india #bharat 


"देश को आज़ाद कराने का था सबका अपना अपना प्रय

Anjali Singhal

#sad_shayari "राह तकते-तकते उनकी, जब सदियां बीत गईं इंतज़ार की; बेदखल करके इंतज़ार उनका, एहसासों में उम्र गुज़ार ली।" #AnjaliSinghal sha

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White "राह तकते-तकते उनकी,
जब सदियां बीत गईं इंतज़ार की;
बेदखल करके इंतज़ार उनका,
एहसासों में उम्र गुज़ार ली।"

©Anjali Singhal #sad_shayari 

"राह तकते-तकते उनकी,
जब सदियां बीत गईं इंतज़ार की;
बेदखल करके इंतज़ार उनका,
एहसासों में उम्र गुज़ार ली।"

#AnjaliSinghal #sha

theABHAYSINGH_BIPIN

#good_night ज़िंदगी में आज़माइश तो होगी, ज़िंदगी से फरमाइश तो होगी। अगर न मिले चाहत के मोती, तो ज़िंदगी से शिकायत तो होगी। कैसे करूँ मैं

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White ज़िंदगी में आज़माइश तो होगी,
ज़िंदगी से फरमाइश तो होगी।
अगर न मिले चाहत के मोती,
तो ज़िंदगी से शिकायत तो होगी।

कैसे करूँ मैं प्यार की नुमाइश,
अंत तक ख़्वाहिश तो होगी।
हाथ थामे रखना, जब तक जान है,
छोड़ते वक्त, इतनी गुज़ारिश तो होगी।

यह दुनिया की रीतें खोखली हो गईं,
मोहब्बत में मुझको रियायत तो होगी।
जिगर को कैसे दबाकर बैठा हूँ,
लग जा गले से, ख़्वाहिश तो होगी।

©theABHAYSINGH_BIPIN #good_night 

ज़िंदगी में आज़माइश तो होगी,
ज़िंदगी से फरमाइश तो होगी।
अगर न मिले चाहत के मोती,
तो ज़िंदगी से शिकायत तो होगी।

कैसे करूँ मैं

theABHAYSINGH_BIPIN

#GoodNight इश्क़ ए ज़ज़्बात इश्क़ - ए ज़ज़्बात कभी छुपाया नहीं, हाल- ए - दिल उसे कभी बताया नहीं। कैसे बयाँ करता इस इश्क़ की नादानी, ए इश्

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White इश्क़ ए ज़ज़्बात

इश्क़ - ए ज़ज़्बात कभी छुपाया नहीं,
हाल- ए - दिल उसे कभी बताया नहीं।
कैसे बयाँ करता इस इश्क़ की नादानी,
ए इश्क़ के गलियारें कभी भाया नहीं।

मैंने याद बहुत किया उन हसीं लम्हों को,
बीत गया सावन वो वापस आया नहीं।
सुख गईं आँखें मेरी अच्छे की आस में,
पर ख़्वाब हक़ीकत में कभी आया नहीं।

कितना अजीज़ शख़्स था मेरे दिल को,
जो इश्क़ ए ज़मीं पर कभी आया नहीं।
अभय, इंतेज़ार की ये घड़ियाँ गवाह हैं,
ना आने का कारण कभी बताया नहीं।

©theABHAYSINGH_BIPIN #GoodNight 

इश्क़ ए ज़ज़्बात

इश्क़ - ए ज़ज़्बात कभी छुपाया नहीं,
हाल- ए - दिल उसे कभी बताया नहीं।
कैसे बयाँ करता इस इश्क़ की नादानी,
ए इश्

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर दिन थे जब ख्वाबों को सिर्फ आँखों में पलते थे, अब हकीकत में मिले तो कुछ अधूरी सी लगती है। मुफलिसी की रातें थीं जैसे स्याह अंधेर

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दिन थे जब ख्वाबों को सिर्फ आँखों में पलते थे,
अब हकीकत में मिले तो कुछ अधूरी सी लगती है।

मुफलिसी की रातें थीं जैसे स्याह अंधेरे,
अब ये रौशनी भी कुछ धुंधली सी लगती है।

कभी जो  जुदा हो गईं थीं तमन्नाएँ ए नवनीत,
अब वो पूरी हुईं तो कुछ अधुरी सी लगती है।

मंज़िल तक पहुँचने की ख़ुशी भी अब ग़म के साए में,
अब ये बहार भी कुछ कटीली सी लगती है।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
दिन थे जब ख्वाबों को सिर्फ आँखों में पलते थे,
अब हकीकत में मिले तो कुछ अधूरी सी लगती है।

मुफलिसी की रातें थीं जैसे स्याह अंधेर

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर लफ़्ज़ दिल में थे, वो कागज़ पे आ न सके, ख़ामोशी में ही दबी सारी कहानी हो गईं। शाम-ए-ग़म में जलाए थे जो उम्मीद के चराग़, वो भी

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Unsplash लफ़्ज़ दिल में थे, वो कागज़ पे आ न सके,
ख़ामोशी में ही दबी सारी कहानी हो गईं।

शाम-ए-ग़म में जलाए थे जो उम्मीद के चराग़,
वो भी बुझते-बुझते बस एक निशानी हो गईं।

इश्क़ में लिखते रहे हम हज़ारों किस्से,
मगर सच्चाई में वो सब बेमानी हो गईं।

वो कसमें, वो वादे, वो लम्हों की गहराइयाँ,
अब किताबों की तरह बंद कहानी हो गईं।

जो हमने देखा था कभी चाँद की रोशनी में,
वो उम्मीदें भी अब धुंधली कहानी हो गईं।

जिनसे रोशन था कभी हर एक कोना-ए-दिल,
वो रोशनी भी अंधेरों की मेहरबानी हो गईं।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
लफ़्ज़ दिल में थे, वो कागज़ पे आ न सके,
ख़ामोशी में ही दबी सारी कहानी हो गईं।

शाम-ए-ग़म में जलाए थे जो उम्मीद के चराग़,
वो भी

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर गुफ़्तगू थी जिनसे, अब खामोशियाँ हैं बाकी, साथ जो चलते थे, वो कारवां ठिकाने गए। नक़ाबों के पीछे छुपी थी जो असलियत, मगर इतना त

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White  गुफ़्तगू थी जिनसे, अब खामोशियाँ हैं बाकी,
साथ जो चलते थे, वो कारवां ठिकाने गए।

नक़ाबों के पीछे छुपी थी जो असलियत,
मगर इतना तो हुआ, कुछ चेहरे पहचानने गए।

इक हल्की सी लहर ने सारा दरिया हिला दिया,
वक्त की शिद्दत से कुछ अरमाँ तक उड़ने गए।

जो साथ थे कभी, अब दिलों में दूरियाँ बन गईं,
लेकिन उन दूरियों से कुछ रिश्ते नया रंग लेने गए।

अल्फाज़ वो जो कभी मुस्कान से बयाँ होते थे,
वो अब चुप्पियों में छुप कर रह जाने गए।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
  गुफ़्तगू थी जिनसे, अब खामोशियाँ हैं बाकी,
साथ जो चलते थे, वो कारवां ठिकाने गए।

नक़ाबों के पीछे छुपी थी जो असलियत,
मगर इतना त
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