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पथिक..
ख्वाहिशों का बाज़ार ख्वाहिशों का बाज़ार हर रोज लगता है ये और बात है की ख्वाहिशे कबूल नहीं होती, ख्वाहिश मन के भीतर ही दम तोड़ देती है,हर लम्हा एक ख्वाहिश टूट कर एक और जोड़ देती है, ख्वाहिशों का बाज़ार हर रोज लगता है............. कभी ख्वाहिश, खुद को खुशियों का संसार,मिलें कभी ख्वाहिश,की दौलत की बौछार मिलें कभी ख्वाहिश, की पद प्रतिष्ठा मिले, कभी , ख्वाहिश की मन चाहा प्यार मिले,ख्वाहिशों का में और क्या बखान करूँ, नित दिन ख्वाहिशों का नया बाजार लगे, ये और बात है की ख्वाहिशें कबूल नहीं होती. हर ख्वाहिश अधूरी रहकर पल पल मुझे चिढ़ाती है मेरी लाचारी का उपहास उडा कर, अपना बाज़ार सजाती है ©पथिक.. #बाज़ार#ए#बाज़ार
लेखक ओझा
मुंह बिचकाए बाल बिखराए भवों पर दिए तान है, कुछ झुरमुट से लटके झटके कर कमलों से काया पलटने का लिए औजार है यह हुस्न का झूठा बाज़ार है। ©लेखक ओझा हुस्न का झूठा बाज़ार है…
Santanu Jha
एक रोज़ और उसकी सिर्फ एक आहट के लिए मैंने सुभो से साम कर दी, लगत है एक बार फिर मुहबत के बाजार मे अपनी इज़्ज़त नीलाम कर दी // Ek roz aur usakI sirph ek aahat ke lie mainne subho se saam kar dee, Lagat hai ek baar phir muhabat ke baajaar mai apanee izzat neelaam kar dee // बाज़ार ए मोहबात
Hemant Bobade
कोई मुफ़्त में भी दे तो मत लेना..😏 दिल 💔 अब और भी सस्ते होंगे। #बाज़ार ए दिल
Deepa Jain
हमे उन बाजारों से भी इश्क़ है, जो Road के किनारे लगे होते हैं... क्योंकि वोह कभी अमीरी और गरीबी को नहीं दरसा ता है.. वोह प्रतीत करता है एक इंसानियत को... वो दारसा ता है मानवता को..!! ©Deepa इश्क़ ए बाज़ार
#Seema.k*_-sailent_*write@
ए हुस्न बेपरवाह तुझे रोका है किसी ने, हम यूंही बहक जाएं/ हम ऐसे तो नहीं हैं। © seema kapoor@ ए हुस्न
HASSAN SHEIKH
करे कोई किसी पर एतबार कैसे? अफ़्साने ही सही मगर करे तो कोई इज़हार कैसे..? सुना है बिक गया ख़ुद ही "हसन" बाज़ार-ए- दोर में, तो करे कोई प्यार कैसे...? -Hassan sheikh बाज़ार-ए-दौर में