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Neophyte
ना गलत देखती है ना सही देखती है मुझे जो अच्छा लगता है वो वही देखती है तुझे नज़रो की क्या जरूरत अंकेश अगर वो तुझे हर घड़ी देखती है लोग क्या कहेंगे उसकी परवाह उसे अब कहा मैं क्या कहूंगा वो यही देखती है! देखती है!
Ombir Kajal
कभी इधर देखती है, कभी उधर देखती है, तेरा हीरो यहां है पागल, तू किधर देखती है। बड़ पीपल की छांव,बाजरे की रोटी, घी दूध, बहुत मौज है गांव में, और तू शहर देखती है। हर वक्त मोबाइल में ही, घूसी रहती है तू, तेरी आंखों का पेट नहीं भरता,जो दिन भर देखती है। गांव में आ रामलीला देख, सांग देख,अच्छा लगेगा, छोड़ Mx प्लेयर पे वेब सीरीज,आठों पहर देखती है। हरे भरे खेत देखकर,आंखों की रोशनी बढ़ जाएगी, धुल जाएगा जो सुबह से शाम तक,जहर देखती है। ओमबीर काजल का हाथ पकड़,चल घर चलते हैं, मां भी ना जाने कब से, बहू की राह देखती है। ✍Ombir Kajal ©Ombir Kajal किधर देखती है
( prahlad Singh )( feeling writer)
ll पड़ कर बूंदे मिट्टी पर एक खुशबू सी महकती है उठ कर नजरे नजरों से एक जवां आसमां देखती है ll ©( prahlad Singh )( feeling writer) आसमां देखती है#truecolors
M S GUPTA
ना जान है ना पहचान है दिल में जो दर्द है वहीं अरमान हैं नैनो में सुरमा लगाने से रोशनी नहीं बढती क्यों कि ऊलू दिन में नहीं रात मे देखती हैं रात में देखती हैं
Anuj Ray
"सपने देखती है रात" कब से मिलन की सेज के, सपने देखती है रात। किस दिन सजूंगी दुल्हन, और कब आएगी बारात। किस दिन चढ़ूँगी डोली,और कब होगी उनसे मुलाकात। ©Anuj Ray सपने देखती है रात
Maroof alam
गजल किसने दस्तक दी तनहाई पलटकर देखती है मेरा किरदार मेरी रूसवाई पलटकर देखती है ये कौन पत्थर खा रहा है सरेआम जमाने के जिसे खुदा की सारी खुदाई पलटकर देखती है बे मौसम ये कौन जा रहा है गुलिस्ताँ से जिसे शाखे गुल की अंगडाई पलटकर देखती है बैबसी लाचारी के सिवा कुछ नही मिलता उसे लाख मुझे मेरी परछाईं पलटकर देखती है जाते जाते महफ़िल मे रंग भर जा 'आलम' मेरी गजल को तेरी शहनाई पलटकर देखती है मारुफ आलम तनहाई पलटकर देखती है/गजल
Arun Kumar Avi
अब साँझ सबेरे मुंडेर पर से देखना बंद हो गया मुसाफिरों का चलना हवाओं का बहना बंद हो गया शायद चाँद को अमावसया से यारी हो गया होगा तभी पूर्णिमा को भी चाँद का निकलना बंद हो गया अरुण कुमार अवि नज़र भी नज़र देखती है
IDRISI SAHAB
मोहब्बत पहले अंधी थी।अब उसने अपना ईलाज कर करवा लिया। अब मोहबब्त शक्ल,बैंक बैलेंस, और सरकारी नौकरी देखती है, ©NAWAZ AKBAR IDRISHI mohabbat अब सब देखती है #Architecture
param
वो आज भी देखती है लेकिन कहने से डरती है मेरी हर बातें वो अपने दिलों में सजा, संभाल के रखती हैं माना कि हमने गलत किया था उसके साथ पर वो हर पल आज भी कहीं ना कहीं मुझे अपने आप में देखती है मै कहता हूं थोड़ी सी बदल सी गई है लेकिन वो मानने से इंकार करती है वो आज भी देखती है लेकिन कहने से डरती है! ©param वो आज भी देखती है #CalmingNature