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वंदना ....
White प्रेम क्या होता है ..ये हम नहीं जानते जानते हैं तो बस उस इंतजार को........ दिल से लेकर आंखों तक का मिलने बिछड़ने की बातें नहीं...... बस एक झलक देखने की तमन्ना सवाल तब भी नहीं सवाल अभी नहीं बस उस नम आंखों को समझने की एक कशिश....….. दूर ही सही एहसास भरी इबादत की एक तमन्ना उस इंतजार की सिर्फ इनायत चाहिए...... सिर्फ इनायत..... ©वंदना .... #कशिश #इंतजार 🙏🤗☺️🌹🌹
Diya
White मल्हार की आवाज जब कानों में पड़ी मैं शुद्ध बुद्ध भूलाकर उससे जा लड़ी। यह भी याद नहीं रहा की कोई मेरा इंतजार कर रहा है, आँखों में सपने सजाए कोई अड़ा है। उसकी दर्द भरी आवाज सुनकर मैं सब कुछ भूल गई, किनारे जब तक कश्ती नहीं लगी तब तक मैं उसे देखती रही, जादू था या क्या था उसकी आवाज में मैं मदहोश सी हो गई। जब होश आया तो मैं दौड़ कर तेरे दर पर आ गई, तुझे ना पाकर फिर थोड़ा घबरा गई, तू ठीक तो है ना बस यह सोचने लगी। Good evening dostji🌷💐 ©Diya #Goodevening #मल्हार #डूबता #हुआ #सूरज #कश्ती #diyakikalamse❤✍🏼
dilkibaatwithamit
White तेरे बग़ैर हम भला, इन दुआओं का क्या करें ये रेशमी मौसम,मखमली बहारों का क्या करें गुमशुदा तलाश रह गई जब ये ज़िंदगी अपनी चाँदनी रात औ इन चाँद सितारों का क्या करें दिल कि,अब मरघटी विरानों में भटकता फिरे गुलशन से वास्ता क्या, गुलज़ारों का क्या करें जब ग़म ही है नसीब अपना दर्द ही मोहतरम मौसम ए खिजां है,सब्ज़ चनारों का क्या करें सिमटा हुआ मकान,और दरकी हुई दीवारें हैं बारिश से बचें कैसे, और शरारों का क्या करें डूब जाने का इरादा कर लिया फिर डर कैसा कश्ती की ज़रूरत नहीं पतवारों का क्या करें हम कोई मुंसिफ तो नहीं फैसला कर दें कोई दुनिया ही समझे ,इन गुनहगारों का क्या करें ©dilkibaatwithamit तेरे बग़ैर हम भला, इन दुआओं का क्या करें ये रेशमी मौसम,मखमली बहारों का क्या करें गुमशुदा तलाश रह गई जब ये ज़िंदगी अपनी चाँदनी रात औ इन चाँ
तेरे बग़ैर हम भला, इन दुआओं का क्या करें ये रेशमी मौसम,मखमली बहारों का क्या करें गुमशुदा तलाश रह गई जब ये ज़िंदगी अपनी चाँदनी रात औ इन चाँ
read moreKavi Himanshu Pandey
ज़िंदगी तो तकलीफ़ और संघर्षों से लबालब एक दरिया है, पर जिन्हें लगता है खौफ़ उसके किनारों से, वो कश्ती चलाना क्या जानें! ....... Er. Himanshu Pandey ©Kavi Himanshu Pandey कश्ती #beingoriginal #NojotoHindi
कश्ती #beingoriginal Hindi
read moreSatish Kumar Meena
कश्ती पतवार के बिना आगे नहीं बढ़ सकती उसी तरह कलम के बिना ज्ञान का भंडार भर नहीं सकता। ©Satish Kumar Meena कश्ती
कश्ती
read moreरिपुदमन झा 'पिनाकी'
White आजकल खुद को बहुत जकड़ा हुआ पाता हूँ मैं। बंध गया हूँ दायरे में खुल नहीं पाता हूँ मैं। हो नहीं पाता हूँ बाहर उलझनों की क़ैद से- ज़िन्दगी के साथ खुल कर रह नहीं पाता हूँ। बोझ इक मन पर लिए हर दिन जिए जाता हूँ मैं। सोच के अंधे कुंए में रोज़ खो जाता हूँ मैं। है नहीं मिलता किनारा, हल नहीं मिलता कोई- ढूंढने में ख़ुद को ख़ुद से शून्य हो जाता हूँ मैं। कशमकश से मन भरा है कुछ न कर पाता हूँ। वक्त के साँचे में क्यूँ कर ढल नहीं पाता हूँ मैं। हो रहा है जो उसे स्वीकार करता जा औ चल- सोच मत पगले अधिक मन को भी समझाता हूँ मैं। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #कशमकश
sushil dwivedi
Unsplash tere siva zindagi mai koi dooja na ho na rahe tu gar kabhi zindagi mai zinda mai na rahun khamosh ho jaaye lamha bin tere safar ye mera adhura na hon ©sushil. #leafbook {** राधा कश्यप **} Miss moni @ suman devi @ kasim ji Parul rawat
#leafbook {** राधा कश्यप **} Miss moni @ suman devi @ kasim ji Parul rawat
read moresushil dwivedi
Unsplash ढूंढती है निगाहें तुझको हर घड़ी मिला जाए जो कह दूं बात मन की पल उसी तेरे बिना जीना चाहा मगर जी न पाया लाश बन कर रह गया जनन न थीं मुझमें बाकी कहीं ©sushil. #leafbook {** राधा कश्यप **}
#leafbook {** राधा कश्यप **}
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