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Devesh Dixit
दीवार (दोहे) खड़ी हुई दीवार है, अब अपनों के बीच। रिश्ते ये ऐसे लगें, जैसे कोई कीच।। उलझन ही सुलझी नहीं, बिगड़ गये हालात। खींचा तानी ये करें, देते भी आघात।। मन मुटाव भी कम नहीं, खड़ी हुई दीवार। जंग छिड़ी है देखलो, निकल गये हथियार।। अब सबको ही चाहिए, अपना घर परिवार। एक साथ मिलकर नहीं, रहने को तैयार।। कैसी ये दीवार है, होते सब आघात। बेचैनी भी बढ़ रही, हो दिन या फिर रात।। कलयुग का ये है समय, चुभा रहे हैं शूल। अलग हुए जब से वही, तब से सब अनुकूल।। ............................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #दीवार #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry दीवार (दोहे) खड़ी हुई दीवार है, अब अपनों के बीच। रिश्ते ये ऐसे लगें, जैसे कोई कीच।। उलझन ही
Ashraf Fani【असर】
White एक अंजान सी ख़ुशबू कबसे किसी साये की सी मंडरा रही है बेकली है, बेचैनी है कबसे कोई भूली सी याद आ रही है ©Ashraf Fani【असर】 एक अंजान सी ख़ुशबू कबसे किसी साये की सी मंडरा रही है बेकली है, बेचैनी है कबसे कोई भूली सी याद आ रही है #SAD
Devesh Dixit
कविता को कविता रहने दो कविता को कविता रहने दो, विचारों को भी अब बहने दो। रोका जो उनको अब है तुमने, मुझे पीड़ा को उनकी सुनने दो। बिखर गये हैं न जाने कितने, शब्दों के वो अलंकार जितने। कागज़ भी देखो सूना पड़ा है, लगे हैं उसके अरमान रुकने। बेचैनी उसकी अब बढ़ चुकी है, देखो स्याही भी रुक चुकी है। शब्द नहीं उस पर अब बिखरे, किस्मत ही देखो थक चुकी है। कागज़ देख कब से राह निहारे, शब्दों की उस पर आए बहारें। मत उसके तुम अर्थों को बदलो, और उसमें अब बढ़ाओ दरारें। कविता को कविता रहने दो, उसको अपने में ही रहने दो। उन्मुक्त उड़ान है उसकी देखो, उसे भी तो अपनी कहने दो। ......................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #कविता_को_कविता_रहने_दो #nojotohindi #nojotohindipoetry कविता को कविता रहने दो कविता को कविता रहने दो, विचारों को भी अब बहने दो। रोका जो