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Shubham Agarwal
कैसे बताऊं मैं तुम्हें मेरे लिए तुम कौन हो ठंड में अदरक की चाय की चुस्की हो तुम वो बारिश की पहली बूंद हो तुम सुबह की पहली किरण भी तुम रात में जगमाता चाँद भी तुम मेरे दिल धड़कने का ज़रिया हो तुम मेरी नज़र से देखो तो मेरे लिए खुदा हो तुम मेरी साँसों का अर्थ हो तुम मेरी ज़िंदगी की ग़ज़ल हो तुम मेरी पानीपुरी का तीखा पानी हो तुम गुलाब जामुन के साथ की आइसक्रीम हो तुम मेरी दोस्त भी तुम मेरी हमसफर भी तुम पर...पर कैसे बताऊँ में तुम्हें मेरे लिए कौन हो तुम । -शुभम् # कुछ अटके टेढ़े मेढे ख्याल
Harsh R
अब कदम वही रोक लो , अब मुलाकात नहीं होगी , तुमने आते आते देर कर दी अब ये नदी उस सागर से कभी नही मिलेगी वो टेढ़े-मेढे मोड़ ......। 😊😊❣❣🙈🙈 #vivu #EkBihari #yqdidi #yqhindi #YourQuoteAndMine
Mukesh kumar dewangan
कोई तो बताओ, इन पहाड़ों के टेड़े – मेढे रास्तों में चलकर भी ये पहाड़ी इतना सीधा – साधा कैसे बना रह सकता है। ©Mukesh kumar dewangan #MountainPeak कोई तो बताओ, इन पहाड़ों के टेड़े – मेढे रास्तों में चलकर भी ये पहाड़ी इतना सीधा – साधा कैसे बना रह सकता है।
Harsh R
मिलने के बहाने हज़ार बनाले पर वो बात नहीं होगी अब सदिया बीत जायेगी लेकिन ये कहानी पूरी नहीं होगी वो टेढ़े-मेढे मोड़ ......। 😊😊❣❣🙈🙈 #vivu #EkBihari #yqdidi #yqhindi #YourQuoteAndMine
Sanjeet Kumar
मोहब्बत के गाड़ी में ब्रेक नहीं होती... जरा संभल के चलना,, टेढे -मेढे डगर मिलेंगे... संतुलन न हो जिसकी रफ़्तार में.. अक्सर वह गिर जाया करते हैं...! ! मोहब्बत के गाड़ी में ब्रेक नहीं होती... जरा संभल के चलना,, टेढे -मेढे डगर मिलेंगे... संतुलन न हो जिसकी रफ़्तार में.. अक्सर वह गिर जाया
Dattu Medheजी
ना जाने क्यों हम गद्दार कॉम के हो जाया करते है। चंद रूपोओ में बिक जाया करते है । याद रखना मरने के बाद खंदे पर कॉम वाले ही लेजाया करते है। यदि अब भी युवाओ को देश की कमान हाथमे नही मिलितो समझ जाना देश का शासक गुलामी की ओर मरने को जा रहा है। जय भीम जय संविधान जय मुलनिवासी जय भारत दत्तु मेढेजी प्रदेशाध्यक्ष भीम आर्मी ना जाने क्यों हम गद्दार कॉम के हो जाया करते है। चंद रूपोओ में बिक जाया करते है । याद रखना मरने के बाद खंदे पर कॉम वाले ही लेजाया करते है।
Rajan Girdhar
पग-पग सिखाती है कुछ नये ढंग, ये जिन्दगी.. पल-पल दिखाती हैं कुछ नये रंग, ये जिन्दगी.. किसको कहूँ पराया, किसे कहूँ मैं अपना.. हर घड़ी मुझको बत
Dr Upama Singh
“सकारात्मकता– एक प्रेरणा कथा (अनुशीर्षक) पढ़िए। दुनिया में केवल एक ही इंसान जो बदल सकता है आपकी तकदीर वो हैं खुद ही आप। रखो खुद को खुश हमेशा कर्म में व्यस्त जीवन रहेगा मस्त और स्वस्थ। क
Pardeep Singhal
Pankaj Singh Chawla
माँ-धी छोटी जी गुफ्तगू विआह वारे (👇अनुशीर्षक पढ़े👇) माँ-धी जदो फुरसत विच प्यार नाल बैठीया, ते विआह दी गल छिड़ गई, माँ-धी दी होई कुछ गल आप सबदे रूबरू होण लगी ए।। माँ-धी आज बैठी जद मैं माँ सिराण