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Kiran Kandalkar
पर्वा तिला दुध डेअरी वरती बघुन खरच मला प्रेम झाल्यासारखं वाटलं. आज मित्रांमध्ये तिच्याबद्दल, सांगतानी मन माझ दाटल. पुन्हा परत डेअरी वरती आमची गाठ भेट झाली. ति माझ्या कडे चोरुन बघता बघता माझी किटलीच घेऊन गेली. आणि मला प्रेम झाल्या सारख वाटल. परत ति आज तिच्या, गालावरची बट सावरत डेअरी वरती आली. आणि परत भान विसरून माझी चप्पल घालून गेली. आणि मला प्रेम झाल्या सारखं वाटल. आज त किटली द्यायच्या कारणाने चक्क, ति घरी माझ्या आली. आई जवळ बसुन,आईची फणी ही घेऊन चालली. आता माला थोडी,शंका येवु लागली. आणि जाता जाता तिना आई जवळ चुगली माझी केली. नंतर मि ही मना ला समजावल चोरटी आहे साली. अणि मला खरच प्रेम झाल्या सारखं वाटल. लेखन.किरण कांदळकर ©Kiran Kandalkar जिद्द जिद्द #Love
Neelam jangra
White क्यूं हम हर किसी के घाव की दवा करे जो हमारे नहीं हम भी क्यूं उनके रहे अगर वो अड़े हुए हैं अपनी जिद्द पर तो हम भी क्यूं ना थोड़ा जिद्दी रहे। ©Neelam jangra #जिद्द
नन्हीं कवयित्री sangu...
"......जिद्द"..... पिता "बेगाना" है...... बच्चे को मनाना है, कल से कुछ नही खाया उसे समझाना है...... मां से भी रूठकर बैठा वो ये कैसा "नजराना" है... किसी से बात तक नहीं कर रहा लगता अब तो उसे "नया फोन ही दिलाना" है.... ये कैसा जमाना है , प्यार की जगह अपने लाल को फोन देकर हंसाना है...... बिखरा पड़ा है सब, क्योंकि टूटा हुआ पिता का "आशियाना" है.... बच्चा दोस्तो के बीच खुद को छोटा feel कर रहा अब तो नया फोन दिलाकर ही उसे ' बड़ा बनाना' है...।। ........................................ ©नन्हीं कवयित्री sangu... #जिद्द
SHOBHA GAHLOT
न वो हारता है न मैं हारती हूँ उसकी अपनी ज़िद्द है मैं भी कहाँ मानती हूं ©SHOBHA GAHLOT #जिद्द
Babita Buch
ज़िन्दगी के सपने बुन रही हूं अपने भविष्य की कसौटी घीस रही हूं विश्वास रखती सोने की तरह चमकूगी एक दिन मात पिता के सर को ऊंचा करके दमकूगी एक दिन कठिन है परिक्षा लेकिन हार मै भी ना मानूंगी पक्की है जिद्द मेरी जान लड़ा दूंगी पर जीत का सेहरा अपने सर पर जरुर पेहनूगी ©Babita Buch #जिद्द
suresh pawar
बची कूची उम्मीद थी एक जमाने में वो मेरी भी जिद्द थी सुरेश पवार #जिद्द
🎡🍑WRITER'S CHOICE🍑🎡
****दीये और तम का रण***** दीये और तम का रण था , प्रहार प्रखर प्रबल था l मुकाबला हुआ डट कर , शत्रु पक्ष सबल था ll घात प्रतिघात सब सहे, निर्णय अंतिम अटल था l लड़ते रहें अड़ते रहे , शक्ति समग्र सकल था ll देख अड़ जाने कि जिद्द , अंधकार का मन घबराया l जंग जीतने की चाहत में , उसने हर प्रपंच अपनाया ll एक हुए चोट खाये हुए सब दीप , मिलकर सब एक साथ जल उठे l मजबूत था जो सिंहासन तम का , चरागों के जोर से वो हिल उठे ll मनाने लगे सब दिवाली , चेहरे सबके खिल उठे l जीत हुयी उनकी जो , दीप सम राह में नहीं रुके ll. जिद्द