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Kulbhushan Arora
उगना..खिलना...संवरना.... बिखर जाना यही है जिंदगी की मुख्तसर सा अफसाना बरगद की घनेरी लटे,पीपल की छांव, कितने मन्नत के धागों से बांधे चारों तरफ घूमें कितने पाँव,,, कितनी चौखटों की साज सज्जा बने अंत में गये किस
Vandana
आमजन को लगता है राजा खुश है राजा को लगता है आमजन खुश हैं राजा राजा होकर भी स्वतंत्र नहीं बंधा है ऊंची ऊंची दीवारों के बीच कायदे कानूनों में,,,, बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियों का बोझ विचारों की आंधी कई सै
Vandana
सूखे पत्ते सा वो हवा में उड़ चला जो कभी ठंडी छांव बनके बरसा था बरगद की घनेरी लटे,पीपल की छांव, कितने मन्नत के धागों से बांधे चारों तरफ घूमें कितने पाँव,,, कितनी चौखटों की साज सज्जा बने अंत में गये किस
AB
........ जिस उहापौह में आधे से ज्यादा जीवन व्यतीत कर दिया यदि उसके विपरीत जिया जाता तो भी हम जीवन से उतने संतुष्ट नहीं हो पाते जितने की हम चाह र
Divyanshu Pathak
💠 अंतरजातीय विवाह की उलझन - 02 💠 आज शिक्षा की आवश्यकता और भूत ने इस समस्या में ‘आग में घी’ का काम किया है । भौतिकवाद, विकासवाद, स्वतंत्र पहचान, समानता की भ्रमित अवधारणा आदि ने व्यक्ति को शरीर के धरातल पर भी लाकर खड़ा कर दिया और अपने जीवन के फैसले मां-बाप से छीनकर अपने हाथ में लेने शुरू कर दिए अधिकांशत: माता-पिता उसके मार्गदर्शक बनते नहीं जान पड़ते। 💠 क्रमशः -02 💠 चूंकि शिक्षा नौकरी के अतिरिक्त अधिक विकल्प नहीं देती, अत: परिवार का विघटन अनिवार्य हो गया। दादा-दादी बिछुड़ गए। नई बहुएं सास-
Divyanshu Pathak
एकता का कार्य युवा ही कर सकता है। वहां किसी प्रकार के तात्विक भेद भी नहीं होते। समाज के प्रतिनिधि भी युवा ही होते हैं। पहचान की जरूरत भी इन्हीं को होती है। ये सब मिलकर अपनी नई “आचार संहिता” बना सकते हैं। :🙋🍉💕☘🌱🍀🍀👨👨☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕💕🍨🍀🐒 Good morning ji युवा एकता की पहली शर्त यह है कि हमारे प्रयास वर्तमान शैली के अनुरूप हों। नहीं तो भागीदारी नहीं होग
Divyanshu Pathak
लोगों के मन की "व्यथा" और 'समाज' की 'तथा' को प्रकट करने बाला ही "लेखक" है। Collab on this #rapidfire and unveil what writer means in 2 lines. #2linewriter #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Baba व्यथा- प
Ankur tiwari
कुछ सच्ची बातें इंसान जब मां की कोख में होता है तबसे लेकर अपनी मृत्यु तक बहुत कुछ....... पूरा पढ़े अनुशीर्षक में ©Ankur tiwari इंसान जब मां की कोख में होता है तबसे लेकर उसके मृत्यु होने तक उसके जीवन में बहुत कुछ घटित होता है। जैसे मां की कोख में रहते हुए उसे कुछ पता
Satya Prakash Upadhyay
अच्छा सुनो.. कुछ कहना है, क्या कहना ये समझ नही तेरे गुणों के समक्ष कोई शब्द नही मेरे भाव कोई कर सकता व्यक्त नही बस सुन लो अपने दिल की धड़कन वही सच्चा कह सकती मेरी तड़पन मेरे रूह की शांति बस तेरा अपनापन हृदय का संगीत तेरे पायल की छनछन अच्छा सुनो कुछ कहना है मेरे हृदय में तुझीको रहना है कुछ अपने ख्वाब भी समझाओ जो तेरे लिए कर सकूँ वो बतलाओ मेरे सपने अब सारे तुमसे खुशियां तुम से ग़म भी तुमसे मेरे सांसों की सरगम तुमसे जीवन तुमसे मरण भी तुम से अपनी आवश्यकताएं तो जानता हूँ पर सारी पूरी होतीं तेरे खुशी से होकर न चाहूँ स्वर्ग सुख न चाहता होना अमर सब पा चुका मैं तेरे अथाह प्रेम को पाकर satyprabha💕 कुछ कहना है, क्या कहना ये समझ नही तेरे गुणों के समक्ष कोई शब्द नही मेरे भाव कोई कर सकता व्यक्त नही बस सुन लो अपने दिल की धड़कन वही सच्चा कह
pankaj pathak (आवारा बादल)
ज़िन्दगी की रफ़्तार मेरे बड़े भाई की एक कविता 🙏 मां तू फिक्र न कर मैं सब ठीक कर दूंगा (पूरी कविता caption में देखे) by:- vikash pathak #NojotoQuote मां तू फिक्र न कर मां तू फिक्र न कर मैं सब ठीक कर दूंगा कितनी भी मुश्किलें आये राहों में, तेरा सिकंदर हूं मां मैं सब ढेर कर दूंगा तेरी सार