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Kulbhushan Arora

बरगद की घनेरी लटे,पीपल की छांव, कितने मन्नत के धागों से बांधे चारों तरफ घूमें कितने पाँव,,, कितनी चौखटों की साज सज्जा बने अंत में गये किस #yqbaba #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #collabwithme #aestheticthoughts #yqaestheticthoughts #ATleafbg8

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उगना..खिलना...संवरना.... बिखर जाना
यही है जिंदगी की मुख्तसर सा अफसाना बरगद की घनेरी लटे,पीपल की छांव,
कितने मन्नत के धागों से बांधे 
चारों तरफ घूमें कितने पाँव,,,

कितनी चौखटों की साज सज्जा बने 
अंत में गये किस

Vandana

राजा राजा होकर भी स्वतंत्र नहीं बंधा है ऊंची ऊंची दीवारों के बीच कायदे कानूनों में,,,, बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियों का बोझ विचारों की आंधी कई सै #cinemagraph

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आमजन को लगता है राजा खुश है
राजा को लगता है आमजन खुश हैं राजा राजा होकर भी स्वतंत्र नहीं
बंधा है ऊंची ऊंची दीवारों के बीच कायदे कानूनों में,,,,

बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियों का बोझ विचारों की आंधी
कई सै

Vandana

बरगद की घनेरी लटे,पीपल की छांव, कितने मन्नत के धागों से बांधे चारों तरफ घूमें कितने पाँव,,, कितनी चौखटों की साज सज्जा बने अंत में गये किस #yqbaba #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #collabwithme #aestheticthoughts #yqaestheticthoughts #ATleafbg8

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सूखे पत्ते सा वो हवा में उड़ चला
जो कभी ठंडी छांव बनके बरसा था
 बरगद की घनेरी लटे,पीपल की छांव,
कितने मन्नत के धागों से बांधे 
चारों तरफ घूमें कितने पाँव,,,

कितनी चौखटों की साज सज्जा बने 
अंत में गये किस

AB

जिस उहापौह में आधे से ज्यादा जीवन व्यतीत कर दिया यदि उसके विपरीत जिया जाता तो भी हम जीवन से उतने संतुष्ट नहीं हो पाते जितने की हम चाह र

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........      जिस उहापौह में आधे से ज्यादा जीवन व्यतीत कर दिया यदि उसके विपरीत जिया जाता तो भी हम जीवन से उतने संतुष्ट नहीं हो पाते जितने की हम चाह र

Divyanshu Pathak

💠 क्रमशः -02 💠 चूंकि शिक्षा नौकरी के अतिरिक्त अधिक विकल्प नहीं देती, अत: परिवार का विघटन अनिवार्य हो गया। दादा-दादी बिछुड़ गए। नई बहुएं सास- #विवाह #समाज #संस्कार #पंछी #संस्कृति #अंतरजातीय #पाठकपुराण

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💠 अंतरजातीय विवाह की उलझन - 02 💠

आज शिक्षा की आवश्यकता और भूत ने
इस समस्या में ‘आग में घी’ का काम किया है ।
भौतिकवाद, विकासवाद, स्वतंत्र पहचान,
समानता की भ्रमित अवधारणा आदि ने
व्यक्ति को शरीर के धरातल पर भी लाकर
खड़ा कर दिया और अपने जीवन के फैसले
मां-बाप से छीनकर अपने हाथ में लेने
शुरू कर दिए अधिकांशत: माता-पिता
उसके मार्गदर्शक बनते नहीं जान पड़ते। 💠 क्रमशः -02 💠
चूंकि शिक्षा नौकरी के अतिरिक्त अधिक विकल्प नहीं देती, अत: परिवार का विघटन अनिवार्य हो गया। दादा-दादी बिछुड़ गए। नई बहुएं सास-

Divyanshu Pathak

:🙋🍉💕☘🌱🍀🍀👨👨☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕💕🍨🍀🐒 Good morning ji युवा एकता की पहली शर्त यह है कि हमारे प्रयास वर्तमान शैली के अनुरूप हों। नहीं तो भागीदारी नहीं होग

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एकता का कार्य युवा ही कर सकता है।
वहां किसी प्रकार के तात्विक भेद भी नहीं होते।
समाज के प्रतिनिधि भी युवा ही होते हैं।
पहचान की जरूरत भी इन्हीं को होती है।
ये सब मिलकर अपनी
नई “आचार संहिता” बना सकते हैं। :🙋🍉💕☘🌱🍀🍀👨👨☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕💕🍨🍀🐒
Good morning ji
युवा एकता की पहली शर्त यह है कि हमारे प्रयास वर्तमान शैली के अनुरूप हों। नहीं तो भागीदारी नहीं होग

Divyanshu Pathak

Collab on this #rapidfire and unveil what writer means in 2 lines. #2linewriter #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Baba व्यथा- प

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लोगों के मन की "व्यथा" और 'समाज' की 'तथा' को प्रकट करने बाला ही "लेखक" है। Collab on this #rapidfire and unveil what writer means in 2 lines. #2linewriter #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Baba व्यथा- प

Ankur tiwari

इंसान जब मां की कोख में होता है तबसे लेकर उसके मृत्यु होने तक उसके जीवन में बहुत कुछ घटित होता है। जैसे मां की कोख में रहते हुए उसे कुछ पता #friends #विचार #कुछ_अनकही_बातें

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कुछ सच्ची बातें

इंसान जब मां की कोख में होता है तबसे लेकर अपनी मृत्यु तक बहुत कुछ.......

पूरा पढ़े अनुशीर्षक में

©Ankur tiwari इंसान जब मां की कोख में होता है तबसे लेकर उसके मृत्यु होने तक उसके जीवन में बहुत कुछ घटित होता है।
जैसे मां की कोख में रहते हुए उसे कुछ पता

Satya Prakash Upadhyay

कुछ कहना है, क्या कहना ये समझ नही तेरे गुणों के समक्ष कोई शब्द नही मेरे भाव कोई कर सकता व्यक्त नही बस सुन लो अपने दिल की धड़कन वही सच्चा कह #कविता

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अच्छा सुनो.. 
कुछ कहना है,
क्या कहना ये समझ नही 
तेरे गुणों के समक्ष कोई शब्द नही
मेरे भाव कोई कर सकता व्यक्त नही

बस सुन लो अपने दिल की धड़कन
वही सच्चा कह सकती मेरी तड़पन
मेरे रूह की शांति बस तेरा अपनापन
हृदय का संगीत तेरे पायल की छनछन 

अच्छा सुनो कुछ कहना है
मेरे हृदय में तुझीको रहना है
कुछ अपने ख्वाब भी समझाओ
जो तेरे लिए कर सकूँ वो बतलाओ

मेरे सपने अब सारे तुमसे 
खुशियां तुम से ग़म भी तुमसे
मेरे सांसों की सरगम तुमसे
जीवन तुमसे मरण भी तुम से

अपनी आवश्यकताएं तो जानता हूँ 
पर सारी पूरी होतीं तेरे खुशी से होकर
न चाहूँ स्वर्ग सुख न चाहता होना अमर
सब पा चुका मैं तेरे अथाह प्रेम को पाकर

satyprabha💕 कुछ कहना है,
क्या कहना ये समझ नही 
तेरे गुणों के समक्ष कोई शब्द नही
मेरे भाव कोई कर सकता व्यक्त नही

बस सुन लो अपने दिल की धड़कन
वही सच्चा कह

pankaj pathak (आवारा बादल)

मां तू फिक्र न कर मां तू फिक्र न कर मैं सब ठीक कर दूंगा कितनी भी मुश्किलें आये राहों में, तेरा सिकंदर हूं मां मैं सब ढेर कर दूंगा तेरी सार

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ज़िन्दगी की रफ़्तार मेरे बड़े भाई की एक कविता 🙏

मां तू फिक्र न कर
मैं सब ठीक कर दूंगा 

(पूरी कविता caption  में देखे)

by:- vikash pathak #NojotoQuote मां तू फिक्र न कर

मां तू फिक्र न कर
मैं सब ठीक कर दूंगा 
कितनी भी मुश्किलें आये राहों में,
तेरा सिकंदर हूं मां
मैं सब ढेर कर दूंगा
तेरी सार
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