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Jit
पुजारा खाना बहुत धीरे-धीरे खाते हैं क्यू कि धीरे-धीरे खाने से टेस्ट आता है और वो भी टेस्ट के वह खिलाड़ी हैं। ©Jit टेस्ट का नहीं टेस्ट का है मामला
Devesh Dixit
सृजन (दोहे) सृजन किया भगवान ने, ये सारा संसार। इनकी महिमा है बड़ी, जग के तारनहार।। देख सृजन इंसान की, होते भाव विभोर। सब को ही ये बाँधती, ऐसी अनुपम डोर।। सृजन कला से जोड़ती, सभी कहें विद्वान। जो इस से हैं चूकते, कैसे हो पहचान।। एक सृजन मैंने किया, दोहे जिसका नाम। गुरुवर की है ये कृपा, उनको करें प्रणाम।। सृजन करें नित कर्म का, जो दे उच्च विचार। संकट से सब दूर हों, हो सबका उद्धार।। ........................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #सृजन #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi सृजन (दोहे) सृजन किया भगवान ने, ये सारा संसार। इनकी महिमा है बड़ी, जग के तारनहार।। देख सृजन इ
Mukesh Poonia
White व्यक्ति का सपना, व्यक्ति का हौसला और व्यक्ति का फैसला खुद का हो तो वह बेचारा नहीं, आत्मनिर्भर बनता है . ©Mukesh Poonia #Free #व्यक्ति का #सपना, व्यक्ति का हौसला और व्यक्ति का फैसला #खुद का हो तो वह #बेचारा नहीं, #आत्मनिर्भर बनता है
book lover
जो धर्म की राह पर चलते हैं भगवान उनके घोड़ों की लगाम खुद पकड़ लेते हैं ©book lover धर्म का मार्ग उन्नति का मार्ग है
Bharat Bhushan pathak
पाप-पुण्य युद्ध में विजय प्रतीक पुण्य का। सत्य से असत्य का प्रतीक जीत सत्य का।। राम नाम जाप का पर्व अम्ब मात का। भद्र के ये छाप का अभद्र नाश ताप का। ©Bharat Bhushan pathak पाप-पुण्य युद्ध में विजय प्रतीक पुण्य का। सत्य से असत्य का प्रतीक जीत सत्य का।। राम नाम जाप का पर्व अम्ब मात का। भद्र के ये छाप का अभद्र नाश
Mahadev Son
आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म "मन" का, मरण " तन" का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना तय उसका सफर यही तक का यही तेरी ही भूल थी त्याग देगा भर जायेगा "मन", इस तन से "मन" चंचल पर अज़र बस निर्भर कर्मों पर कर्म होंगें जैसे "मन" जन्म का "तन" पायेगा वैसे जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू हिसाब किताब सब यहाँ होता पैसों से वैसे मन का होता वहाँ सब कर्मों से पायेगा क्या भोगेगा क्या फिर से चंचल "मन" को भी न मालूम वर्ना छोड़ता न कभी इस "तन" को ...! ©Mahadev Son आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना तय उसका सफर यही तक का यही तेरी ही भूल थी त्याग देगा भर जायेग
Mahadev Son
आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ यही जीवन चक्र सृजन हुआ जिसका नष्ट भी होना तय उसका सफर यही तक ये तेरी ही भूल थी त्याग देगा, भर जायेगा, मन इस तन से मन तो अज़र है बस कर्मों पे निर्भर है कर्म अच्छे होंगें जितने तन पायेगा वैसा जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू गणित यहाँ माया का वहाँ कर्मों का हिसाब किताब जैसा वैसा तन पायेगा भोगेगा क्या फिर से मन को भी न मालूम वर्ना छोड़ता न कभी इस तन को ©Mahadev Son आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ यही जीवन चक्र सृजन हुआ जिसका नष्ट भी होना तय उसका सफर यही तक ये तेरी ही भूल थी त्याग द
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी नियंत्रण ट्रैफिक का हो, वाहनों की भीड़ को डायबर्स करना पड़ता है संकेत लाल हरी बत्ती को देकर ओटोमेटिक नियंत्रण करना पड़ता है इसी प्रकार जीवन मे अहंकार और लोलुपता ना बढे नियंत्रण में रहकर दया करुणा के भावों से स्रष्टी का मूलतत्व जियो और जीने दो का बना रहे धर्म का सृजन ट्रेफ़िक के रूप में करना पड़ता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #trafficcongestion धर्म का सृजन ट्रेफ़िक के लिये करना पड़ता है #nojotohindi