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UNSPOKENWORDSKP

#Sad_shayri नफरतों के शहर में ग़ुलाब शायरी हिंदी में शायरी लव 'दर्द भरी शायरी' खूबसूरत दो लाइन शायरी

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White नफरतों के शहर में
मैं ग़ुलाब लिए जा रहा हूं

देखो ना यार 
मैं एक बेवफा से वफा किए जा रहा हूं 

मालूम मुझे वो मोहब्बत नहीं नसीब में मेरी
फिर भी मैं उसे अपना नसीब बताए जा रहा हूं

मैं देख रहा हूं उसे किसी ओर से लिपटे हुए
फिर भी उसे अपने सीने से लगाने के लिए बेताब हुआ जा रहा हूं

देखो ना यार

मैं यह क्या से क्या होता जा रहा हूं

नफरतों के शहर में
मैं ग़ुलाब लिए जा रहा हूं।।

©UNSPOKENWORDSKP #Sad_shayri नफरतों के शहर में ग़ुलाब शायरी हिंदी में शायरी लव 'दर्द भरी शायरी' खूबसूरत दो लाइन शायरी

CHOUDHARY HARDIN KUKNA

#sad_quotes #गजल शेरो शायरी शायरी हिंदी में

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White ग़ज़ल 

लगाकर आग वो कैसे बचे हैं 
उन्हे ढ़ूँढ़ो कहीं पर वो छुपे हैं 

मेंरी बस्ती के सब घर जल रहे हैं 
ताहफ़्फुज़ में मेरे दुश्मन खड़े हैं 

वही अवक़ात अपनी भूल बैठे हैं 
जो पौधे सामने फूले फले हैं 

लगेगी आह उनको इक न इक दिन 
गरीबों के लहू पर जो पले हैं 

बनाता मैं नहीं दुश्मन किसी को 
तरक़्की से मेंरी दुश्मन बने हैं 

ज़रा अपने गिरेबाँ में वो देखें
जो तोहमत हम पे रखते आ रहे हैं 

तेरी महफिल में जब से आ गया हूँ 
मेंरे हमराज सब जलने लगे हैं 

भली थी या बुरी थी छोड़ये भी 
ज़रा सी बात लेकर क्या पड़े हैं 

बुराई की तरफ "हरदीन" न जाऐं 
वहाँ हर राह पर काँटे बिछे हैं 

चौधरी हरदीन कूकना 
मकराना, राजस्थान

©CHOUDHARY HARDIN KUKNA #sad_quotes #गजल  शेरो शायरी शायरी हिंदी में

MSA RAMZANI

गजल

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मेरी सांसों को हवाओं में बिखर जाना है, 
जिस्म को खाक के तूदो में उतर जाना है

उसका सिद्दत से मुझे चाहना बतलाता है, 
चढते दरिया को बहुत जल्द उतर जाना है,

दूर रहने का इरादा कभी मिलने की तडप
यह समझ में नहीं आता कि किधर जाना है

छत पे फैली हुई इस धूप को मालूम नहीं 
दिन के ढलते ही दीवारों में उतर जाना है

प्यार करना कोई आसां नहीं है, रमजानी 
गहरे पानी के समन्दर में उतर जाना है,
28/10/15

©MSA RAMZANI गजल

CHOUDHARY HARDIN KUKNA

#गजल शायरी हिंदी में

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White 
भला दूसरों का भी क्या सोचता है 
सदा अपना ही तो भला सोचता है 

बशर तो बस अपना भला सोचता है 
सभी का भला बस "तेजा" सोचता है 

बुरा आदमी बस बुरा सोचता है 
जो नेक है वो नेक ही सदा सोचता है 

रहें शान्ति से जगत में हमेशा 
सभी के लिये वो सदा सोचता है 

कभी मुँह से कुछ बोलता ही नहीं क्यों 
खड़ा होके वो जाने क्या सोचता है 

रूलाकर उसे खिलखिला कर वो 
अब उसी हँसी की दवा सोचता है 

नऐ सविधानों कि उसको पड़ी अब 
तो फितनों का अब रास्ता सोचता है 

उजाड़ो किसी को बसाओ किसी को 
यही तो वो "हरदीन" सदा सोचता है 

चौधरी हरदीन कूकना 
मकराना, राजस्थान

©CHOUDHARY HARDIN KUKNA #गजल  शायरी हिंदी में

MSA RAMZANI

गजल

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तेरे ही रूप को आखों में भर रहे है हम 
तू ही बता कि कोई भूल कर रहे है हम।

सफर तमाम हुआ जब तो यह ख्याल आया 
कि एक उम्र न जाने किधर रहे है हम।

बड़े अदब से जो झुक कर सलाम करता है 
उस शख्स से क्यूं आज डर रहे है हम।

जिधर भी देखे कही आद‌मी नहीं मिलता 
ये कैसा शहर है जिससे गुजर रहे है हम।

करो न रंज तुम्हारा जो साथ न दे सके 
खुद अपने आप के कब हमसफर रहे है हम।

खुद अपने आप से गाफिल रहे मगर रमजानी 
तुम्हारी याद में कब बेखबर रहे है हम।
4/10/15

©MSA RAMZANI गजल

MSA RAMZANI

गजल

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पल में दूर हो जाती है 
जात अधूरी हो जाती है

आखों में नींद नहीं आती 
रात पूरी हो जाती है

पहले तो होती है चाहत 
फिर मजबूरी हो जाती है

कुछ लोगों की पल भर मे 
ख्वाहिशे पूरी हो जाती है

हद से प्यार गुजर जाये तो 
अक्सर दूरी हो जाती है
8/10/15

©MSA RAMZANI गजल

MSA RAMZANI

गजल

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White  मुन्तजिर सब मेरे जवाल के है 
मेरे अपने भी क्या कमाल के है

दोस्तो को समझ नहीं पाया 
ये सबब ही मेरे मलाल के है

एक दिन में चमन नही खिलता 
जख्म ये जाने कितने साल के है

खुश्बु एक चारसू है बिखरी हुई 
गालिबन दिन यही विसाल के है

इश्क बदनाम मुफ्त में ही हुआ 
जलवे सब हुस्न और जमाल के है

रंग तहजीब और जबान अलग 
पंछी लेकिन सब एक ही डाल के है

तेरी यादो का शुक्रिया ऐ दोस्त 
हिज्र में भी मजे विसाल के है

बरकते तो है लाजमी रमजानी 
मेरे पैसे भी तो हलाल के है
6/8/15

©MSA RAMZANI गजल

MSA RAMZANI

गजल

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White जमाने वालो से मुझे सदा बचा के रखो। 
किसी ग्लाफ के नीचे मुझे छुपा के रखो।।

इसी तरफ से कोई आज आने वाला है।
इसी मुंडेर पे दीपक कोई जला के रखो।।

तुम्हारी शर्म ही हुस्न व अदा का जेवर है।
 हया भी कहती है, आंखो को हो तुम छुपा के रखो।।

तुम्हारा घर ही तुम्हारे लिए वो जन्नत है।
बड़े सलीके से इस घर को तुम सजा के रखो।।

बडे बडे भी तो रहते है आजिजि से यहां।
अना को तुम भी रमजानी इक तरफ हटा के रखो।।
24/10/15

©MSA RAMZANI गजल

Mohan Sardarshahari

# गजल

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Unsplash दोस्तों से मुश्किल है हकीकत छुपाना 
जैसे हवा से अलग रवानी को रखना। 

जिंदगी के अनुभव बेशक अलग-अलग होंगे 
मुश्किल नहीं मगर एक दूजे की कहानी समझना। 

इशारों में समझाना बहुत कर लिया 
चलो दोस्तों से करते हैं वही व्यवहार बचकाना। 

यदि कभी कुछ सुनाना पड़े दोस्तों को 
बस याद उनकी एक-एक शैतानी दिलाना। 

मिलकर यदि किसी दोस्त से छलक जाए आंसू 
शाम को उड़ा देना उनको तेरे नाम के पैमाना। 

देखी होंगी दशकों में कई नायाब इमारतें तूने 
होना हो रूबरू जवानी से, बार-२ तेरे कॉलेज जरूर जाना।।

©Mohan Sardarshahari # गजल

Yaad -E- November

उफ्फ मेरे शहर के लोग

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