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Manmohan Dheer
नैराश्य कारण मूल हुआ विनाश का हर विवेक दृश्य हुआ सर्वनाश का प्रतीक चित्र जो देखते हो तुम यहाँ कुछ ऐसा ही आक्रमण इस पाश का . धीर नैराश्य
Amol Kunure
एक पश्चातापदग्ध प्रेतात्मा विषण्ण मनाने खिन्न हसला; मूक प्रेतयात्रने बिनधास्त त्याकडेही काना डोळा केला. नित्यनवा नि:स्तब्ध यक्षप्रश्न काळजावर उमटत गेला; श्वापदांचा हिंस्त्र आक्रोश, स्वप्नसुखांना डसून विरला. नैराश्येच्या खोल गर्तेत चैतन्याचा तोल गेला ; प्रयत्नांचा संसार सारा अर्थपायी फोल ठरला. गलितगात्र आशा दुबळी ष्ंढत्वाचे अमृत प्याली; उसवलेल्या भाळावरती जिद्दरेषा कत्तल झाली - इंद्रधनु ©Amol Kunure नैराश्य #Starss
Omkar Ranveerkar
मानसिक आरोग्यावर एक खूप सुंदर लेख! लिंक खाली वर्णनात आहे. https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2888802781445993&id=100009488997733 #मानसिकआरोग्य #mentalhealth #depression #नैराश्य #मानसिक_त
Omkar Ranveerkar
मानसिक आरोग्यावर एक खूप सुंदर लेख! लिंक खाली वर्णनात आहे. https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2888802781445993&id=100009488997733 #मानसिकआरोग्य #mentalhealth #depression #नैराश्य #मानसिक_त
Kishan Gupta
किचन की रानी, तू पसीने से लतपत, पंखा बना, मुझे घुमाये जा रही हो,, चाय कब तक यूँ ही, फीकी पिलाओगी, इलायची के इंतजार में, अदरक पीसे जा रही हो। ~किशन गुप्ता #कविता #कविता #
Awanish Singh
दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। पार जाऊँगा मेरा साहस, कभी हारा नहीं है। जो मिटा अस्तित्व दे, ऐसी कोई धारा नहीं है ।। कौन रोकेगा स्वयं तूफान, थककर रुक गये हैं । हर लहर मेरा किनारा, ध्येय तक बढ़ता रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। तोड़ दी अवरोध की सारी, शिलाएँ एक क्षण में । मैं धरा का प्यार मुझको, स्नेह देते सब डगर में।। शीत वर्षा और आतप कर, न पाये क्षीण गति को। बिजलियों की कौंध में भी, पंथ गढ़ता ही रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। ©Awanish Singh (AK Sir) #कविता #कविता
Balu Khaire
भीगी हुई आँखोका मंजर न मिलेगा, घर छोडकर मत जाओ कही घर ना मिलेगा। फिर याद बहुत आएगी जुल्फो की शाम, जब धूप मे साया कोई सर न मिलेगा। आंसू को काभि ओस का कतरा न समझना, ऐसा तुम्हे चाहत का समुदर ना मिलेगा। इस ख्वाब के माहोल मे बे-ख्वाब है आँखे, जब निंद बहुत आएगी बिस्तर ना मिलेगा। ये सोचलो आखरी साया है मोहब्बत, इस दरसे उठोगे तो कोई दर ना मिलेगा ©Balu Khaire कविता कविता #lonely
vijaysinh
writing quotes in hindi मन पीढ़ा से बैचेन हो जाता है, तब जा के क़लम कागज स्याही रोता है। क़लम खुद का नहीं,औरों का दुख रोता हैं। हर पन्ने पर क्रांति की बीज बोता है। दुनिया में सब से ज्यादा दुखी क़लम हैं, हर वक़्त खून के आंसू रोता है, खून रूपांतर चंद लकीरों में होता है। अब लोक उसे अल्फ़ाज़ समजते हैं पर वह अल्फ़ाज़ नहीं लब होते हैं जो क़लम के दिलसे निकले होते है। #कविता #क़लम कविता
AnishaDodke
कविता कवीला वेळ नसतो कवीला काळ नसतो फावल्या वेळात तो कविता लिहीत असतो! कवितेत करियर नाही योग्य आहे पण करियर सोबत कविता करणे हाच छंद आहे! कवितेत आसन नाही ये दुःख आहे पण कवितेचं वेशन आहे हेंच सुख आहे....! रिकाम्या डोक्यात काही तरी सूचन आणि कागदावर मांडण हेच माझं काव्यलिखाण आहे.....! कवयित्री:कु अनिषा दोडके ©AnishaDodke कविता कविता #BookLife