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Rajnish Shrivastava
White फूल जिनकी सोहबत में रहकर मुस्कराते हैं कांटे अपनी फितरत से फिर भी बाज न आते हैं कांटो की फितरत है फूलों को चोट पहुंचाना फूल रिश्तें निभाने के लिए सब भूल जाते हैं ©Rajnish Shrivastava #फूल और कांटे
Nirmala Paul
jindagi ek aisi bagiya hai jisme phoolon ke sath sath kante bhi milte hai.... in phool or Kanto ki sabke life me ek alag hi Ahmiyat hoti hai........ ©Nirmala Paul फूल और कांटे
aashik r
#OpenPoetry फूल और काँटा हैं जन्म लेते जगह में एक ही, एक ही पौधा उन्हें है पालता रात में उन पर चमकता चाँद भी, एक ही सी चाँदनी है डालता । फूल और कांटे. फूल और कांटे
Parasram Arora
गुलाब उगेगा तो काँटों को भी उगना ही. पड़ेगा क्योंकि काँटों के बिना गुलाब का अस्तित्व खतरे मे होगा. गुलाब प्रीतीकर लगता भी इसीलिए की काँटों के बींच ही भरपूर खिलता हैँ और सबसे महत्वपूर्ण बात ये भी हैँ की काँटों के बींच रह कर ही उसका सौन्दर्य और आकर्षण सुरक्षित हैँ ©Parasram Arora फूल और कांटे
Parasram Arora
आज अगर काँटों से भरा है तुम्हारा जीवन कल फूलों से लद जाएगा दामन तुम्हारा. गम न कर ©Parasram Arora फूल और कांटे
Arora PR
आये दिन तुम लोगो को सताने केलिए उनकी राहो मे काँटों को उगते हो जब कि तुम चाहो तों उन रास्तो मे फुल ऊगा क़र लोगो क आशीष और प्यार भी पा सकते हो ©Arora PR फूल और कांटे
Arora PR
फूल और काँटों को साथ साथ रहते हुए हम सबने देखा है यही ज्ञान हमें बहुत बडा सन्देश दे गया है आज वो मुझसे रूठ मुझे छोड़ कर दूर चला गया है आज उसके दिल मे मेरे किये क्या था पहचान अपनी दे गाया है ©Arora PR फूल और कांटे
Parasram Arora
काँटों ने ताउम्र फूलों कि सुगंध लूटी है. उन्हीने कभी फूल बनने की चेष्टा भी नही की है फूलों की खुशबू. का नशा उनपर आज भी इतना हावी है कि इसी वजह से काँटों ने फूलों से ज्यादा लम्बी जिंदगी जीने का वरदान भी पा लिया है ©Parasram Arora फूल और कांटे....
Parasram Arora
काँटों से कुपित हो? पर फूलों पर तो तुम जान छिड़कते हो दोनों सहोदर हैँ ये फूल और कांटे क्या तुम जानते नही हो? वे दोनों एक ही डाली पर एक साथ उगे हैँ फिर भी तुम सिर्फ फूलों को चूमते हो. और काँटों से कुपित हो...... क्यों ? कदाचित तुम्हारी चेतना. तुम्हारी संवेदनशीलता को स्पंदित होने से रोके रखती हैँऔर तुम्हारे पूर्वाग्रह . कांटो के प्रति तुम्हे तरल होने नहीं देते............... फूल और कांटे.......
Dileep Baghel
#OpenPoetry आप अपनेपन का एहसास दिलाते बहुत है जख्म भी देते हैं मरहम भी लगाते बहुत हैं इस कली के लिए जाने हश्र क्या होगा बघेल फूल तो बस दिख रहे हैं साख में कांटे बहुत हैं फूल और कांटे