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Yunus golden

#Thinking जो इक बार नज़र से उतर गये फ़र्क नहीं पड़ता वो किधर गये यूनुस गोल्डन

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White जो इक बार नज़र से उतर गये 
फ़र्क नहीं पड़ता वो किधर गये 
यूनुस गोल्डन

©Yunus golden #Thinking जो इक बार नज़र से उतर गये 
फ़र्क नहीं पड़ता वो किधर गये 
यूनुस गोल्डन

- Arun Aarya

#HeartBreak #ले गये

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मेरे आँखों की रौशनी , मेरी चमक , मेरे उजाले ले गये !

 मेरी गाँव की मोहब्बत को आकर ,, शहर वाले ले गये..!!

- अरुन आर्या

©- Arun Aarya #HeartBreak #ले गये

Pransingh Fheshan

“उन्होंने” “कहा” “बहुत” “बोलते” “हो” “अब” “क्या” “बरस” “जाओगे”…. “हमने” “कहा” “जिस” “दिन” “चुप” “हो” “गये” “तुम” “तरस” “जाओगे”…. Read More:

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“उन्होंने” “कहा” “बहुत” “बोलते” “हो”
“अब” “क्या” “बरस” “जाओगे”….
“हमने” “कहा” “जिस” “दिन” “चुप” “हो”
“गये” “तुम” “तरस” “जाओगे”….

©Pransingh Fheshan “उन्होंने” “कहा” “बहुत” “बोलते” “हो”
“अब” “क्या” “बरस” “जाओगे”….
“हमने” “कहा” “जिस” “दिन” “चुप” “हो”
“गये” “तुम” “तरस” “जाओगे”….

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Rameshkumar Mehra Mehra

# रिश्ता हो तो ऐसा हो.....💕

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Praveen Jain "पल्लव"

#library अजायबघर जैसे घर हो गये

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Unsplash पल्लव की डायरी
प्यार के काबिल थे हम
घरौंदा अपना सजाना था
परवरिश देकर परिवारों को
संस्कारो और ममता का दायरा बढ़ाना था
मगर जमाने ने नारी को बरगला रखा है
खुद के बजूद की दुहाई देकर
शोषण का बाजार सजा रखा है
टूट रही है बुनियाद परिवारों की
सन्तति अमर्यादित हो रही है 
भोगवाद की भेंट चढ़ाकर
दायरे सब सिमट रहे है
माँ बहन बेटी सब कमाने निकल गये
अजायबघर जैसे घर हो गये 
                                   प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #library अजायबघर जैसे घर हो गये

Praveen Jain "पल्लव"

#GoodMorning कितने पहरे ईजाद किये गये है

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White पल्लव की डायरी
छाँव की पर्दादारी गयी
रिश्ते सब टूट गये
खिल ना सके
 इन पतझरो के बाद
कैद कही हवा पानी हो गये
ठूठ से हम बंजर खड़े है
खाद्यपानी नेता चर गये
अग्नि परीक्षा देते देते हम
ओवरेज की उम्र में चले गये
खता जो मैने समझी अब तक
साजिशों से ठगे गये है
बूँद तक की प्यास के लिये
कितने पहरे ईजाद किये गये है
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #GoodMorning कितने पहरे ईजाद किये गये है

JAGAT HITKARNI 274

जय परमेश्वर परमेश्वर हमारी फरियाद सुनो हिंन्दुस्तांनके बनीयोंने मेहको और मोतको सहारे करलीहै काफिर सेठ सौदागर महाजन जमीनमाताके नांमका और सं

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White जय परमेश्वर  
परमेश्वर हमारी फरियाद सुनो हिंन्दुस्तांनके बनीयोंने मेहको और मोतको सहारे करलीहै काफिर सेठ सौदागर महाजन जमीनमाताके नांमका और संसारके नांमका और ८४ लाख जीवाजुनके नांमका पाप कराते हैं और दुख देके कच्ची उमर में मारते हैं  और  तीन लोक कि बुद्धी केद कि  हैं  और  यह सब संसार को आप के नांम से जाहिर करते हैं कि परमेश्वर सिवाय ऐसा कोन कर सकता हैं और बदनामी परमेश्वर के सरपे लगादी हैं सो पर यह बात संसारको  साध [ अनोपदास ] महाराजने बताई हैं और जो कुछ संसार में बुरा होरहा हैं  वोह हिंन्दुस्तांन के बनीयें करारहेहें और  हम लोंग तो भुलेहुये-और पागलके मुवाफीक हो गये हैं परमेश्वर और जमीनमाता की पहचांन  साध [ अनोपदास ] महाराजने कराई हें .....    परमेश्वर हमारी फरीयाद सुनो और बनीयों का पाप छुडाने में मदद करो   
क्योंकि गरीबोंका तो तारनेवाला परमेश्वर होता हैं...  

अज तसनीफ साध अनुपदास लीखी- 
कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) तमांम पढ़कर बंन्दोबस्त करो 
छावणी ऐरनपुरामें, शिवगंज - ३०७०२७  (राज.)
ता १७ अप्रेल संन १९०९ झा बैसाष बुदी १२ सं॥ १९६५
M. No. :- 8905653801
www.jagathitkarnioriginal.org

©JAGAT HITKARNI 274 जय परमेश्वर  
परमेश्वर हमारी फरियाद सुनो हिंन्दुस्तांनके बनीयोंने मेहको और मोतको सहारे करलीहै काफिर सेठ सौदागर महाजन जमीनमाताके नांमका और सं

RUPESH Kr SINHA

#घट गये जीवन का एक वर्ष

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©RUPESH Kr SINHA #घट गये जीवन का एक वर्ष

shayariwaladoctor

उलझनों के बीज जो बोके गया वो आज काँटों वाले घने जंगल हो गये कोई खुशी की रोशनी तक मेरी खिड़की पर नही पहुँचे सारे बादल एक साजिश में खड़े हो गय

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उलझनों के बीज जो बोके गया वो आज काँटों वाले घने जंगल हो गये
कोई खुशी की रोशनी तक मेरी खिड़की पर नही पहुँचे सारे बादल एक साजिश में खड़े हो गये
 बस एक प्यार करने की इतनी बड़ी सजा भरोसा करना कब हुआ इतना बड़ा गुनाह 
दिल भी मेरा टूटे ,दुख भी मेरे हिस्से , क्या खुदा तुम भी मुख मोड़े खड़े हो गये

©shayariwaladoctor उलझनों के बीज जो बोके गया वो आज काँटों वाले घने जंगल हो गये
कोई खुशी की रोशनी तक मेरी खिड़की पर नही पहुँचे सारे बादल एक साजिश में खड़े हो गय

Praveen Jain "पल्लव"

#tanha हम तन्हा अकेले इस पड़ाव में रह गये

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पल्लव की डायरी
सुबह शाम रहती थी मेरे नाम
अरमान सब के मुझसे जुड़े थे
फिक्र सबकी मेरे हिस्से में थी
जोड़े रहते सबको एक सूत्र में
बस परिवारों की मुस्कराहट पर
हम फिदा रहते थे
 व्यस्त हो गये सब अपने मे अब
हम तन्हा अकेले इस पड़ाव पर रह गये
                                           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #tanha हम तन्हा अकेले इस पड़ाव में रह गये
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