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Yunus golden
White जो इक बार नज़र से उतर गये फ़र्क नहीं पड़ता वो किधर गये यूनुस गोल्डन ©Yunus golden #Thinking जो इक बार नज़र से उतर गये फ़र्क नहीं पड़ता वो किधर गये यूनुस गोल्डन
#Thinking जो इक बार नज़र से उतर गये फ़र्क नहीं पड़ता वो किधर गये यूनुस गोल्डन
read more- Arun Aarya
मेरे आँखों की रौशनी , मेरी चमक , मेरे उजाले ले गये ! मेरी गाँव की मोहब्बत को आकर ,, शहर वाले ले गये..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya #HeartBreak #ले गये
#HeartBreak #ले गये
read morePransingh Fheshan
“उन्होंने” “कहा” “बहुत” “बोलते” “हो” “अब” “क्या” “बरस” “जाओगे”…. “हमने” “कहा” “जिस” “दिन” “चुप” “हो” “गये” “तुम” “तरस” “जाओगे”…. ©Pransingh Fheshan “उन्होंने” “कहा” “बहुत” “बोलते” “हो” “अब” “क्या” “बरस” “जाओगे”…. “हमने” “कहा” “जिस” “दिन” “चुप” “हो” “गये” “तुम” “तरस” “जाओगे”…. Read More:
“उन्होंने” “कहा” “बहुत” “बोलते” “हो” “अब” “क्या” “बरस” “जाओगे”…. “हमने” “कहा” “जिस” “दिन” “चुप” “हो” “गये” “तुम” “तरस” “जाओगे”…. Read More:
read moreRameshkumar Mehra Mehra
White रिश्ता ऐसा हो जिस पर नाज हो..... कल जितना भरोसा था.....!! उतना ही आज हो.....!!! रिश्ता सिर्फ बो नही जो गम या खुशी में साथ दे....!!!! रिश्ता तो बो है जो हर पल अपनेपन का एहसास दे....!!!!! जीबन में सपनो के लिए कभी अपनो से दूर मत होना...!!!!!! कयोकि अपनो के बिना जीबन मै सपनो का कोई मोल नही....💕 ©Rameshkumar Mehra Mehra # रिश्ता हो तो ऐसा हो.....💕
# रिश्ता हो तो ऐसा हो.....💕
read morePraveen Jain "पल्लव"
Unsplash पल्लव की डायरी प्यार के काबिल थे हम घरौंदा अपना सजाना था परवरिश देकर परिवारों को संस्कारो और ममता का दायरा बढ़ाना था मगर जमाने ने नारी को बरगला रखा है खुद के बजूद की दुहाई देकर शोषण का बाजार सजा रखा है टूट रही है बुनियाद परिवारों की सन्तति अमर्यादित हो रही है भोगवाद की भेंट चढ़ाकर दायरे सब सिमट रहे है माँ बहन बेटी सब कमाने निकल गये अजायबघर जैसे घर हो गये प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #library अजायबघर जैसे घर हो गये
#library अजायबघर जैसे घर हो गये
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी छाँव की पर्दादारी गयी रिश्ते सब टूट गये खिल ना सके इन पतझरो के बाद कैद कही हवा पानी हो गये ठूठ से हम बंजर खड़े है खाद्यपानी नेता चर गये अग्नि परीक्षा देते देते हम ओवरेज की उम्र में चले गये खता जो मैने समझी अब तक साजिशों से ठगे गये है बूँद तक की प्यास के लिये कितने पहरे ईजाद किये गये है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #GoodMorning कितने पहरे ईजाद किये गये है
#GoodMorning कितने पहरे ईजाद किये गये है
read moreJAGAT HITKARNI 274
White जय परमेश्वर परमेश्वर हमारी फरियाद सुनो हिंन्दुस्तांनके बनीयोंने मेहको और मोतको सहारे करलीहै काफिर सेठ सौदागर महाजन जमीनमाताके नांमका और संसारके नांमका और ८४ लाख जीवाजुनके नांमका पाप कराते हैं और दुख देके कच्ची उमर में मारते हैं और तीन लोक कि बुद्धी केद कि हैं और यह सब संसार को आप के नांम से जाहिर करते हैं कि परमेश्वर सिवाय ऐसा कोन कर सकता हैं और बदनामी परमेश्वर के सरपे लगादी हैं सो पर यह बात संसारको साध [ अनोपदास ] महाराजने बताई हैं और जो कुछ संसार में बुरा होरहा हैं वोह हिंन्दुस्तांन के बनीयें करारहेहें और हम लोंग तो भुलेहुये-और पागलके मुवाफीक हो गये हैं परमेश्वर और जमीनमाता की पहचांन साध [ अनोपदास ] महाराजने कराई हें ..... परमेश्वर हमारी फरीयाद सुनो और बनीयों का पाप छुडाने में मदद करो क्योंकि गरीबोंका तो तारनेवाला परमेश्वर होता हैं... अज तसनीफ साध अनुपदास लीखी- कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) तमांम पढ़कर बंन्दोबस्त करो छावणी ऐरनपुरामें, शिवगंज - ३०७०२७ (राज.) ता १७ अप्रेल संन १९०९ झा बैसाष बुदी १२ सं॥ १९६५ M. No. :- 8905653801 www.jagathitkarnioriginal.org ©JAGAT HITKARNI 274 जय परमेश्वर परमेश्वर हमारी फरियाद सुनो हिंन्दुस्तांनके बनीयोंने मेहको और मोतको सहारे करलीहै काफिर सेठ सौदागर महाजन जमीनमाताके नांमका और सं
जय परमेश्वर परमेश्वर हमारी फरियाद सुनो हिंन्दुस्तांनके बनीयोंने मेहको और मोतको सहारे करलीहै काफिर सेठ सौदागर महाजन जमीनमाताके नांमका और सं
read moreRUPESH Kr SINHA
............................. ©RUPESH Kr SINHA #घट गये जीवन का एक वर्ष
#घट गये जीवन का एक वर्ष
read moreshayariwaladoctor
उलझनों के बीज जो बोके गया वो आज काँटों वाले घने जंगल हो गये कोई खुशी की रोशनी तक मेरी खिड़की पर नही पहुँचे सारे बादल एक साजिश में खड़े हो गये बस एक प्यार करने की इतनी बड़ी सजा भरोसा करना कब हुआ इतना बड़ा गुनाह दिल भी मेरा टूटे ,दुख भी मेरे हिस्से , क्या खुदा तुम भी मुख मोड़े खड़े हो गये ©shayariwaladoctor उलझनों के बीज जो बोके गया वो आज काँटों वाले घने जंगल हो गये कोई खुशी की रोशनी तक मेरी खिड़की पर नही पहुँचे सारे बादल एक साजिश में खड़े हो गय
उलझनों के बीज जो बोके गया वो आज काँटों वाले घने जंगल हो गये कोई खुशी की रोशनी तक मेरी खिड़की पर नही पहुँचे सारे बादल एक साजिश में खड़े हो गय
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी सुबह शाम रहती थी मेरे नाम अरमान सब के मुझसे जुड़े थे फिक्र सबकी मेरे हिस्से में थी जोड़े रहते सबको एक सूत्र में बस परिवारों की मुस्कराहट पर हम फिदा रहते थे व्यस्त हो गये सब अपने मे अब हम तन्हा अकेले इस पड़ाव पर रह गये प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #tanha हम तन्हा अकेले इस पड़ाव में रह गये
#tanha हम तन्हा अकेले इस पड़ाव में रह गये
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