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Kulbhushan Arora

Dedicating a #testimonial to Sangini ज़िंदगी खेल है खेलते रहना, हरजीत तो खेल में चलती रहेगी, अपने badminton rocket की, तारें कसते और संवारत #yqdidi #yqquotes #yqtestimonial #yqकुलभूषणदीप

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ज़िंदगी...
Badminton ke
खेल की तरह ही है। Dedicating a #testimonial to Sangini 
ज़िंदगी खेल है खेलते रहना,
हरजीत तो खेल में चलती रहेगी,
अपने badminton rocket की,
तारें कसते और संवारत

Hrishabh Trivedi

शेष भाग👉 #hr_ddlj (पहले उन्हें पढ़े) एक गार्डन की बेंच के दो कोनों पर दो लोग बैठे हुए हैं, एक लड़का और एक लड़की, बीच में एक से दो लोगों के #yourquote #yqbaba #yqdidi #yqhindi #hr_story

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DDLJ 2.0
Chapter 4: फिर मेरी याद शेष भाग👉 #hr_ddlj
(पहले उन्हें पढ़े)

एक गार्डन की बेंच के दो कोनों पर दो लोग बैठे हुए हैं, एक लड़का और एक लड़की, बीच में एक से दो लोगों के

CalmKazi

(READ FULL POETRY BELOW) कुछ सुबह की बातें... चाय का ठेला, लगता है हर नुक्कड़ पर । पैदल सड़क पर घूमते हैं लोग, और गाय मदमस्त । लेखक है एक #Morning #दिन #yqbaba #हिंदी #कविता #yqdidi #repost #Allahabad #mycity #छोटेशहर #rememberingchildhood #calmkaziwrites #SmallTownMornings #ReverseTimelineChallenge

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कुछ सुबह की बातें

चाय का ठेला
लगता है हर नुक्कड़ पर
पैदल सड़क पर घूमते हैं लोग और गाय मदमस्त
लेखक है एक कोने में सोता
रात को कुछ थका सा था
वहीँ दूसरी ओर लफंदर लौंडे
ठिठोली करते हैं किसी अनसुनी बात पर
कुछ ऐसी सुबह होती है मेरे शहर में
जैसे रात का साया ही न रहा हो कभी

गिनी चुनी खाली थैलियाँ
और कुछ प्लास्टिक के छोटे खिलोने
बटोर रही वो बूढी अम्मा
और कहीं दूर से घंटियों की टनटनाहट
आती है मेरे कानो में
सुबह की पूजा चल रही होगी उस घर में
कुछ ऐसी सुबह होती है मेरे शहर में
जैसे रात का साया ही न रहा हो कभी (READ FULL POETRY BELOW)

कुछ सुबह की बातें...

चाय का ठेला,
लगता है हर नुक्कड़ पर ।
पैदल सड़क पर घूमते हैं लोग, और गाय मदमस्त ।
लेखक है एक

CalmKazi

This would one of my favorite pieces I wrote long back when I was away from home. Its poignant and reminds me of everything I loved about my #Morning #दिन #सुबह #yqbaba #हिंदी #कविता #yqdidi #छोटेशहर #rememberingchildhood #calmkaziwrites #SmallTownMornings

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कुछ सुबह की बातें

चाय का ठेला
लगता है हर नुक्कड़ पर
पैदल सड़क पर घूमते हैं लोग और गाय मदमस्त
लेखक है एक कोने में सोता
रात को कुछ थका सा था
वहीँ दूसरी ओर लफंदर लौंडे
ठिठोली करते हैं किसी अनसुनी बात पर
कुछ ऐसी सुबह होती है मेरे शहर में
जैसे रात का साया ही न रहा हो कभी

गिनी चुनी खाली थैलियाँ
और कुछ प्लास्टिक के छोटे खिलोने
बटोर रही वो बूढी अम्मा
और कहीं दूर से घंटियों की टनटनाहट
आती है मेरे कानो में
सुबह की पूजा चल रही होगी उस घर में
कुछ ऐसी सुबह होती है मेरे शहर में
जैसे रात का साया ही न रहा हो कभी

(Read caption for full text) This would one of my favorite pieces I wrote long back when I was away from home. Its poignant and reminds me of everything I loved about my

AB

स्कूल के दिनों में पेपर आधा हिंदी आधा अंग्रेजी में देकर आती थी मैं, मालूम होने के बावजूद के पेपर पूरी क्लास के सामने चेक होगा और एक एक

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...... 
     स्कूल के दिनों में पेपर आधा हिंदी आधा अंग्रेजी में देकर आती थी मैं, मालूम होने के बावजूद के पेपर पूरी क्लास के सामने चेक होगा और एक एक

Secret Quotes

अजून तरी काही वाईट केलेलं नाहीये पण आता मला त्या थरावर जाऊ देऊ नका, नाहीतर मला शट्ट फरक नाही पडत कसलाच माझ संपल्यातच जमा केलंय मी, पण ज्यांन

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तळपायाची आग मस्तकी गेलीये आज,
कुणी काही करायला लावेल करशील का?
उद्या खाली पडायला लावेल पडशील का?
उगाच कशाला तोंड वाईट ठरेल माझंही,
काय कमी होत अजून आईला नवरे बघत
आहेत, शप्पत खूप डोक तापलयं आज
तुझ्या आईचा नवरा आहेत का तो त्याने हे
कर म्हटलं की करणार, असेल तो उगाचच 
जवळ नाही धरला तिने, अजून पण भागत
नाही तिचे निजवायला अजून बाकीचे पण
जवळ घेतीये ती, रांडात अन तुझ्यात काय
फरक मग ती पोटा साठी करतीये आणि ही
शरीराच्या भूकेसाठी अजून किती वाईट बोलणार
एवढं सारं झालंय लाज नाही वाटत का,
काही फरक नाही पडत का तिला नसेल पडत
तर पुढे मला ही नाही पडणार मग लक्षात असुदे
म्हणा शेवटी गाठ माझ्याशी आहेत मग,
उगाच जीव आहेत अजून पण म्हणून लांब रहा
सांगतोय तिला नफरत झाली तर तुझे कोणीही
किती पण असुदे वाऱ्यावर कोलतो मी सगळ्यांना
ते तिचे असतील माझे नाही मग कोणी दुश्मन फक्त.
   AS Patil✍️ अजून तरी काही वाईट केलेलं नाहीये पण आता
मला त्या थरावर जाऊ देऊ नका, नाहीतर मला शट्ट
फरक नाही पडत कसलाच माझ संपल्यातच जमा केलंय
मी, पण ज्यांन

Rashmi Hule

मजदूर.... एक दिन पैदल कही जा रहीं थीं। रास्ते का काम शुरू था। फुटपाथ सें गुजर रही थी, तो सामने ही एक बच्चा, जो होगा एक, डेढ़ साल का .. रो रह #YourQuoteAndMine #yostowrimo #मज़दूरीएककहानी

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       True Story... 


Read in caption 👇 मजदूर.... एक दिन पैदल कही जा रहीं थीं। रास्ते का काम शुरू था। फुटपाथ सें गुजर रही थी, तो सामने ही एक बच्चा, जो होगा एक, डेढ़ साल का .. रो रह

Writer1

"ध्यान रहे कि यह कोई प्रतियोगिता नहीं है" दिए गए शब्द (एंटीना, बूस्टर, रंगोली, चित्रहार, बुधवार, रविवार, शुक्रवार, मालगुडी डेज, व्योमकेश बक #Memories #Morning #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #musingtime

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आओ सब को 90's की बात सुनाऊं जब घर में,
शर्ट  वाला  ब्लैक एंड वाइट  टीवी हुआ करता था,
ऊंचाई पर एंटीना होता था, ग्रीष्म काल का महीना था,

उस  वक्त  पारिवारिक  वातावरण की  थी हवाएं,
रंगोली  और  चित्रकार सबका मनोरंजन कराएं,
हर रविवार और शुक्रवार को सुबो-शाम आते थे,
रेडियो सबके पसंदीदा गाना सुना मन था बहलाते थे।

अपराजिता जैसे धारावाहिक हमारे फर्ज से अवगत कराते थे,
मालगुडी  डेस, महाभारत  हमें  इतिहास  से   रुबरु  कराते थे,
रामायण  जैसे  धारावाहिक  हमें  अपने संस्कारों से मिलाते थे।

पिताजी मेरे,  का मनपसंद था व्योमकेश बख्शी,हमारी उत्सुकता बढ़ाते थे,
अगले पल क्या होगा मैं और पिताजी अनुमान लगाकर शर्त लगाते थे।
इसी बहाने से पिताजी हमें जिंदगी का असली सबक सिखाते थे।

मेरे छोटे भाई का अति प्रिय शक्तिमान, काल्पनिक था यह सारा,
परंतु आखिर में पसंदीदा पात्र, सभी दार्शनिक को एक अच्छी बात बताते थे।

दूरदर्शन और   मेरा  बचपन  मानो  एक  जैसा  था, 
दूरदर्शन पर बुनियाद धारावाहिक मेरा अति प्रिय था,
बुनियाद  की  कहानी  मुझे   घर  जैसी  लगती थी।

उस वक्त लोगों का दूरदर्शन पर सबका,
विश्वास था और यह सब के लिए खास था।
 "ध्यान रहे कि यह कोई प्रतियोगिता नहीं है"

दिए गए शब्द (एंटीना, बूस्टर, रंगोली, चित्रहार, बुधवार, रविवार, शुक्रवार, मालगुडी डेज, व्योमकेश बक

Vishesh

#शटर

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Shivani Goyal

शटर वाला टीवी जरूर सुनिए गा शुरू से अंत तक बहुत मजेदार लगेगा। और अच्छा लगे तो जरूर बताइएगा कैसा लगा क्योंकि आप लोग बहुत कंजूसी करते हैं बतान #ज़िन्दगी #TVMemories

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