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Author Harsh Ranjan
एक आदमी है जो खुले में, खुलकर, सही को सही नहीं कहता, गलत को गलत नहीं कहता, वो न कुछ करता है, न करने से बरता है, उसे कुछ करने से गुरेज नहीं है, उसे किसी से परहेज नहीं है, वो न किसी का दोस्त है, वो न किसी का दुश्मन है, वो त्रिया चरित्र का चरम है, उसे बांधे, ऐसा बन्धन नहीं है। वो धरती के शतरंज का खिलाड़ी, हर मंदिर-मसान का पुजारी, वो रियल लाइफ का अभिनेता है, जी वो अनोखा जंतु भारत का नेता है। भारत का नेता
भारत का नेता
read moreAuthor Harsh Ranjan
एक आदमी है जो खुले में, खुलकर, सही को सही नहीं कहता, गलत को गलत नहीं कहता, वो न कुछ करता है, न करने से बरता है, उसे कुछ करने से गुरेज नहीं है, उसे किसी से परहेज नहीं है, वो न किसी का दोस्त है, वो न किसी का दुश्मन है, वो त्रिया चरित्र का चरम है, उसे बांधे, ऐसा बन्धन नहीं है। वो धरती के शतरंज का खिलाड़ी, हर मंदिर-मसान का पुजारी, वो रियल लाइफ का अभिनेता है, जी वो अनोखा जंतु भारत का नेता है। भारत का नेता
भारत का नेता
read moreAakanksha Tripathi
जहाँ चाहा रहा जो चाहा किया कोई आँख दिखाए उसकी क्या मज़ाल यह है नेता का कमाल। भष्ट्राचार के केन्द्र बिन्दु पार्टी के ये सेतु बिन्दु जनता के हैं नेत्र बिन्दु इनकी अनोखी है मिसाल यह है नेता का कमाल। देशहित में कोई चाह नहीं स्वाभिमान की कोई राह नहीं कुर्सी के तो अदलू-बदलू ऐसे भारत माँ के लाल यह है नेता का कमाल। तहलका पर तहलका। कर दिया इन्होंने देश हल्का ये लेते घूस खुल्लम खुल्ला इनसे देश है बेहाल यह है नेता का कमाल। ©Aakanksha Tripathi #नेता का कमाल
#नेता का कमाल
read moreEk villain
सभी दिशाओं में बसंत के उल्लास का माहौल है मगर नेताजी बेहद उदास है पहली बार चुप है पहली बार गंभीर दिन-रात भीड़ के खेल रहे रहनेवाले नेताजी आज निफ्टी अकेले हैं सब कुछ बदला-बदला सा है किंतु देर से बंगले के दरवाजे पर निगाहें गड़ाए बैठे हैं कोई आ ही नहीं रहा जरा सी आहट होती है तो लगता है कहीं से वह तो नहीं पर कोई नहीं होता एक चुनाव क्या हारे जीवन ही बदल गया कल तक देखा भूत नेता आज भूतपूर्व हो गया समय समय की बात है आज वह उस जनता के बिरहा में भी कुल थे जो कभी उनके बिरहा होने पर बड़े-बड़े महाकावे लिख देते थे वह सुबह से ही उन लोगों का इंतजार कर रहे थे जिन्होंने उन्हें प्रतीक्षा कर जीवन को सफल बनाया था महज एक पखवाड़े में ही समय कितना बदल गया है अभी कल की ही बात है वह किसी से बात कर लेते थे तो राजनीतिक गलियारों में चर्चा होने लगती थी किस से बन जाते थे मैं पुरानी यादों में खो गए किंतु अच्छी होली रहती थी सुबह उठते थे अखबारी विभाग की ओर से ठंडाई की बाल्टी तैयार कर मिलती थी खाद विभाग की ओर से मिठाइयों की कतार सजी रहती थी प्रशासन गुलाल की को ज्यादा था उन्हें आश्चर्य लोग क्यों नहीं आए उन्होंने तो हमेशा स्वामी के प्रवचन पर शक होता था आदमी अकेला आता है अकेला ही जाता है उनके साथ तो भीड़ जाएगी पर आज उनके दिल में दर्द उठे लगा विश्वास नहीं होता कि कहीं रास्ते तो नहीं भटक गए मैं बाहर चौराहे तक चक्कर भी लगा रहा है कोई नहीं मिला सारा घर उदास है ना जाने क्या होगा पत्नी का समय कैसे कटेगा ना जाने कितनी महिला समितियों के अध्यक्ष थी ©Ek villain #हारे हुए नेता का दर्द #WorldPoetryDay
#हारे हुए नेता का दर्द #WorldPoetryDay #Society
read moreRahul Shastri worldcitizens2121
Safar July 10,2019 सत्संग का अर्थ होता है गुरु की मौजूदगी! गुरु कुछ करता नहीं हैं, मौजूदगी ही पर्याप्त है। ओशो सत्संग का अर्थ
सत्संग का अर्थ
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