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Shaarang Deepak
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- आज बैठा मुँह छुपाकर कौन है । दो उसे आवाज़ घर पर कौन है ।। जिसकी खातिर कर रहा हूँ मैं दुआ । इस जहाँ में उससे सुंदर कौन है ।।२ देख कण-कण में बसे प्रभु राम जी । पूछता फिर क्यों कि अंदर कौन है ।।३ और कुछ पल धीर धर ले तू यहाँ । वक़्त बोलेगा धुरंधर कौन है ।।४ एक तेरे सिर्फ़ कहने से नहीं । है खबर सबको सिकंदर कौन है ।।५ दौड़ आयेगा हमारे पास तू । गर पता तुझको हो रहबर कौन है ।।६ तुम कहो तो मान भी लें बात हम । बस बता दो तुम विशंभर कौन है ।।७ बंद हो जायेगी तेरी बोलती जानेगा जब तू कलंदर कौन है ।।८ हम सभी इंसान हैं तेरी तरह । खोजता फिर क्यों तू बंदर कौन है ।।९ इस कदर मत कर गुमाँ खुद पर बशर जान ले लिखता मुकद्दर कौन है ।।१० आज दिल की बात मैं पूछूँ प्रखर । तू प्रखर है तो महेन्दर कौन है ।।११ १९/०३/२०२४ -महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- आज बैठा मुँह छुपाकर कौन है । दो उसे आवाज़ घर पर कौन है ।। जिसकी खातिर कर रहा हूँ मैं दुआ । इस जहाँ में उससे सुंदर कौन है ।।२ देख कण-क
Krishna G
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल फूल बागों में खिलाया किसने । पास भँवरो को बुलाया किसने ।।१ प्यार का रिश्ता बना लेते सब । प्यार बोलो ये निभाया किसने ।।२ दर्द देते हैं सभी अपने ही । गैर का नाम जताया किसने ।।३ तीर यूँ ही न चला था दिल पे । तूफाँ दिल में ये उठाया किसने ।।५ चाहता तो था उसे मैं भी अब । बात ये आगे बढ़ाया किसने ।।५ दिल धड़कने तो लगा है मेरा । नाम उसका ये सुझाया किसने ।।६ कोई तो है आज छुपकर बैठा । ओढ़नी मुझ पे गिराया किसने ।।७ भूख से सोते हमारे बच्चे । ये रईसों को बताया किसने ।।८ क्यों प्रखर से हो खफ़ा अब बोलो । उन अदाओं से लुभाया किसने ।।९ १९/०२/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल फूल बागों में खिलाया किसने । पास भँवरो को बुलाया किसने ।।१
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत मन की गति को रोक न पाये , जो भी इस धरती पे आये । मन के बहकावें में भैय्या , सब कुछ अपना खो के आये ।। मन की गति को रोक न पाये..... मन ये मंथन करता रहता , तेरा मेरा कहता रहता । सोचो इस पे पुनः आप भी , क्यों ऐसे ये बहता रहता ।। ध्यान धरो बस इतना भैय्या , नहीं किसी का आने पाये । मन की गति को रोक न पाये.... गति पवन कि तब अति शीतल है , हो मापदंड पे जो निश्चित । जरा तेज गति में जो बहती , हो जाते सब ही फिर चिंतित ।। इच्छा बनें नहीं सुन इर्ष्या , इतना मन काबू में लाये । मन की गति को रोक न पाये ..... बिजली रानी करे उँजाला , दुबका बैठा है अँधियारा । मौका पाते पैर पसारे , हर प्राणी इससे है हारा ।। करो उजाला वो जीवन में , संसार नहीं जलने पाये । मन की गति को रोक न पाये.... मन की गति को रोक न पाये , जो भी इस धरती पे आये । मन के बहकावें में भैय्या , सब कुछ अपना खो के आये ।। १९/०२/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत मन की गति को रोक न पाये , जो भी इस धरती पे आये । मन के बहकावें में भैय्या , सब कुछ अपना खो के आये ।। मन की गति को रोक न पाये.....
Shaarang Deepak
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल:- साथ गुज़रा हुआ कल लाया हूं । सुंदर सपनों का महल लाया हूं ।।१ उसके जूडे का कवल लाया हूं । ख्वाब सारे मैं बदल लाया हूँ ।।२ जो छुपाया था बहीखातों में । मैं उसी की तो नकल लाया हूं ।।३ आप ऐसे तो न हमको देखो । बेच कर आज फसल लाया हूं ।।४ प्यास तेरी ही मिटाने को अब । आँख का अपनी ही जल लाया हूं ।।५ तुम खफ़ा अब न कभी भी होना । मैं खुशी के वो ही पल लाया हूँ ।।६ क्यों प्रखर कर रहे बेजा चिंता । हर मुसीबत का मैं हल लाया हूँ ।।७ १९/०१/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR पोस्ट वन , सेल्फी विद शायरी ग़ज़ल:- साथ गुज़रा हुआ कल लाया हूं । सुंदर सपनों का महल लाया हूं ।।१ उसके जूडे का कवल लाया हूं । ख्वाब सारे मैं ब
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Shree Ram कुण्डलिया :- इनकी उनकी सुन यहाँ , हो जाता बदनाम । मन की अपनी सोंच तू , मन में बसते राम ।। मन में बसते राम , वही हैं जग के स्वामी । उनसे छुपा न भेद , वही हैं अन्तर्यामी ।। ज्ञान उन्हें सब आज , बुद्धि है किनकी ठनकी । समय दिखाए खेल , आज उनकी कल इनकी ।। मिटती देखो है नही , कभी भाग्य की रेख । तुम्हें बताऐं आज क्या , महिमा उनकी देख ।। महिमा उनकी देख , सभी का सिर चकराये । जिनके हाथों आज , धाम वह अपने आये । राम लेख ही एक , सदा जीवन में टिकती । यही भक्त औ प्रेम , प्रभु के मन से न मिटती ।। १९/०१/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- इनकी उनकी सुन यहाँ , हो जाता बदनाम । मन की अपनी सोंच तू , मन में बसते राम ।। मन में बसते राम , वही हैं जग के स्वामी ।