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Kamleshwari Khare
ahabshsjsjxzh shabd Sudhanshu shabd aks in bd hindi pdf pdf download download u all free 🆓 in hindi pdf pdf free download download u all y r #ज़िन्दगी
read moreRAJ RAAJ
ईश्वर कैसा है ? ये जान लिया इंसान ने सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक, , अनश्वर पर ईश्वर नही जान पाया इंसान कैसा है ! पंकज राज ©RAJ RAAJ #मीमांसा
Alam Aftab
मीमांसा वो मुझे सदैव गुलाब के समक्ष मिला जबकि उसे माली के समक्ष होना चाहिए था ©Alam Aftab #Drown मीमांसा
Sudhanshu
इस दुनिया के होने पे मुझे बिलकुल भी अचरज नहीं होता , और नाही इसके " ऐसे " होने पे ताज़ूब का ख्याल ही पैदा होता । कि किसी के भी हिस्से में भी जो ये जिम्मा होता , ना इस से बेहतर कुछ पश्माने ए शमा होता । कि मंजर भी यही होता , उसका बायां भी यूंही होता , हां माटी के ही बुत होते , रंग भी चहुं ओर यही पुता होता , जज़्बात इसी सरीखे भरा होता , हालात भी कुछ यूंही होता । द्वंद परस्पर हर ख्याल में , असमंजस का हाल भी यूंही होता , सवाल यही , भ्रमों का मायाजाल यही होता । सारा ताना बाना और फ़साना भी यूंही सजा होता , जाल बिछे इस मार्ग में धाराओं का प्रवाह यही, बह चलने का द्वार यही होता । राह में ठहराव भी ऐसे बने होते , लगाव भी यही होता अलगाव भी यूंही होता, भोग और वियोग के जड़ों का जोड़ ऐसे ही एक होता , भय और लोभ का गठजोड़ का सोज भी यूंही बुना होता । हां! होते ऐसे ही मौजूद साधन भी प्रसाधन भी , भरमाने को ललचाने को , कृपार्थ भी कृतार्थ भी , अर्थ और स्वार्थ यही , पदार्थ यही होता , दृष्टा समक्ष खुद से खुदी छले जाने का विहंगम दृश्य भी यही हो होता। बेबस हालातों से लड़ती भूख भी होता , आंखे बंद खुदाई ढूंढती भीड़ की दौड़ यही सम्मलित होता , और इन दृश्यों के दर्शक भी सभी , मंजर ये सारे सुलझाने में लगे पथप्रदर्शक भी, यही होता। # मोक्ष मीमांसा
# मोक्ष मीमांसा
read moreAnamika
कहीं भूल न जाऊं, बातों का अपनापन एक pdf बनाकर रख ही लूं क्या? #pdf #अपनापन #tulikagarg
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PDF Submission SItes http://popular10updates.com/25-pdf-submission-sites-2019/
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