Nojoto: Largest Storytelling Platform

New दुई घात समीकरण Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about दुई घात समीकरण from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, दुई घात समीकरण.

    LatestPopularVideo

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चौपई /जयकरी/जयकारी छन्द :- जिसमें व्यापारी का काम । उसको करना दूर प्रणाम ।। घोलो सत्तू पीलो आज । पेट दर्द का करो इलाज ।। बाजारों में देख #कविता

read more
White चौपई /जयकरी/जयकारी छन्द :-
जिसमें व्यापारी का काम । उसको करना दूर प्रणाम ।।
घोलो सत्तू पीलो आज । पेट दर्द का करो इलाज ।।
बाजारों में देख उछाल , कहे शुद्ध है मेरा माल ।।
सब्जी-भाजी है अब काल । सबसे अच्छी सुंदर दाल ।।
कैसे सब हो आज अचेत , स्वस्थ प्रति रहो सभी सचेत ।।
ध्यान लगाकर सुन लो बात । करे मिलावट सीधे घात ।।
मिली-जुली सरकारे आज , पहने बैठी किस्मत ताज ।।
वही मिलेगी वट की छाँव , आओ लौट चले हम गाँव ।।
हैंडपंप का पानी स्वच्छ ,  मिनिरल पानी लगता तुच्छ ।।
ढ़ेले वाला लाओ नोन , करो बी पी को ग्रीन जोन ।।
अपने बदलो अभी विचार , संकट में है यह संसार ।।
वृक्ष लगाओ मिलकर चार । करो प्रकृति से सब मनुहार ।।
दाना-दाना होगी रास , पूर्ण तभी हो जीवन आस ।।
माया नगरी की सौगात , करती सीधा दिल पे घात ।।
सब में बसतें हैं श्री राम , हाथ जोड कर करो प्रणाम ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपई /जयकरी/जयकारी छन्द :-


जिसमें व्यापारी का काम । उसको करना दूर प्रणाम ।।

घोलो सत्तू पीलो आज । पेट दर्द का करो इलाज ।।

बाजारों में देख

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा संतो की वाणी सुनो , सब जन करके ध्यान । हो जायेगा नष्ट सब , सारा तम अभिमान ।। जीवों को आहार मत , बनने दो भगवान । बरसाओ इन पर कृपा , म #कविता

read more
White दोहा

संतो की वाणी सुनो ,  सब जन करके ध्यान ।
हो जायेगा नष्ट सब , सारा तम अभिमान ।।

जीवों को आहार मत , बनने दो भगवान ।
बरसाओ इन पर कृपा , मानव को दो ज्ञान ।।

प्रकृति मोह सबमें रहे , चाहूँ मैं वरदान ।
तेरी माया के बिना , यह जग है अज्ञान ।।

अब तो नंगे नाँच से , जगत रहा पहचान ।
अंग-अंग रहता खुला , कहता ऊँची शान ।।

 बदन सभी ले ढाँक हम , वसन मिलें दो चार ।
वह भी फैशन में छिने , अब सब बे अधिकार ।।

मातु-पिता अब दूर हैं , सास-ससुर अब पास ।
भैय्या-भाभी कुछ नहीं , साला-साली खास ।।

जीवन के हर मोड़ पर , दिया तुम्हीं ने घात ।
अब आकर तुम कर रहे , मुझसे प्यारी बात ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा

संतो की वाणी सुनो ,  सब जन करके ध्यान ।
हो जायेगा नष्ट सब , सारा तम अभिमान ।।

जीवों को आहार मत , बनने दो भगवान ।
बरसाओ इन पर कृपा , म

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

संतो की वाणी सुनो ,  सब जन करके ध्यान । हो जायेगा नष्ट सब , सारा तम अभिमान ।। जीवों को आहार मत , बनने दो भगवान । बरसाओ इन पर कृपा , मानव #कविता

read more
White दोहा :-

संतो की वाणी सुनो ,  सब जन करके ध्यान ।
हो जायेगा नष्ट सब , सारा तम अभिमान ।।
जीवों को आहार मत , बनने दो भगवान ।
बरसाओ इन पर कृपा , मानव को दो ज्ञान ।।
प्रकृति मोह सबमें रहे , चाहूँ मैं वरदान ।
तेरी माया के बिना , यह जग है अज्ञान ।।
अब तो नंगे नाँच से , जगत रहा पहचान ।
अंग-अंग रखकर खुला , कहता ऊँची शान ।।
 बदन सभी ले ढाँक हम , वसन मिलें दो चार ।
वह भी फैशन में छिने , हमसे सब अधिकार ।।
मातु-पिता अब दूर हैं , सास-ससुर अब पास ।
भैय्या-भाभी कुछ नहीं , साला-साली आस ।।
जीवन के हर मोड़ पर , दिया तुम्हीं ने घात ।
अब आकर तुम कर रहे , मुझसे प्यारी बात ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR संतो की वाणी सुनो ,  सब जन करके ध्यान ।

हो जायेगा नष्ट सब , सारा तम अभिमान ।।


जीवों को आहार मत , बनने दो भगवान ।

बरसाओ इन पर कृपा , मानव

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

अधरो पर आकर रुकी , मेरे मन की बात । देख देख रजनी हँसे , न होगी मुलाकात ।। रात अमावस की बड़ी , होती काली रात । सँभल मुसाफिर चल यहाँ , करती #कविता

read more
दोहा :-
अधरो पर आकर रुकी , मेरे मन की बात ।
देख देख रजनी हँसे , न होगी मुलाकात ।।
रात अमावस की बड़ी , होती काली रात ।
सँभल मुसाफिर चल यहाँ , करती पल में घात ।।
रात-रात भर जागकर , रक्षा करे जवान ।
अमन हमारे देश हो , किए प्राण बलिदान ।।
कह दूँ कैसे मैं सजन , अपने मन की बात ।
रजनी मुझको छेड़ती , कह बिरहन की जात ।।
रात-रात करवट लिया , तुम बिन थे बेहाल ।
एक-एक रातें कटी , जैसे पूरा साल ।।
अपने दिल के मैं सभी , दबा रही जज्बात ।
समझाओ आकर सजन , रजनी करे न घात ।।
नींद उड़ी हर रात की , देख फसल को आज ।
करता आज किसान क्या , रुके सभी थे काज ।।
उन पर ही अब चल रहे , सुन शब्दों के बाण ।
रात-रात जो देश हित , त्याग दिए थे प्राण ।।
जो कुछ जीवन में मिला ,  बाबा तेरा प्यार ।
व्यक्त न कर पाऊँ कभी , तेरा वही दुलार ।।
हृदय स्मृतियों में चले ,  बचपन के वह काल ।
हाथ थाम चलते सदा , कहते मेरा लाल ।।
जीते जी भूलूँ नही , कभी आप उपकार ।
कुछ ऐसे हमको दिए , आप यहाँ संस्कार ।।
जीवन में ऐसे नहीं , खिले कभी भी फूल ।
एक परिश्रम ही यहाँ , है ये समझो मूल ।।
बिना परिश्रम इस जगत , मिलते है बस शूल ।
कठिन परिश्रम से यहाँ , खिलते सुंदर फूल ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अधरो पर आकर रुकी , मेरे मन की बात ।

देख देख रजनी हँसे , न होगी मुलाकात ।।


रात अमावस की बड़ी , होती काली रात ।

सँभल मुसाफिर चल यहाँ , करती

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले ,  होता खूब प्रचार ।। मानव सेवा करने को अब... हम आज तुम्हारे शुभचिंतक , #कविता

read more
White गीत :-
मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार ।
देख रहा हूँ गली मुहल्ले ,  होता खूब प्रचार ।।
मानव सेवा करने को अब...

हम आज तुम्हारे शुभचिंतक , करो न हमसे बैर ।
सबको हृदय बसाकर रखता , कहीं न कोई गैर ।।
पाँच-साल में जब भी मौका, मिलता आता द्वार ।
खोल हृदय के पट दिखलाता , तुमको अपना प्यार ।।
मानव सेवा करने को अब ...

देखो ढ़ोंगी और लालची , उतरे हैं मैदान ।
उनकी मीठी बातों में अब , आना मत इंसान ।।
मुझको कहकर भला बुरा वह , लेंगें तुमको जीत ।
पर उनकी बातें मत सुनना, होगी तेरी हार ।
मानव सेवा करने को अब.....

सब ही ऐसा कहकर जाते , किसकी माने बात ।
सच कहते हो कैसे मानूँ , नहीं करोगे घात ।।
अब जागरूक है ये जनता ,ये तेरा व्यापार ।
अपनों को तो भूल गये हो , हमे दिखाओ प्यार ।।
मानव सेवा करने को अब ....

सच्ची-सच्ची बात बताओ , इस दौलत का राज ।
मुश्किल हमको रोटी होती , सफल तुम्हारे काज ।।
सम्पत्तिन तुम्हारे पिता की, और नहीं व्यापार ।
हमकों मीठी बात बताकर , लूटो देश हमार ।
मानव सेवा करने को अब.....

मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार ।
देख रहा हूँ गली मुहल्ले ,  होता खूब प्रचार ।।

२०/०४/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार ।

देख रहा हूँ गली मुहल्ले ,  होता खूब प्रचार ।।

मानव सेवा करने को अब...


हम आज तुम्हारे शुभचिंतक ,

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चौपई /जयकारी छन्द १ मातु-पिता को करूँ प्रणाम । वो ही रघुवर है घनश्याम ।। थाम चले वह मेरा हाथ । और न देता जग में साथ ।। २ #कविता

read more
चौपई /जयकारी छन्द
१
मातु-पिता को करूँ प्रणाम ।
वो ही रघुवर है घनश्याम ।।
थाम चले वह मेरा हाथ ।
और न देता जग में साथ ।।
२
जीवन की बस इतनी चाह ।
पिता दिखाए हमको राह ।।
पाकर गुरुवर से मैं ज्ञान ।
बन जाऊँ मैं भी इंसान ।।
३
जीवन साथी है अनमोल ।
मीठे प्यारे उसके बोल ।।
घर उसके ले गया बरात ।
पूर्ण किया फिर फेरे सात ।।
४
मानूँ उसकी सारी बात ।
कभी न मिलता मुझको घात ।।
कहती दुनिया मुझे गुलाम ।
लेकिन जग में होता नाम ।।

०३/०४/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपई /जयकारी छन्द

१
मातु-पिता को करूँ प्रणाम ।
वो ही रघुवर है घनश्याम ।।
थाम चले वह मेरा हाथ ।
और न देता जग में साथ ।।
२

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विषय :-  लोकतंत्र का उत्सव ,(मतदान) भूल नहीं माँ बहनो जाओ , करने को मतदान । एक-एक मत से है मिलता , तुमको नेक प्रधान ।।भूल-नहीं... देखो लालच #कविता

read more
voters day quotes in hindi विषय :-  लोकतंत्र का उत्सव ,(मतदान)
भूल नहीं माँ बहनो जाओ , करने को मतदान ।
एक-एक मत से है मिलता , तुमको नेक प्रधान ।।भूल-नहीं...
देखो लालच में मत पड़ना , सभी लगाये घात ।
बिजली पानी सड़क खडंजा , लाये हैं सौगात ।।
इनमें उलझ-उलझ कर देखो ,  खोना मत ईमान ।भूल नहीं ...
बनके राजा जब बैठेंगे , देंगे पग-पग शूल ।
मगर नहीं दे सकते तुमको, वे बच्चों का स्कूल ।।
अब खोल-खोल स्कूल जगत में, बनते सब धनवान ।भूल नहीं ..
अपना मत अपनी इच्छा से , देने का अधिकार ।
बनो सजग मतदाता जग के , यह जग है परिवार ।।
आसमान जब छुए तिरंगा , बढ़े देश का शान ।भूल नहीं...
विरला ही भोता है जग में , नेता एक महान ।
चोर लुटेरे देख आज लो , करते धन को दान ।।
इसी लोभ में फँसता देखो , भोला हर इंसान ।भूल नहीं...
भूल नहीं माँ बहनो जाओ , करने को मतदान ।
एक-एक मत से है मिलता , तुमको नेक प्रधान ।।
२८/०३/२०२४       -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विषय :-  लोकतंत्र का उत्सव ,(मतदान)
भूल नहीं माँ बहनो जाओ , करने को मतदान ।
एक-एक मत से है मिलता , तुमको नेक प्रधान ।।भूल-नहीं...
देखो लालच

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल न मुश्किल समझ अब मुलाकात करना । मगर सोच ले दिल तू क्या बात करना ।। बुरा मत समझ तू यहाँ काम कोई । मिले काम जो भी शुरूआत करना ।। #शायरी

read more
ग़ज़ल

न मुश्किल समझ अब मुलाकात करना ।
मगर सोच ले दिल तू क्या बात करना ।।

बुरा मत समझ तू यहाँ काम कोई ।
मिले काम जो भी शुरूआत करना ।।

न सोचा हुआ है जहाँ में किसी का ।
तो फिर क्यों खुदा से सवालात करना ।।

किसी के लिए मत परेशान होना ।
खुदा जानता है कहाँ रात करना ।।

चले काम जैसे चला ले यहाँ तू ।
नहीं स्वार्थ में तू कभी घात करना ।।

सँभल कर रहो लोग मीठे बहुत हैं ।
बयाँ उनसे दिल के न जज़्बात करना ।।

प्रखर चाहते हो अगर तुम सिया को ।
नहीं दूर उसके ख़यालात करना ।।

२८/०२/२०२४    -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR 
ग़ज़ल

न मुश्किल समझ अब मुलाकात करना ।
मगर सोच ले दिल तू क्या बात करना ।।

बुरा मत समझ तू यहाँ काम कोई ।
मिले काम जो भी शुरूआत करना ।।
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile