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Parasram Arora
जिंदगी क़ी चाह तो उस ठूंठ को भी है ज़ो बदकिस्मती से इस म रुभूमि मे बेमतलब उग आया है र्एक लम्बे समय से उसकी प्यास चरमसीमा पर पहुंच चुकी है और जीना भी उसका दुशवार हुआ है अभी भी ज़ब कभी वो आकाश.मे मंडराते बादलो को देखता है तो ऊसे आशा बंधने लगती है कभी तो उसकी खुश्क टहनियो भी हरी होंगी.उन पर भी पत्तीया फैलेगी और परिंदे आकर उस पर बैठ कर चहचाहाएंगे अभी फिलहाल तो वो किसी तरह इन मृगमरीचकाओ और अपनी थोथी कसल्पनाओं के सहारे अपनी जिंदगी के बचें खुचे दिन गुज़ारने के लिये विवश है ©Parasram Arora एक ठूंठ क़ी अभिलाषा
Disha Shantanu Sharma
रिश्तों के खत्म होने पर उनके बाद दिल में बचा रह जाता है याद रूपी ठूंठ फिर अक्सर जाने अनजाने हम टकरा बैठते है उसी ठूंठ से और फिर न चाहते हुए भी ज़ख्म हरे हो जाते है दिल के ठूंठ #yqquotes #yqhindi #yqdiary #yqbabaquotes #yqdidi #lifelessons
JITENDRA SHIVA
आभ में तारा घणा पण चाँद कोनी दीखता ऊदेस लाख पण आस कोनी एकलो ऊबो अरकड़ो तीर माथे देखतो उण तीर ऊबा खेजड़ा ने डाळियां दिन में रबारी छांग नाखी डींगड़े तुर्रा सरीखी डाळ राखी हीरां जड़ियो तरळ जळ लेवे हिलोळा दे दिया सबने अँधारो स्याम चोळा थिर थिरकती बायरा री लेर चाले काळी काळी डींगड़े री डाळ हाले ठूँठ ऊबो कर उठायां नीर आगे इंव लखे करसो किपणियो मेह मांगे तारां रो ऊजास घणो नी रोवण देला पण अँधियारो रात रो नई सोवण देला।। #ठूंठ #एकलो एक राजस्थानी रचना ✍️jitendra shiva
निर्भय चौहान
एक ठूंठ बचा है, उस बरगद का अब भी। घर के सामने । जिसकी छाया में पले बढ़े, अभियंता ने उसके कटने के तरीका बताया। कहीं गिर न पड़े घर की किसी दीवार पे। एक मुखिया जी भी उसी पे झूल राजनीति के फूल बने थे। उन्होंने ने ही सुझाव रखा था, मनरेगा के तहत उसी जगह बनानी है। एक सामुदायिक पार्क। घर की स्त्रियां भी तंग थी, उसपर रहने वाले पंछी से। छठ में गेहूं सुखाना मुश्किल हो जाता है। एक वास्तुकार जिसने जाने कितने खिलोने बनाये। उसी बरगद की शाखाओं से, पत्तों से बनी थी सूंदर नाव, बरसात में बचपन को आनन्द के पर देने को। उसने तो अशुभ कह डाला इसे। आर्थिक और सामाजिक नुकसान का उत्तरदायी ठहरा दिया उसको। बस एक कवि है जो जानता अपने कर्मो से बनता है इंसान। एक कवि ही है जो ठूंठ की खामोशी में पंछियो का रोष सुन रहा है। देख रहा है एक बरगद का इस्तेमाल होते हुए। अपनी श्रेष्ठता के लिए।। क्योंकि सर्वस्व समर्पण उपरांत उपेक्षा का दंश समझता है ये। कवि स्वयं बरगद की तरह हो रहा है। ठूंठ।। निर्भय चौहान। ©nirbhay chauhan #ठूंठ #Nojoto #Love #writer #कविता #trending #mukhota Anshu writer सत्य Vishalkumar "Vishal" Naushad Ahmad Nazar sunayana jasmine
Adbhut Alfaz
झूठ और सच बिक जाता बाजार में, पलक झपकते झूठ! सच लेकर बैठे रहो, बन जाओगे ठूंठ!! © चीनू शर्मा 'अद्भुत' #सच_झूठ बिक जाता बाजार में पलक झपकते झूठ! सच लेकर बैठे रहो, बन जाओगे ठूंठ!! © चीनू शर्मा 'अद्भुत' A@isha_rana Priti Nagar Ayushi Agrawal P
✍ अमितेश निषाद
दर्द जब भी दवा बन के आता है वो सबको अपना इश्क़ सुनाता है जिसको सुनना है वही नहीं सुनता पगला जले ठूंठ से भी बतियाता है ✍️ अमितेश निषाद ( सुमित ) दर्द जब भी दवा बन के आता है वो सबको अपना इश्क़ सुनाता है जिसको सुनना है वही नहीं सुनता पगला जले ठूंठ से भी बतियाता है
Dr Jayanti Pandey
सबको तलाश है छाया किसी हरे भरे छतनार पेड़ की जिसके नीचे बैठकर कुछ पल आराम आ जाए जिंदगी के ताप में थोड़ा विराम आ जाए। #जयन्ती सबको तलाश है छाया किसी हरे भरे छतनार पेड़ की जिसके नीचे बैठकर कुछ पल आराम आ जाए जिंदगी के ताप में थोड़ा विराम आ जाए।
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
अदम गोंडवी की कलम से प्रस्तुत है- बुद्धिजीवी के यहाँ सूखे का मतलब और है ठूंठ में भी सेक्स का एहसास लेकर क्या करें गर्म रोटी की महक पागल
Rakesh Kumar Dogra
ज़िन्दगी उजड़ जाए न ये प्रकृति उस पेड़ की तरह, बैठक में सजा हो 'ठूंठ' बानजाई की तरह। देखो ये गमज़दा* है खुशी से एक दम मर जाएगा, जो बची है खुशी