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Arti Acharya

ठूंठ #शायरी

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Parasram Arora

एक ठूंठ क़ी अभिलाषा #कविता

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जिंदगी क़ी चाह  तो उस ठूंठ को भी है
ज़ो बदकिस्मती से इस 
म रुभूमि मे बेमतलब उग आया है
र्एक लम्बे समय से उसकी प्यास  चरमसीमा पर  पहुंच चुकी है 
और  जीना भी उसका दुशवार हुआ है
अभी भी ज़ब कभी वो  आकाश.मे मंडराते बादलो को
देखता है तो ऊसे आशा  बंधने लगती है
कभी तो उसकी खुश्क टहनियो  भी हरी होंगी.उन पर  भी  पत्तीया  फैलेगी  और परिंदे आकर उस पर बैठ कर
चहचाहाएंगे
अभी फिलहाल तो वो किसी तरह इन मृगमरीचकाओ
और अपनी  थोथी कसल्पनाओं  के सहारे अपनी
जिंदगी के बचें खुचे दिन गुज़ारने के लिये विवश है

©Parasram Arora एक ठूंठ  क़ी अभिलाषा

Disha Shantanu Sharma

रिश्तों के खत्म होने पर
उनके बाद दिल में बचा 
रह जाता है याद रूपी ठूंठ
फिर अक्सर जाने अनजाने
हम टकरा बैठते है उसी ठूंठ से
और फिर न चाहते हुए भी 
ज़ख्म हरे हो जाते है दिल के ठूंठ

#yqquotes 
#yqhindi 
#yqdiary 
#yqbabaquotes 
#yqdidi 
#lifelessons

JITENDRA SHIVA

#ठूंठ #एकलो एक राजस्थानी रचना ✍️jitendra shiva

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आभ में तारा घणा पण चाँद कोनी
दीखता ऊदेस लाख पण आस कोनी
एकलो  ऊबो  अरकड़ो  तीर  माथे
देखतो उण  तीर  ऊबा  खेजड़ा ने
डाळियां दिन में रबारी छांग नाखी
डींगड़े  तुर्रा  सरीखी  डाळ  राखी
हीरां जड़ियो तरळ जळ लेवे हिलोळा
दे दिया सबने अँधारो स्याम चोळा
थिर थिरकती बायरा री  लेर चाले
काळी काळी डींगड़े री डाळ हाले
ठूँठ  ऊबो  कर उठायां  नीर आगे
इंव लखे करसो किपणियो मेह मांगे
तारां रो ऊजास घणो नी रोवण देला
पण अँधियारो रात रो नई सोवण देला।। #ठूंठ #एकलो एक राजस्थानी रचना
✍️jitendra shiva

निर्भय चौहान

ठूंठ Love writer कविता trending mukhota Anshu writer सत्य Vishalkumar "Vishal" Naushad Ahmad Nazar sunayana jasmine

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एक ठूंठ बचा है,
उस बरगद का अब भी।
घर के सामने ।
जिसकी छाया में पले बढ़े,
अभियंता ने उसके कटने के तरीका बताया।
कहीं गिर न पड़े घर की किसी दीवार पे।
एक मुखिया जी भी उसी पे झूल 
राजनीति के फूल बने थे।
उन्होंने ने ही सुझाव रखा था,
मनरेगा के तहत उसी जगह बनानी है।
एक सामुदायिक पार्क।

घर की स्त्रियां भी तंग थी,
उसपर रहने वाले पंछी से।
छठ में गेहूं सुखाना मुश्किल हो जाता है।

एक वास्तुकार जिसने जाने कितने खिलोने बनाये।
उसी बरगद की शाखाओं से,
पत्तों से बनी थी सूंदर नाव,
बरसात में बचपन को आनन्द के पर देने को।
उसने तो अशुभ कह डाला इसे।
आर्थिक और सामाजिक नुकसान का उत्तरदायी ठहरा दिया उसको।

बस एक कवि है जो जानता 
अपने कर्मो से बनता है इंसान।
एक कवि ही है जो ठूंठ की खामोशी
में पंछियो का रोष सुन रहा है।
देख रहा है एक बरगद का इस्तेमाल होते हुए।
अपनी श्रेष्ठता के लिए।।
क्योंकि सर्वस्व समर्पण उपरांत
उपेक्षा का दंश समझता है ये।
कवि स्वयं बरगद की तरह हो रहा है।
ठूंठ।।

निर्भय चौहान।

©nirbhay chauhan #ठूंठ #Nojoto #Love #writer #कविता #trending 

#mukhota  Anshu writer  सत्य Vishalkumar "Vishal" Naushad Ahmad Nazar sunayana jasmine

Adbhut Alfaz

#सच_झूठ बिक जाता बाजार में पलक झपकते झूठ! सच लेकर बैठे रहो, बन जाओगे ठूंठ!! © चीनू शर्मा 'अद्भुत' A@isha_rana Priti Nagar Ayushi Agrawal P #शायरी

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झूठ और सच बिक जाता बाजार में, पलक झपकते झूठ!
सच लेकर बैठे रहो, बन जाओगे ठूंठ!!
© चीनू शर्मा 'अद्भुत' #सच_झूठ

बिक जाता बाजार में पलक झपकते झूठ!
सच लेकर बैठे रहो, बन जाओगे ठूंठ!!
© चीनू शर्मा 'अद्भुत' 
A@isha_rana Priti Nagar Ayushi Agrawal P

✍ अमितेश निषाद

दर्द जब भी दवा बन के आता है वो सबको अपना इश्क़ सुनाता है जिसको सुनना है वही नहीं सुनता पगला जले ठूंठ से भी बतियाता है

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दर्द जब भी दवा बन के आता है
वो सबको अपना इश्क़ सुनाता है
 जिसको सुनना है वही नहीं सुनता
पगला जले ठूंठ से भी बतियाता है

                       ✍️ अमितेश निषाद ( सुमित ) दर्द जब भी दवा बन के आता है
वो सबको अपना इश्क़ सुनाता है
 जिसको सुनना है वही नहीं सुनता
पगला जले ठूंठ से भी बतियाता है

Dr Jayanti Pandey

सबको तलाश है छाया किसी हरे भरे छतनार पेड़ की जिसके नीचे बैठकर कुछ पल आराम आ जाए जिंदगी के ताप में थोड़ा विराम आ जाए। #जयन्ती #मयार #jayakikalamse

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सबको तलाश है 
छाया किसी हरे भरे 
छतनार पेड़ की
जिसके नीचे बैठकर 
कुछ पल आराम 
आ जाए
जिंदगी के ताप में
थोड़ा विराम आ जाए।
#जयन्ती
 सबको तलाश है 
छाया किसी हरे भरे 
छतनार पेड़ की
जिसके नीचे बैठकर 
कुछ पल आराम 
आ जाए
जिंदगी के ताप में
थोड़ा विराम आ जाए।

Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)

अदम गोंडवी की कलम से प्रस्तुत है- बुद्धिजीवी के यहाँ सूखे का मतलब और है ठूंठ में भी सेक्‍स का एहसास लेकर क्‍या करें गर्म रोटी की महक पागल #Kalamse #adamgondvi

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 अदम गोंडवी की कलम से प्रस्तुत है- 

बुद्धिजीवी के यहाँ सूखे का मतलब और है 
ठूंठ में भी सेक्‍स का एहसास लेकर क्‍या करें
गर्म रोटी की महक पागल

Rakesh Kumar Dogra

ज़िन्दगी उजड़ जाए न ये प्रकृति उस पेड़ की तरह, बैठक में सजा हो 'ठूंठ' बानजाई की तरह। देखो ये गमज़दा* है खुशी से एक दम मर जाएगा, जो बची है खुशी

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 ज़िन्दगी 
उजड़ जाए न ये प्रकृति उस पेड़ की तरह,
बैठक में सजा हो 'ठूंठ' बानजाई की तरह।

देखो ये गमज़दा* है खुशी से एक दम मर जाएगा,
जो बची है खुशी
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