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Dr Jayanti Pandey

मित्रता दिवस की सभी को शुभकामनाएं उम्र की शैतानी हो या बड़ी विकट परेशानी हो दुनिया की आनाकानी हो हो कोई संकट,

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कैसी भी हो परीक्षा
पूरी करनी हो कोई इच्छा
बॉस की करनी हो समीक्षा
या अन्य कोई संत्रास हो,
सारा रायता सिमटाने को
मित्र जरूरी है।
जब मन में भ्रम कोई आए
मन अपने पर इतराए;
उड़ने की हसरत जागे
और खुशामद सच लागे,
तो टंगड़ी लगाकर फिर
धरती पर लाने को 
मित्र जरूरी है।

(पूरी रचना अनुशीर्षक में पढ़ें) 

मित्रता दिवस की सभी को शुभकामनाएं

उम्र की शैतानी हो
या बड़ी विकट परेशानी हो
दुनिया की आनाकानी हो 
हो कोई संकट,

Dr Jayanti Pandey

उसकी चांद बाली (लघुकथा) ..…...........….……............ वह शायद राजस्थान से थी। बातचीत से तो कुछ ऐसा ही लगता था। अक्सर सब्जी की टोकरी लेकर आ जाती थी मेरे मोहल्ले में । मेरी सासू मां को उसकी लाइ सब्जियां बहुत अच्छी लगती थी। ज्यादा भाव ताव भी नहीं करती थी। अम्मा जो भी दे दें उस पर राज़ी रहती थी। बदले में अम्मा उसे कुछ न कुछ अतिरिक्त देती रहती थी। कभी पुरानी धोती कभी बच्चों के लिए कुछ खाने को कभी और भी किसी तरह की जरूरत का सामान है,जो भी वो अम्मा से मांगे। दोनों में बड़ी मीठी से मित्रता और स्नेह बन

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उसकी चांद-बाली (लघु कथा)

(रचना अनुशीर्षक में पढ़ें) उसकी चांद बाली (लघुकथा)
..…...........….……............
वह शायद राजस्थान से थी। बातचीत से तो कुछ ऐसा ही लगता था। अक्सर सब्जी की टोकरी लेकर आ जाती थी मेरे मोहल्ले में । मेरी सासू मां को उसकी लाइ सब्जियां बहुत अच्छी लगती थी। ज्यादा भाव ताव भी नहीं करती थी। अम्मा जो भी दे दें उस पर राज़ी रहती थी। बदले में अम्मा उसे कुछ न कुछ अतिरिक्त देती रहती थी। कभी पुरानी धोती कभी बच्चों के लिए कुछ खाने को कभी और भी किसी तरह की जरूरत का सामान है,जो भी वो अम्मा से मांगे। दोनों में बड़ी मीठी से मित्रता और स्नेह बन

Dr Jayanti Pandey

अपने ही रंग में रहो …........................ खुद रंग रहो खुश रंग रहो सब साथ चलें तो संग रहो वरना अपने में मग्न रहो रह सको तो खुद मुख्तार रहो अपने सपनों के संग बहो। यह जीवन बहुत अमोल मिला,

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खुद रंग रहो खुश रंग रहो
सब साथ चलें तो संग रहो
वरना अपने में मग्न रहो
रह सको तो खुद मुख्तार रहो
अपने सपनों के संग बहो।
यह जीवन बहुत अमोल मिला,
इसको ना बेरंग करो,
खुद रंग रहो खुश रंग रहो।

(पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें) अपने ही रंग में रहो
…........................
खुद रंग रहो खुश रंग रहो
सब साथ चलें तो संग रहो
वरना अपने में मग्न रहो
रह सको तो खुद मुख्तार रहो
अपने सपनों के संग बहो।
यह जीवन बहुत अमोल मिला,

Dr Jayanti Pandey

पूर्ण नहीं है पुरुष बिना स्त्रीत्व के भाव की प्रवणता स्वभाव की शीतलता ममता की छांव अथक निभाव प्रेम के लिए सर्वस्व

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अर्धनारीश्वर

(पूरी रचना अनुशीर्षक में पढ़ें)
 
पूर्ण नहीं है पुरुष 
बिना स्त्रीत्व के 
भाव की प्रवणता 
स्वभाव की शीतलता 
ममता की छांव 
अथक निभाव 
प्रेम के लिए सर्वस्व

Dr Jayanti Pandey

#मीठे_झूठ #yqdidi #yqhindi # jayakikalamse

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सौ मीठे झूठों से अच्छा एक कड़वा सच कह देना
थोड़ी देर की पीड़ा होगी पर आसां होगा सह लेना।

विश्वास का मोती टूट चटक जब अपनी आभा खोता है
चाहे जितना जोर लगा लो फिर पहले सा ना होता है।

#जयन्ती #मीठे_झूठ #yqdidi #yqhindi # jayakikalamse

Dr Jayanti Pandey

रिवाज़ संस्कारों की वो पूंजी है
जो अतीत भविष्य को सौंपता है।
#जयन्ती #विरासत #yqdidi #yqhindi #jayakikalamse

Dr Jayanti Pandey

सबको तलाश है छाया किसी हरे भरे छतनार पेड़ की जिसके नीचे बैठकर कुछ पल आराम आ जाए जिंदगी के ताप में थोड़ा विराम आ जाए।

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सबको तलाश है 
छाया किसी हरे भरे 
छतनार पेड़ की
जिसके नीचे बैठकर 
कुछ पल आराम 
आ जाए
जिंदगी के ताप में
थोड़ा विराम आ जाए।
#जयन्ती
 सबको तलाश है 
छाया किसी हरे भरे 
छतनार पेड़ की
जिसके नीचे बैठकर 
कुछ पल आराम 
आ जाए
जिंदगी के ताप में
थोड़ा विराम आ जाए।

Dr Jayanti Pandey

छोड़ो भी, मत हिसाब रखो 
मन की स्लेट यूं साफ रखो
मत रखो उन बातों को जो 
तुमको पीड़ा पहुंचाती है 
छोड़ो उन जज्बातों को 
जो उद्वेलित कर जाते हैं।
कुछ भी नहीं है अनायास
सबकी भूमिका है खास
दर्शक सा देखो जीवन को
अपने हिस्से का पूरी निष्ठा
से मन भर बस प्रयास रखो
छोड़ो भी,मत हिसाब रखो
#जयन्ती
 #छोड़ो#yqdidi#yqhindi#jayakikalamse

Dr Jayanti Pandey

स्त्री को स्त्री होना सिखलाते हो, प्रकृति को रितुओं का क्रम समझाते हो, बंदिशों को सजा धजा कर कर्तव्य बनाते हो, वाह मियां बड़े काबिल हो, किसे भरमाते हो। मां-बाप की ड्यूढ़ी से पति के आंगन तक, लकीर सी पड़ी हुई है यम के आलिंगन तक,

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स्त्री को स्त्री होना सिखलाते हो स्त्री को स्त्री होना सिखलाते हो,
प्रकृति को रितुओं का क्रम समझाते हो,
बंदिशों को सजा धजा कर कर्तव्य बनाते हो,
वाह मियां बड़े काबिल हो, किसे भरमाते हो।

मां-बाप की ड्यूढ़ी से पति के आंगन तक,
लकीर सी पड़ी हुई है यम के 
 आलिंगन तक,

Dr Jayanti Pandey

दिखती नहीं हैं अक्सर         कमजोर दिल तो दूर से
पर दीवारें कई हैं।               ही इनके दीदार कर लें              
मोहब्बत की जेलों              सख्त जान को जिंदगी
की मीनारें कई हैं।               नज़र करने के इदारे कई हैं।

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