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आगाज़
White धूप किसी बंध्या-सी जिस पर सेंदुर बरक चढ़ाकर, अपना दूध हीन आंचल फैलाकर रो रही है, भारी मन से गाना पड़ता संध्या हो रही है। क्षितिज थाल में नखत-दिया ले खड़ी कुरूपा मौन, चांद सरीखा साजन उसको दे इस युग में कौन, जबकि धरा उसकी विधवा माँ बूढ़ी और गरीबिन, किसी पहाड़िन जैसी तम का बोझा ढो रही है, भारी मन से गाना पड़ता संध्या हो रही है। ©आगाज़ #सावन aditi the writer amit pandey
Ek Kahani Gulabjamun Love Samosa
Khuda Aur Mohabbat #pakdrama #khudaaurmohabbat #ekkahanigulabjamunlovesamosa #Trending #writer #writing #Love
read moreDeepa Ruwali
तुम्हारे इंतजार में बैठे रहे। सावन की ये रिमझिम झड़ियां अनवरत बरसती रहीं, ये आंखें तुम्हें देखने के लिए न जाने कब तक तरसती रहीं । न तुम आए, और न तुम्हारे आने की आस रही, तुम जान नहीं सकते कि ये तन्हाइयां हमें किस क़दर खटकती रहीं। हम पहाड़ी पर उतरे हुए उन बादलों को देखे रहे, और साथ–साथ तुम्हारे इंतजार में बैठे रहे। झरने की भांति आंखों से झर–झर पानी झरता रहा, मिलन का एक ख़्वाब भी मन ही मन में तिरता रहा। हम झमाझम बारिश में खेत की मेढ़ में बैठे भीगते रहे, न जाने क्यों इन मोतियों सी बूंदों को देखकर भी भीतर से कुछ–कुछ खीझते रहे।। तुम्हारे आने की आस न होने पर भी हम क्रोध में वहीं पर ऐंठे रहे, बदन ठंड से कुढ़ने लगा फिर भी हम यूं ही बैठे रहे। न तुम आए और न तुम्हारे आने की आस रही, कुछ न रहा हमारे पास, बस तन्हाइयां ही साथ रहीं। कैसे बताएं कि हम उस हाल में कैसे रहे, ख़ुद को अपनी ही बाहों में पकड़े बैठे रहे। हम उस पार पहाड़ी से गिरते सफ़ेद झरने को देखे रहे, और साथ–साथ तुम्हारे इंतजार में बैठे रहे।। नदियों का कोलाहल न जाने क्यों शोर मचाता रहा, मेघों की गर्जन सुनते ही ये मन भी तुमसे मिलने के लिए जोर लगाता रहा। बैठे–बैठे इंतजार के सिवा और क्या हमारे हाथ में था? बारिश, एकांत, नदियों का कोलाहल, मेघों का गर्जन,सब हमारे साथ में था, बस एक तू ही था जो हमारे पास में न था। न जाने क्यों हम एकांत में भी वहीं पर ऐंठे रहे, हम पहाड़ी पर से बादलों को ऊपर उड़ते देखे रहे, और साथ साथ तुम्हारे इंतजार में बैठे रहे।। ©Deepa Ruwali #kavita #kavya #poetry #writer #writing #thought
आगाज़
White एक लम्हा तेरे संग जीवन के मिल जाए रंग सुहानी सुबह और सुहानी शाम बस साकार हो जाए ये अलाप ©आगाज़ #लव Niaz (Harf) aditi the writer
Deepa Ruwali
हमें अंत तक लड़ना होगा जीवन एक महासंग्राम है, हर हाल में इससे लड़ने का साहस करना होगा। हार का डर भीतर हरगिज़ न रहे, हमें अंत तक लड़ना होगा, ये अगर गमों का सागर बन सामने आए, तो हर हाल में इसे तरना होगा, भीरूता से परे होकर वीरता से कार्य करना होगा बुज़दिलों की भांति हारकर मरना कदापि उचित नहीं, हमें अंत तक लड़ना होगा।। न कोई संगी और न कोई साथी होगा, बस संग अपने साहस रहे, इतना ही काफ़ी होगा। हम लड़ने के लिए समर्थ हैं, हर क़दम पर हमारी इसी दृढ़ विश्वास की नींव को हिलाया जायेगा, इस सफ़र में आगे बढ़ते–बढ़ते हर दफा हमें खौफ़ का ज़हर भी पिलाया जायेगा। बावजूद इसके भी हमें कदापि न मरना होगा, हम बुज़दिल नहीं हैं, हमें अंत तक लड़ना होगा।। जीवन का ये सफ़र कई बार मन को भाएगा नहीं, भीतर से पराजित होने का डर भी जायेगा नहीं। किसी भी हाल में हमें पीछे नहीं मुड़ना होगा पूरी सामर्थ्य के साथ इस रास्ते पर आगे बढ़ना होगा। अन्यथा हम जीवन को व्यर्थ में चर रहे होंगे, जिंदा होकर भी पल-पल मर रहे होंगे। ऐसा न हमें करना होगा, हम बुज़दिल नहीं हैं, हमें अंत तक लड़ना होगा।। ©Deepa Ruwali #traintrack #Life #kavita #Poetry #thought #writing #writer
आगाज़
White "दिल के दर्द को छुपाना सीख लिया हमने, हंसते हुए भी गम को छुपाना सीख लिया हमने। सोचते रहे, लोग हमें क्या समझेंगे, पर उनके बिना जीना सीख लिया हमने।" ©आगाज़ #दर्द Niaz (Harf) aditi the writer
आगाज़
White गजब है ना ये चांद खुशी में भी चुप रहता है ओर दिल टूटने पर आंसू बहाने में साथ देता है पर चुप रह के जीने का सहारा रहता है ©आगाज़ #rajdhani_night aditi the writer Niaz (Harf)
#rajdhani_night aditi the writer Niaz (Harf) #शायरी
read moreआगाज़
White दिल के टूटने का पता तब चला, जब खुद पर विश्वास करना छोड़ दिया। --- ©आगाज़ #दर्द aditi the writer Niaz (Harf)