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Nitu Singh जज़्बातदिलके
White पूरब से *प्रतिष्ठा*, पश्चिम से *प्रारब्ध*, उत्तर से *उन्नति*, दक्षिण से *दायित्व*, ईशान से *एश्वर्य*, नैऋत्य से *नैतिकता*, आग्नेय से *आकर्षण*, वायव्य से *वैभव*, आकाश से *आमदनी* एवं पाताल से *पूँजी*..... दसों दिशाओं से सुख, शांति, समृद्धि एवं सफलता प्राप्त हो यही *शुभकामनाएँ* हैं। #Kumbhmela2025 ©Nitu Singh जज़्बातदिलके पूरब से *प्रतिष्ठा*, पश्चिम से *प्रारब्ध*, उत्तर से *उन्नति*, दक्षिण से *दायित्व*, ईशान से *एश्वर्य*, नैऋत्य से *नैतिकता*, आग्नेय से *आकर्षण
पूरब से *प्रतिष्ठा*, पश्चिम से *प्रारब्ध*, उत्तर से *उन्नति*, दक्षिण से *दायित्व*, ईशान से *एश्वर्य*, नैऋत्य से *नैतिकता*, आग्नेय से *आकर्षण
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
Village Life अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी, यहाँ अब किसका इंतज़ार है। रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती, कहीं धूप है, तो कहीं छांव है। चल पड़ा हूँ वापस पगडंडी पर, बस्ती से दूर, एक छोटा सा गांव है। जहाँ सुकून की मिट्टी से गंध उठती है, और सपनों का आकाश साफ़ है। ढूंढ रहा है हर कोई शहर में बसेरा, पर वहाँ भी ज़िंदगी कहाँ आज़ाद है। शोर में खो जाती है पहचान अपनी, बस भीड़ में रह जाता एक फरियाद है। लौट आओ अपनों के बीच, अभी वक्त है, ज़िंदगी छोटी है, किसे सरोकार है। रिश्तों की गरमाहट को महसूस कर लो, फिर न कह सकेगा दिल, ये जो अंगार है। शहर के शोर में सब कुछ खो जाता है, पर दिल सुकून तो अपनों में ही पाता है। थोड़ा ठहरो, जरा संभालो इन पलकों को, क्योंकि यादें ही अंत में हमारा संसार हैंl ©theABHAYSINGH_BIPIN #villagelife अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी, यहाँ अब किसका इंतज़ार है। रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती, कहीं धूप है, तो कहीं छांव है।
#villagelife अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी, यहाँ अब किसका इंतज़ार है। रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती, कहीं धूप है, तो कहीं छांव है।
read moreनवनीत ठाकुर
कभी जो डर से जूझ रहा था, अब आकाश ने उसे अपनी ओर खींच लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब नभ ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब फलक ने उसे अपनी सीमाओं से परे पहुंचा दिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब आसमान ने उसे अपनी तरह चमका दिया। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर कभी जो डर से जूझ रहा था, अब आकाश ने उसे अपनी ओर खींच लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब नभ ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया।
#नवनीतठाकुर कभी जो डर से जूझ रहा था, अब आकाश ने उसे अपनी ओर खींच लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब नभ ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया।
read moreनवनीत ठाकुर
White संयोग की साजिश नहीं, ये है मेरे कर्म की चाल, हर दास्तां में बयां हुआ, मेरा ही हाल। जो गलत हुआ, उसमें किस्मत का नहीं कोई हाथ न कोई कसूर, सारी ज़िम्मेदारी लेता हूं मैं अपने सर, चाहे हो आकाश या धरती का दूर। जो गलती हुईं, वो अक्स थी मेरी ही रचना की, पर जो कुछ मिला अच्छा, वो है सिर्फ छाया किस्मत की।। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर संयोग की साजिश नहीं, ये है मेरे कर्म की चाल, हर दास्तां में बयां हुआ मेरा ही हाल। जो गलत हुआ, उसमें किस्मत का नहीं कोई हाथ न कोई
#नवनीतठाकुर संयोग की साजिश नहीं, ये है मेरे कर्म की चाल, हर दास्तां में बयां हुआ मेरा ही हाल। जो गलत हुआ, उसमें किस्मत का नहीं कोई हाथ न कोई
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