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RAMAKANT VERMA
usFAUJI
AwadheshPSRathore_7773
White . बची थी जो शेष जिंदगी उसी को विशेष बनाने के चक्कर में कब यह जीवन भूत से वर्तमान,वर्तमान से भविष्य में कहीं खो गया, पता ही नहीं लगा... तुम्हारा कसकर हाथ पकड़ने की चाह में नमी जिंदगी.. कब सूखी रेत सी हो हाथों से फिसल गई पता ही नहीं लगा न मै..मेँ रही,ना तुम.. तुम रहे तुम्हारी जो जिंदगी थी मैँ..कब -कैसे - क्यूं रास्ते का पत्थर बन गई पता ही नहीं लगा...x कांच के टुकड़ों को क्यूँ हीरोँ का नाम दे...देकर यूं ही सहेजते रहे हम जबकि अपना शीशे सा दिल कब पत्थर हो गया पता ही नहीं लगा.. एक मुलाकात के इंतजार में तुम्हारे ख्यालों को कब कस्तूरी..मृग.. मन..से जिंदगी..ऐ..रुह में उतार लिया... पता ही नहीं लगा.... दीवारों को दर्द सुनाते सुनाते तन्हा दिल ने तन्हा-तन्हा सी जिंदगी में कब..तन्हा..शहर बसा लिया पता ही नहीं लगा...पता ही नहीं लगा... ©AwadheshPSRathore_7773 #nightthoughts शेष विशेष के जैसे चक्की के दो पाटों के बीच फंसती यह जिंदगी,किस तरह सादे मनुष्य से उसके जीवन की सारी सादगी छिन लेती है और अंतत
Rajkumar Siwachiya
White मेरी सुबह मेरी दोपहर मेरी शाम हो तुम मेरे मुल्क मेरे शहर मेरे गाम हो तुम मेरे लिए खास बोहोत बेसक आम हो तुम मेरे सुकून के पहले और आख़िरी नाम हो तुम ✨♥️✨👩❤️👨🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ ©Rajkumar Siwachiya मेरी राधा मेरा श्याम हो तुम मेरी सीता मेरा राम हो तुम मेरी लिए खास बेसक आम हो तुम मेरा देश मेरा शहर मेरा गाम हो तुम मेरे गमों की दवा खुशियां
Palak Parmar
Men walking on dark street क्या पता, कब, कहां, कौन, क्या आखिरी हो। ©Palak Parmar #Emotional क्या पता कब कहां क्या आखिरी हो
Ravendra
Sethi Ji
♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️ ♥️ हुस्न का परिंदा , दिल का ज़िंदा ♥️ ♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️ ऐ मेरी ज़िन्दगी अब मुझे शर्मिंदा मत कर मेरे सोए हुए अरमानों को ज़िंदा मत कर मैं भी होना चाहता हूँ किसी एक का मुझे हर डाल पर बैठने वाला परिंदा मत कर लौट आना होना तुमको फ़िर से मेरी बाहों में ख़ुदा के वास्ते मेरे जज़्बातों की और निंदा मत कर 🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶 🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷 ©Sethi Ji 💞 गमों का जाम , मोहब्बत का नाम 💞 मेरी ज़िन्दगी गमों का जाम हैं रूल जाते है आंसू मेरी आँखों में जब भी जुबान पर आता तेरा नाम हैं ।। हम अक
दीपा साहू "प्रकृति"
उम्र की सीमा में, प्रेम कहाँ बंधा है। और उसकी आहतता, उम्र के आख़िर पड़ाव तक, साथ निभाती है। पहली और आखिरी, प्रेम यहीं रुक जाता है, इसी बीच में, जिसमें किसी और का, आ पाना असंभव होता है। उस अंतहीन पीड़ा में, सिर्फ आहत हुआ जा सकता। हृदय का हजारों टुकड़ों मे बट जाना, सुनाई नहीं देता। इसे दिखाना असंभव। ©दीपा साहू "प्रकृति" #longdrive #Prakriti_ #deepliner उम्र की सीमा में, प्रेम कहाँ बंधा है। और उसकी आहतता, उम्र के आख़िर पड़ाव तक, साथ निभाती है। पहली और आखिरी, प