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KUNWA SAY
White लेजा लेजा लेजा राजा दुल्हन बन के पूरा शहर दिखा दो हमको पूरा फेस जवानी के रस के ©KUNWA SAY #Free लेजा लेजा लेजा राजा दुल्हन बन के पूरा शहर दिखा दो हमको पूरा फेस जवानी के रस के
Godambari Negi
प्यारी-प्यारी कोयलिया, काली-काली कोयलिया, मधुर बोल बोल के, जिया को लूट ले गई। बैठ डाली - डाली पर, नाच रही फर - फर, जाने कौन जादू कर, हिया में प्रीत दे गई। अमवा पे बौर आई, ऋतु सिरमौर आई, रति काम देवजी को, देखती ही रह गई।। कुहू - कुहू कूक कर, साधे स्वर झुककर, आया मधुमास अब, हमसे ये कह गई। ©Godambari Negi #कोयल
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मुक्तक :- कोयल गाती मीठे गीत । संग चलो मेरे मनमीत । तुम बिन सूना यह संसार- प्रीति बिना सब बाते तीत ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुक्तक :- मात्रा भार १५ कोयल गाती मीठे गीत । संग चलो मेरे मनमीत । तुम बिन सूना यह संसार-
Ankur tiwari
बेटियां चिड़ियों सी चहक होती हैं उनमें कोयल सी राग गाती हैं घर आंगन खुशियों से भर जाता है जब बेटियां जन्म ले आती हैं माना कि कुछ लोगो को पसंद नही वो फिर भी वो हसती खिलखिलाती है बेटियां होती हैं उस पीपल की छाव सी जो बिन पानी दिए भी उगती है और जी जाती हैं ©Ankur tiwari #aaina बेटियां चिड़ियों सी चहक होती हैं उनमें कोयल सी राग गाती हैं घर आंगन खुशियों से भर जाता है जब बेटियां जन्म ले आती हैं माना कि कु
Sangeeta Kalbhor
वो रंग कुछ अलग था वो संग कुछ अलग था थे जब साथ तुम मेरे वो रोमरोम कुछ अलग था आती थी तितलियाँ सँवारने मुझे गाते थे भँवरे लुभाने मुझे कोयल की कुहकुहाट का रंगरूप अलग था थे जब तुम साथ मेरे वो रोमरोम कुछ अलग था मैं थी ही नही मेरी मैं तो हो गई थी तुम्हारी वही बदन वही रुदन चढ़ गई थी नई खुमारी उस वक्त मेरा साजशृंगार अलग था थे जब तुम साथ मेरे वो रोमरोम कुछ अलग था..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #Holi वो रंग कुछ अलग था वो संग कुछ अलग था थे जब साथ तुम मेरे वो रोमरोम कुछ अलग था आती थी तितलियाँ सँवारने मुझे गाते थे भँवरे
Bharat Bhushan pathak
चित्रपदा छंद विधान:-- ८ वर्ण प्रति चरण चार चरण, दो-दो समतुकांत भगण भगण गुरु गुरु २११ २११ २ २ नीरद जो घिर आए। तृप्त धरा कर जाए।। कानन में हरियाली। हर्षित है हर डाली।। कोयल गीत सुनाती। मंगल आज प्रभाती। गूँजित हैं अब भौंरे। दादुर ताल किनारे।। मेघ खड़े सम सीढ़ी। झूम युवागण पीढ़ी।। खेल रहे जब होली। भींग गये जन टोली।। दृश्य मनोहर भाते। पुष्प सभी खिल जाते।। पूरित ताल तलैया। वायु बहे पुरवैया।। भारत भूषण पाठक'देवांश' ©Bharat Bhushan pathak #holikadahan #होली#holi#nojotohindi#poetry#साहित्य#छंद चित्रपदा छंद विध