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Stories related to अब और अब का meaning

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Anuj Ray

# अब मैं और तुम्हारे आने का, #लव

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Vickram

अब और इंतज़ार नहीं किसी का,, #शायरी

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Raone

बेटी का बाप 'तब और अब ' #कविता

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बेटी का बाप 'तब और अब '

समाज में चौड़ी छाती कर, पगड़ी पहन इतराता है ।

अब बेटी के बाप की ऊंचाई, बेटी के उड़ान से नापी जाती है ।।

अब बेटी पैदा होते हीं, यह अनुमान लगायी जाती है ।

चाँद पर जायेगी इकदिन बिटिया, यह कयास लगायी जाती है ।।

अब बाकी सारी बातों को छोड़, शिक्षा की बातें होती हैं ।

अब तो देखों गिद्धों की नज़रें, उड़ानों को देखा करती हैं ।।

बेटों के हर कदम से कदम, बेटियाँ मिलाकर चलती हैं ।

बेटों के हर तुलना में,  सम्मान से देखी जाती हैं ।।

बेटी मेरी बहुत पढ़ी है, अब चाँद पर जा पहुंची है ।

बेटे की क्या पहुँच है आपके, क्या उसकी आँखे चाँद को देखीं है ।।

अब उड़ता बाप बेटी के दम पे, सौभाग्य ऐसा पाया है ।

जाने कितने करम किये, तब प्रभु ने बेटी का बाप बनाया है ।।

@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी 

(भाग-1 का शेष) बेटी का बाप 'तब और अब '

Palsi(पल सी)

बस अब और नहीं। मेरे देश के जवानों का खून अब और नहीं।

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नब्ज़ जम गई आज फिर देश की,
चैन की नींद कैसे देश सो पायेगा।
कितने रिश्तों ने एक साथ आज दम तोड़ा,
कैसे उस दर्द का अंदाज़ा भी हो पायेगा।
तड़पेंगे जितना भी, बिलकेंगे जितना भी,
वापस तुम अब कभी नहीं आओगे।

पर आगाज़ जो है ये युद्ध का तो,
सुन लो ओ बुज़दिलों मौत से बत्तर मौत तुम पाओगे। बस अब और नहीं। मेरे देश के जवानों का खून अब और नहीं।

Sonia Thakur

बस अब और नहीं। मेरे देश के जवानों का खून अब और नहीं।

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नब्ज़ जम गई आज फिर देश की,
चैन की नींद कैसे देश सो पायेगा।
कितने रिश्तों ने एक साथ आज दम तोड़ा,
कैसे उस दर्द का अंदाज़ा भी हो पायेगा।
तड़पेंगे जितना भी, बिलकेंगे जितना भी,
वापस तुम अब कभी नहीं आओगे।

पर आगाज़ जो है ये युद्ध का तो,
सुन लो ओ बुज़दिलों मौत से बत्तर मौत तुम पाओगे। बस अब और नहीं। मेरे देश के जवानों का खून अब और नहीं।

Yaminee Suryaja

MESSAGE 'तिरंगे का अपमान अब और नहीं'

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Raone

एक बाप बेटी का 'तब और अब' #कविता

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एक बाप बेटी का 'तब और अब '

गाँव हो या हो घर अपना, नहीं उठा सर पाता था ।

इक बेटी का बाप होने से, झुकना समाज में पड़ता था ।।

तब बाप की पगड़ी, बस बेटी के चाल चलन से नापी जाती थी ।

पैदा होते हीं घर बेटी, ओकात दिखाई जाती थी ।।

शिक्षा की सब बात को छोड़, बाकी बातें होती थी ।

जैसे-जैसे बेटी बड़ी हुयी, तब ब्याह की बातें होती थीं ।।

नज़रें होती गिद्धों की भाँति, वक्षस्थल पर आकर टिकती थीं ।

सारी बातें छोड़ के जानें क्यों, बस पहनावे की बाते होती थी ।।

बेटा मेरा बहुत पढ़ा है, बेटे के बाप अपनी धाक जमाते थे ।

बाप भी सोने की चिड़िया छोड़ चन्द पैसे को घर ले जाता था ।।

उड़ता था जिस औलाद के दम पे, मार उसी से खाता था ।

धीरे-धीरे अहसास हुआ, तब घर में बेटी के लिए पछताता था ।।

अब गाँव हो या हो घर अपना, सर अपना गर्व से उठाता है ।

बेटे का बाप नहीं, बेटी का हूँ छाती ठोंक बतलाता है ।।

@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी 
(भाग-1) एक बाप बेटी का 'तब और अब'

Shayari,

रूस अब तक का दुनिया का सबसे बड़ा देश है और #सस्पेंस

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Rameshkumar Mehra Mehra

# नही भाता अब तेरे सिवा किसी और का चेहरा..... #ज़िन्दगी

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प्रेम और मैं

और अब?

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     और अब?
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