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राजेन्द्र सनातनी
Vijayjay Vijayjay
अर्जी किया है मांगा था गुलाब मिला है धतूरा मांगा था गुलाब मिला है धतूरा पिताजी ने मारी है चप्पल और प्यार हुआ पूरा ©Vijayjay Vijayjay #Sitaare शायरी गजल दिल की बात रियल देसी सीरियल
Vedantika
(देखा एक ख़्वाब तो…) सुरभि और संजय बरसात के मौसम में अपनी कार में लॉन्ग ड्राइव पर निकले थे। बाहर हल्की बूंदाबांदी हो रही थी जिसकी छींटों से कार के शीशे भीग गए थे। सुरभि ने अपनी ओर की खिड़की का शीशा थोड़ा सा नीचा किया और हाथ बाहर निकाल कर उंगलियों से शीशे पर तरह तरह के चित्र एक गीत गाते हुए बनाने लगी। संजय ने उसे ऐसा करने से रोका नहीं क्योंकि सुरभि बहुत दिनों बाद खुश लग रही थी। वो अभी कुछ दूर ही गए थे कि एक तेज आवाज के साथ गाड़ी रुक गई। सुरभि को यह बात बिल्कुल भी पसंद नहीं आई। उसने संजय से पूछा- “क्या हुआ संजय, आपने कार क्यो रोक दी? सुरभि की बात सुनकर संजय ने हँसते हुए कहा- “मैंने कार नहीं रोकी डियर, लगता हैं, कार को भी तुम्हारे ये अजीब कारनामे पसंद नहीं आए।” यह सुनकर सुरभि ने संजय की और देखा और मुस्कुराने लगी। वे दोनों कार से नीचे उतरे और संजय ने कार की खराबी देखने के लिए डिक्की खोल दी। काफी देर
Bhakti Kathayen
SWARN_LEKHIKA_rumann_manchnda
पूछते हैं वो कि गालिब कौन हैं शब्दों में ब्यान नही हो पाती महान हस्तियाँ, हमने मुस्कराकर बोला फूलो में खुशबू जैसे है आती, तितली में रंगत है जहाँ से आती, गालिब जी की शख़्सियत आज भी ऐसे है गजलों में झिलमिलाती ॥ महान शायर #मिर्ज़ाग़ालिब (27 दिसम्बर 1797 - 15 फ़रवरी 1869) का आज जन्मदिवस है। ग़ालिब जो एक मिथक की सी हैसियत रखते हैं, उनकी शायरी का हर कोई दीव
बख़्शी डायरी
#आसिफा हो या #ट्विंकल बलात्कारी हो या हत्यारे, हिन्दु हो या मुस्लमान कुछ तकलीफें झेल कर छूट ही जाते है शैतान किसकी है गलती बस इस बात पे करते है चर्चे मोम्बत्तियाँ तो जलाते है पर ढूंढते नहीं समाधान बदनामियों के बाद बदल लेते है घर-व-पहचान बिकता है हर सबूत लगाओ बस ठीक अनुमान लोग यहाँ हर रोज एक नई वज़ह तलाश कर इसकी, उसकी गलती बता कर भरते है कान तहज़ीब में रहकर करते है लोग यहाँ अपमान इंसान सारे मर चुके है यहाँ रहते है बस हैवान थोड़ी ख़ामोशी से मचाते है यहाँ शोर-ओ-गुल शर्मसार होता रहा है हर बार सारा हिन्दुस्तान ना जाने किसकी सूरत में दिखने लगे शैतान सहमा - सहमा रहने लगा है यहाँ हर इंसान घरो में हर रोज आने लगे है नए - नए किस्से सुनते है यहाँ लोग चुप बैठे है सियासत-दान फूल खिलते ही चमन में , छीन लेते है जान उम्र दिखे न दिखे मासूमियत है कैसे इंसान रो पड़ती है 'साबिर' वे -जान चीज़े भी यहाँ बस पिघलता नहीं दिल उनका जो है हैवान -साबिर बख़्शी #आसिफा हो या #ट्विंकल #yqbaba #yqhindi #justiceforasifa #justicefortwinkle #justice #insaan
Kulbhushan Arora
प्रश्नचिन्ह??? एक उपन्यास... पहला भाग नींद आनंद की आंखों से कोसों दूर थी, उसकी बंद आंखों में दिन भर की घटनाएं, किसी सीरियल के एपिसोड की तरह चलने लगी।जबसे उसने CT scan और MRI की र