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vishnu prabhakar singh
अकूत मौज नहीं है कथित सजगता ने उसे खा लिया है निवाला नहीं है मौज दायरा विहिन है मौज आचरण तारत्मयता जिसे भ्रष्ट करती हो वो मौज नहीं है ! शून्य के साथ है मौज ऊँचाई की पराकाष्ठा है मौज यह युग नहीं है इस दिवा का अर्थ आधार भी खो चुका है मौज तृष्णा बन कर रह गया बेचारा अंश चाहिये तो मृत्यू होगी अनेक डर है मौज नहीं है ! निभाया नहीं जा सकता मौज अभ्यास से प्रभाव विहिन हो जाता मौज मौज नहीं तो मौज की संभावना भर मस्ती नहीं है मौज निर्वाण के समकक्ष वाला स्वर्ण-स्तम्भ छटकता य़ायावरी ब्रह्म से घिरा पदम् विभूषण है मौज अलंकार नहीं है मौज नहीं है अभी चरम पर गया हुआ है ! मौज प्रेम है अखंडता है,जीवंत है,कगार है लक्ष्य है चाहत,संतुष्टी नहीं है मौज विकास है मौज करूणा है मौज अहिंसा है मौज कविता है मौज अद्भूत सरिता है मौज आज सामुहिकता खास है मौज सबका साथ सबका विकास है मौज !! विप्रणु #फक्कड़ संहिता
#फक्कड़ संहिता
read moreकवि प्रदीप साहू कुँवरदादा
भगवा भगवा केवल ध्वजा नही है, शौर्य तेज का द्योतक है। वीरों की निशानी भगवा, राष्ट्र धर्म का उद्घोषक है। भगवा लेकर उगता सूर्य, भगवा के संग अस्त होता है। भगवा बाना पहने हर युवा, वीर बजरंग सा मस्त होता है। यही भगवा की ताकत, वीर शिवा ने दिखाया था। भगवा के बल पर विवेकानन्द ने, विश्व में परचम लहराया था। जो इतिहास से थाती मिला है, उसे अपना सिलक बनाना है। सदा सीना तान कर चलना, माथे पर भगवा तिलक लगाना इस ताकत को जानो-समझो, भारत का हर एक युवा। तेरे सामने कोई न टिक पायेगा, हो जाएगा धुँआ धुँआ। ©कवि प्रदीप साहू कुँवरदादा #भगवा #ध्वज
Geet
#OpenPoetry ३ रंग से बनता तिरंगा भारत की शान है तिरंगा मर मिटेंगे इससे लिए हम सब की जान है तिरंगा जान देकर जो देश के लिए हो गये आज अमर उन सबसे ही बना आज महान ये तिरंगा गंगा जमना का जल है इसी से पावन हिमालय का सम्मान है तिरंगा झुकने ना देंगें आंधी और तूफान में इसे हम सब हिन्दुस्तानियों का ईमान है तिरंगा "राष्ट्रीय ध्वज "
"राष्ट्रीय ध्वज " #poem #OpenPoetry
read moreJesus Lif
1 क्या ही धन्य है वह पुरूष जो दुष्टों की युक्ति पर नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करने वालों की मण्डली में बैठता है! भजन संहिता 1:1 2 परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है। भजन संहिता 1:2 3 वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है॥ भजन संहिता 1:3 4 दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते, वे उस भूसी के समान होते हैं, जो पवन से उड़ाई जाती है। भजन संहिता 1:4aaaaaa1a1 5 इस कारण दुष्ट लोग अदालत में स्थिर न रह सकेंगे, और न पापी धर्मियों की मण्डली में ठहरेंगे; भजन संहिता 1:5 6 क्योंकि यहोवा धर्मियों का मार्ग जानता है, परन्तु दुष्टों का मार्ग नाश हो जाएगा॥ भजन संहिता 1:6 ©Jesus Lif भजन संहिता #भजनसंहिता
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