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अविरल अनुभूति

अविरल #कविता

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जुगनू सितारे चिराग सा रोशन शाम से बैठा हूं।
दुनिया की उलझनें भूल चैन सुकून आराम से बैठा हूं।।
                                                                अविरल विपिन अविरल

shyam

बर्षा ऋतु आयी है #कविता

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छम छम करके गिरती बूंदे धरा पर,
  यह कैसी लाली छाई है,
चारों तरफ पानी की चादर,
   फिर वर्षा ऋतु आई है.


वर्षा की बूंदे गिरती मच रहा यह कितना शोर,
   जंगल में मंगल करते हैं मगन होकर नाचे सारे मोर
इंद्रधनुष से लगा सुहावन कितना है बादल,
   मानो शोभा बढ़ा रही हो अप्सरा के आंखों का काजल.


नाले नदियां सब बढ़ गई,
  पानी की चादर छाई है,
चारों तरफ है शोर मच रहा,
    फिर वर्षा ऋतु आई है.

✍️- श्यामबाबू बर्षा ऋतु आयी है

Shubham shukla

अम्ल बर्षा पाषाण और दिल #poem

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2 Years of Nojoto अम्लीय वर्षा से पाषाण भी चटक जाते है
ये तो महज एक दिल है 
इस पर अम्ल बर्षा क्या पाषाणों से भी गहरी चोटें आई है
तो इसको निस्तो नाबूत तो होना ही था..... अम्ल बर्षा पाषाण और दिल

Poet Shivam Singh Sisodiya

अविरल काव्य मंच

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अविरल काव्य मंच की गोष्ठी 

04 मई 2019

समय- शाम 6 बजे से,
स्थान- दूसरी मंजिल, सर्व स्टूडियो, सैन्ट थॉमस स्कूल के पास, शब्द प्रताप आश्रम रोड, ग्वालियर, म. प्र. 

contact for more information-

Umesh Kushwah- 9074489226;

Shivam Singh Sisodiya- 8602810884. अविरल काव्य मंच

अविरल अनुभूति

दोस्ती अविरल विपिन #कविता

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यसवंत गुप्त

#Connections अविरल जीवन #जानकारी

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उम्र बीत रहे खुश दिली के तलाश में
याद,तकलीफ,खामोशी,उलझने चल रहे है साथ साथ में।

©यसवंत गुप्त #Connections अविरल जीवन

krishna kanhaiya

अटल ,अविरल थे

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यसवंत गुप्त

अविरल जीवन #Moon #Life

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पिता का संघर्ष 
भाई का समर्पण
माँ का प्रेम 
बहन का सम्मान
सब मिला मुझे,
आप खुश रहे जीवन भर बस यही तो दुवा है मेरी।

©यसवंत गुप्त अविरल जीवन
#Moon

Ashutosh Aviral

वक़्त यूँ भी कुछ अब नुमाया करे,
गीत मेरे भी वो गुनगुनाया करे।।

मै मुकर्रर रहूँ इस क़दर दरबदर,
हाल दिल का मुझे ही सुनाया करे।।

वो बदन हो भले ही ढँका क्यूँ न पूरा,
बस हया से वो पलकें झुकाया करे।।

मैं तरन्नुम, रदीफत में उलझा रहूँ,
वो बस मुझे देखकर मुस्कुराया करे।।

हाल रब भी दुरुस्त ही बख्शे यकीनन,
जो माँ बाप के पास जाया करे।।

हाथ थामो सभी का खुशी से ए-अविरल,
जो भले क्यूँ न तुमको पराया करे।।

ए गुज़रते कैलेंडर क्या कभी ऐसा होगा?
फिर से बाबा वो कहानी सुनाया करें।।

सुना है वो नींदें उड़ाता है सबकी,
कहना मेरे भी ख्वाबों में आया करे।। #आशुतोष_अविरल #आशुतोष #अविरल #हिंदी

Alok Verma "" Rajvansh "Rasik" ""

अविरल विकास किसने जना ..!

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कौन जाने किस घड़ी,
अविरल विकास किसने जना,
इस धरा पर अमृत समान,
मात को किसने चुना,
सह अपार कष्ट पीड़ा,
संसार को उसने बुना,
कौन जाने किस घड़ी,
अविरल विकास किसने.....!
धर धरा धरती को स्वर्ग,
नील ये अम्बर बना,
पाठ संसार का ये,
उसने हम में भरा,
रूठे रब को जो,
लेती पल में ऐसे मना,
उस मात को है समर्पण,
"रसिक" की ये रचना,
कौन जाने किस घड़ी,
अविरल विकास किसने....! अविरल विकास किसने जना ..!
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