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Diya
White ए जिंदगी निकल पड़ी हूं मैं तूने मुझे जिस पथ पर चलाया है, कांटे तो बहुत है वहां ,पत्थरों की चुभन भी है , फिर भी चल पड़ी हूं मैं, ए जिंदगी तेरी फरमाइश जो है, कहीं फूलों की खुशबू ,कहीं पैरों में थोड़ी शरारत भी है, अगर तू ना संभाले तो थोड़ी घबराहट भी है, तेरे सहारे ही निकल पड़ी हूँ मैं ,जो रास्ता तूने दिखाया है, थोड़ा पतझड़ भी है शबनम भी है, हकीकत भी है, पग डंडियों पर चलते हुए पीले सरसों की खुशबू भी है, गिरने का डर है तो संभलने का मौका भी है, ए जिंदगी निकल पड़ी हूँ मैं, जो रास्ता तूने दिखाया है, कहीं सुख है तो कहीं दुख भी है....... कहीं आसमान छूने की ख्वाहिश तो कहीं चांद को पाने की फरमाइश भी है। ✍🏼deeptigarg ❤ ©Diya #Thinking #ए जिंदगी #निकल पड़ी हूं मैं तूने मुझे जिस #पथ पर चलाया है, कांटे तो बहुत है वहां ,#पत्थरों की चुभन भी है , फिर भी चल पड़ी हूं
Anjali Singhal
White "दिल की जमीं पर रखा था, उन्होंने चुपचाप से कदम। छाप ऐसी पड़ी कि, उन्हें ही सौंप बैठे इस दिल की जमीं को हम।।" ©Anjali Singhal #love_shayari "दिल की जमीं पर रखा था, उन्होंने चुपचाप से कदम। छाप ऐसी पड़ी कि, उन्हें ही सौंप बैठे इस दिल की जमीं को हम।।"
#love_shayari "दिल की जमीं पर रखा था, उन्होंने चुपचाप से कदम। छाप ऐसी पड़ी कि, उन्हें ही सौंप बैठे इस दिल की जमीं को हम।।"
read morePrashant Shakun "कातिब"
हज़ारों लाखों शब्दों से भरी किताब... कितनी ख़ामोशी से, उस बुकशेल्फ में चुप-चाप 24 घंटे पड़ी रहती है। ... कुछ ऐसे ही पड़ा हुआ हूं मैं भी... अपने अंदर असंख्य शब्दों के साथ एक इंतज़ार लिए, अपनी ज़िंदगी के बुकशेल्फ पर अनपढ़ा सा...! .... ©Prashant Shakun "कातिब" हज़ारों लाखों शब्दों से भरी किताब... कितनी ख़ामोशी से, उस बुकशेल्फ में चुप-चाप 24 घंटे पड़ी रहती है। ...
हज़ारों लाखों शब्दों से भरी किताब... कितनी ख़ामोशी से, उस बुकशेल्फ में चुप-चाप 24 घंटे पड़ी रहती है। ...
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़ुद को कब तक बाँधोगे। वक़्त के साथ बेहिसाब ग़लतियाँ की हैं तुमने, सलाखों के पीछे ख़ुद को कब तक छुपाओगे? जो कभी साथ छांव सा था, वह अब छूट गया, आख़िर खुद से ये जंग कब तक लड़ोगे। लोग माफ़ी देते हैं एक-दूसरे को अक्सर, आख़िर तुम खुद को कब तक सताओगे। रिहाई जुर्म से नहीं मिलती, यह तो मालूम है, आख़िर ग़लतियों पर कब तक पछताओगे। प्रकृति में सूखी डालें भी बहार में पनपती हैं, खुद को सहलाने का वक़्त कब तक टालोगे। वक्त हर नासूर बने ज़ख्मों को भी भरता है, आख़िर ज़ख्मों को भरने से कब तक डरोगे। ©theABHAYSINGH_BIPIN दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़
दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़
read moreHimanshu Prajapati
White साल का साल बदल गया मै खुद इतने साल का हो गया, तुम्हें पड़ी है अभी भी इस नये साल की, साला ये साल ने कितनों को हर साल बदल दिया..! ©Himanshu Prajapati #love_shayari साल का साल बदल गया मै खुद इतने साल का हो गया, तुम्हें पड़ी है अभी भी इस नये साल की, साला ये साल ने कितनों को हर साल बदल
#love_shayari साल का साल बदल गया मै खुद इतने साल का हो गया, तुम्हें पड़ी है अभी भी इस नये साल की, साला ये साल ने कितनों को हर साल बदल
read moreनवनीत ठाकुर
हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं, पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं। जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है, वहां दीवारें बस खामोश खड़ी हैं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं, पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं। जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है, वहां दीवारें बस खामोश खड़ी
#नवनीतठाकुर हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं, पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं। जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है, वहां दीवारें बस खामोश खड़ी
read morePURAN SINGH
दुनिया में सबसे तेज रफ्तार दुआओं की होती है जो जुबान तक पहुंचने से पहले ही ईश्वर तक पहुंच जाती है ©PURAN SINGH #14feb आज मैंने अच्छी और गहराई वाली लाइन पड़ी ना मंदिर गया ना मस्जिद गया मैं भी भीतर गया मैं भी तर गया सुंदरता ध्यान खींच लेती हैं पर अच्
#14feb आज मैंने अच्छी और गहराई वाली लाइन पड़ी ना मंदिर गया ना मस्जिद गया मैं भी भीतर गया मैं भी तर गया सुंदरता ध्यान खींच लेती हैं पर अच्
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