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sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
ग़ुलामी,गंदगी पहन ली और ज़ेवर समझ लिए... बदन छुपाया,आँखें मिलाकर तेवर समझ लिए..। फिर अस्मत लूटनी थी तो एक रिश्ता बनाया... देवर को पती,कभी पती को देवर समझ लिए..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 अस्मत
malay_28
हाथ बाँधकर आज व्यथित हो न जाने किस श्राप से ग्रसित हो मोहन तुम्हारी सखी द्रौपदी निर्वस्त्र खड़ी तमाशाइयों की भीड़ बड़ी अस्मत के धागे तार तार हुए लगता है दुर्योधन से तुम भी डरे हो हमारी आस्था से शायद तुम परे हो. ©malay_28 #अस्मत
Agastya Namdev,,darpan
अस्मत में किसीकी खुदको बदनाम कर दिया बेवफा वो था मगर मेरा नाम लिख दिया अस्मत
आलोक अग्रहरि
अपनों की झूठी कसम कैसे खा जाते हैं? बने बनाएं घर को नेस्तनाबूद कर जाते हैं।। खुदा बरकत न करे कभी उन घरों में आलोक, जो किसी की अस्मत जबरन लूट ले जाते हैं।। ©आलोक अग्रहरि #अस्मत
Rudra Pratap Singh
अपने वफ़ा की अस्मत, इतना तो बरकरार रखना; जब भी मिलना, झूठा ही सही; पर ख़ुद को भी ज़रा बेकरार रखना। -रूद्र प्रताप सिंह अस्मत*: इज्जत
Ankur Mishra
सर्मिंदा हैं क्योंकि जींदा हैं अस्मत लुट रही बेटीयों की और हम करतें बस निंदा हैं ©Ankur Mishra ©Ankur Mishra #अस्मत #Stoprape
Aditi Sinha
लो फिर लुटी, देखो फिर लुटी, वो बहन तुम्हारी, माँ तुम्हारी, बेटी, पत्नी खुद को हारी, देखो फिर लुटी अब क्या कर लोगे? उसको ढूंढोगे जो मिल भी गया तो ? उसको पालोगे, फिर बात चलेगी, एक लहर उठेगी, फिर लौ जलेंगे, और बुझ जाएंगे, सब चुप हो जाएंगे, वो फिर लुट जाएगी, चीखेगी, चिल्लाएगी, फिर? पौरुषता से हार जाएगी, और टूट जाएगी, फिर मिलेगी कहीं बिखरी, टूटी, अधमरी, तुम बस देखना तब तक , जब तक कोई अपना न लुटे, और फिर चीखना, चिल्लाना, पर वही होगा, जो हो रहा है "कुछ भी नहीं" मैं लिखूंगी, तुम पढ़ लोगे, मैं सोचूंगी, तुम सोचोगे, फिर क्या होगा,? एक वक्त आएगा जब "बेटी कोख में खुद ही मर जाएगी" बाहर आकर क्या पाएगी? हैवान बाप, भक्षक भाई और गिद्ध की निगाह वाले रिश्तेदार? ©Aditi Sinha #अस्मत #Stoprape
Amar Anand
-सम्मान की सुरक्षा- अबे टुच्चे लफंगे... इंसान हो ? कदर इंसानियत की तो किया करो यूँ राह चलते हर लड़कियों पर अभद्र कमेंट तो मत किया करो यूँ सड़क किनारे बैठकर तुम दूसरों के बहनों का मजाक बहुत बना रहे हो ये जो भावना सम्मान की सुरक्षा नही कर पा रहे हो फिर अपने बहन के खुशियों की सपने कैसे सजा रहे हो ? दूसरों की अस्मतों को नीलाम करके महफिल तो बहुत सजा रहे हो आज खुद पे बात आई है तो मातम क्यों मना रहे हो ? भूल गये कर्म ही भगवान है प्रमाण फल ही अभिशाप हो जब खुद के संस्कार में ही खोंट हैं तो दूसरों से उम्मीद क्या जता रहे हो ? -Amar anand #अपनी अस्मत