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N S Yadav GoldMine

#Thinking {Bolo Ji Radhey Radhey} आजकल भरोसा करें भी तो किस पर करे, मिट्टी से बने लोग चन्द कागज के टुकड़ों मैं बिक जाते है।। जय श्री राधेकृ

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White {Bolo Ji Radhey Radhey}
आजकल भरोसा करें भी तो
किस पर करे, मिट्टी से बने 
लोग चन्द कागज के टुकड़ों 
मैं बिक जाते है।।
जय श्री राधेकृष्ण जी!!
N S Yadav GoldMine.

©N S Yadav GoldMine #Thinking {Bolo Ji Radhey Radhey}
आजकल भरोसा करें भी तो
किस पर करे, मिट्टी से बने 
लोग चन्द कागज के टुकड़ों 
मैं बिक जाते है।।
जय श्री राधेकृ

azad satyam

लिखना चाहता हूं तुम्हे, दिल के कोरे कागज पर लेकिन बयां कर सके जो तारीफ तेरी, वो अनकहे अल्फ़ाज़ कहां से लाऊं 💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞 ek_panchi_diw

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लिखना चाहता हूं तुम्हे,
दिल के कोरे कागज पर
लेकिन बयां कर सके जो तारीफ तेरी,
वो अनकहे अल्फ़ाज़ कहां से लाऊं

💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞

#ek_panchi_diwana_sa

©azad satyam लिखना चाहता हूं तुम्हे,
दिल के कोरे कागज पर
लेकिन बयां कर सके जो तारीफ तेरी,
वो अनकहे अल्फ़ाज़ कहां से लाऊं

💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞

#ek_panchi_diw

its_tezmi

#love_shayari #ओढ़ कर झूठ की चादर चले है सच से पर्दा करने😏

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White ओढ़ कर झूठ की चादर 
चले है सच से परदा करने ....

©its_tezmi #love_shayari #ओढ़ कर झूठ की चादर चले है सच से पर्दा करने😏

TARUN KUMAR VIMAL

love Extraterrestrial life हमारे देश मे कितने #भोले लोग है, वो पत्थर से #कागज और #धातु मांगते है #tarun_kumar_vimal #tarunkumarvimal #देश

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White हमारे देश मे कितने भोले लोग है,
वो पत्थर से कागज और धातु मांगते है

©TARUN KUMAR VIMAL #love  Extraterrestrial life
हमारे देश मे कितने #भोले लोग है,
वो पत्थर से #कागज और #धातु मांगते है
#tarun_kumar_vimal #tarunkumarvimal #देश

theABHAYSINGH_BIPIN

#sad_quotes ये कैसा प्यार मैं कर बैठा, उनकी नज़रों में खुद को गिरा बैठा। अब तो रातें तन्हा ही कटती हैं, सुकून ये इश्क़ भी गवां बैठा।

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White ये कैसा प्यार मैं कर बैठा,
उनकी नज़रों में खुद को गिरा बैठा।

अब तो रातें तन्हा ही कटती हैं,
सुकून ये इश्क़ भी गवां बैठा।

कहाँ आती होगी सुकून की नींद,
उनकी आँखों से अश्क छलका बैठा।

कितनी दिलकश थीं हमारी यादें,
मैं उन्हें भी दुःख-दर्द दे बैठा।

अब उनके दिन कहाँ ख़ुशी के हैं,
तकिया-चादर भीगा मैं कर बैठा।

दर्द-ओ-ग़म से निकलना मुश्किल है,
कैसी मुसीबत में उन्हें डाल बैठा।

कैसे कह दूं कि वो भी खुश होंगी,
उनकी रातों को तन्हा मैं कर बैठा।

©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_quotes 

ये कैसा प्यार मैं कर बैठा,
उनकी नज़रों में खुद को गिरा बैठा।

अब तो रातें तन्हा ही कटती हैं,
सुकून ये इश्क़ भी गवां बैठा।

Poet Kuldeep Singh Ruhela

#snow ओढ़कर चादर कोहरे की देखो जनवरी आ गई प्यार के उमंगों को जवान बनाने की देखो आज घड़ी आ गई

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Unsplash ओढ़कर चादर कोहरे की
 देखो जनवरी आ गई 
प्यार के उमंगों को जवान बनाने 
की देखो आज घड़ी आ गई

©Poet Kuldeep Singh Ruhela #snow ओढ़कर चादर कोहरे की
 देखो जनवरी आ गई 
प्यार के उमंगों को जवान बनाने 
की देखो आज घड़ी आ गई

Anjali Singhal

"तेरी यादों को चैन कहाँ! इश्क़ की चादर ओढ़े, चली आईं शीत लहरों के संग यहाँ। सुलगा रही हैं दिल में मेरे कोई दर्द नया।।" #SAD #Dard whatsapp

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Unsplash "तेरी यादों को चैन कहाँ!
इश्क़ की चादर ओढ़े,
चली आईं शीत लहरों के संग यहाँ।
सुलगा रही हैं दिल में मेरे कोई दर्द नया।।"

©Anjali Singhal "तेरी यादों को चैन कहाँ!
इश्क़ की चादर ओढ़े,
चली आईं शीत लहरों के संग यहाँ।
सुलगा रही हैं दिल में मेरे कोई दर्द नया।।"

#sad #dard #whatsapp

theABHAYSINGH_BIPIN

#good_night बैठे-बैठे उदास मन से उसे सोच रहा, गैर-महफ़िलों में खुद को व्यस्त कर रहा। भैया-भाभी, मम्मी-पापा को सुन रही होगी, तकिए के ओट मे

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White बैठे-बैठे उदास मन से उसे सोच रहा,
गैर-महफ़िलों में खुद को व्यस्त कर रहा।

भैया-भाभी, मम्मी-पापा को सुन रही होगी,
तकिए के ओट में चादर भिगो रही होगी।

कितने अरमानों को सजाया था दिल ने,
दोनों दिलों में अधूरी मोहब्बत दम तोड़ रही है।

उठ रहे हैं दिल में ना जाने कितने सवाल,
दो जवां दिलों में ख्वाहिशें दफ़्न हो रही हैं।

रोशन हो रही थी मुहब्बत चंद की रोशनी में,
यह कैसी घड़ी है जहां उम्मीदें बिखर रही हैं।

परवान चढ़ने पर था ख्वाबों सा मुंतजिर,
जैसे चांद से चकोर अलग हो रही है।

©theABHAYSINGH_BIPIN #good_night 

बैठे-बैठे उदास मन से उसे सोच रहा,
गैर-महफ़िलों में खुद को व्यस्त कर रहा।

भैया-भाभी, मम्मी-पापा को सुन रही होगी,
तकिए के ओट मे

theABHAYSINGH_BIPIN

#coldwinter कोहरे से ठिठुर गया है सूरज दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त। छाई है काली घटा सी धुंध, धरती ढकी बर्फ की चादर में। हाथ-पैर अब जमने लगे

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कोहरे से ठिठुर गया है सूरज
दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त।
छाई है काली घटा सी धुंध,
धरती ढकी बर्फ की चादर में।

हाथ-पैर अब जमने लगे हैं,
सर्दी ने रोका हर काम।
हिम्मत भी थरथर कांप उठी,
लिपटे हम गर्म चादर में।

उठकर मुंह धुलना भी दुश्वार है,
किसने बर्फ डाल दी पानी में?
कौन है जो यूं कहर ढा रहा,
पूरे गांव को कैद किया है घर में?

राह अंधेरी, जमी हुई है,
थोड़ी उम्मीद बची है मन में।
चलता हूं बस सहारे इसके,
जो दिख रहा टॉर्च की रोशनी में।

शिथिल पड़े हैं मेरे जज्बात,
आलस ने ले लिया गिरफ्त में।
यह कैसा दिन, एक पल न सुहा,
सिकुड़ा पड़ा हूं एक चादर में।

हर कदम जैसे थम सा रहा,
जीवन को ढो रहा धुंध में।
क्या कभी सूरज की रौशनी लौटेगी,
या मैं यूं ही खो जाऊं रजाई में?

©theABHAYSINGH_BIPIN #coldwinter 
कोहरे से ठिठुर गया है सूरज
दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त।
छाई है काली घटा सी धुंध,
धरती ढकी बर्फ की चादर में।

हाथ-पैर अब जमने लगे
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