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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी गुस्ताखियो का दौर है ऐसे ही दबाया जायेगा नेतिकता कुछ भी ना बची हो ताजअपने ही सर सजाया जायेगा गैरो के लिये सारी कानून कार्यवाही अपनो के जुर्म सम्मानित किये जायेंगे हमसफ़र साथी अपराधी भी हो साबित नही हो पायेगा ये ही अमृत काल है सियासतों का जहर सिर्फ जनताजनार्दन को पिलाया जायेगा कानून सबके लिये बराबर है इसका भरम और दर्द बिपक्षियो और जनता पर आजमाया जायेगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Likho गुस्ताखियों का दौर है ऐसे ही दबाया जायेगा #nojotohindi
बख़्शी डायरी
गुस्ताखियों के बाद गुस्ताखी कर रहा हूँ मैं,, अंजाम से 'साबिर' अब कहाँ डर रहा हूँ मैं... -साबिर बख़्शी ©बख़्शी डायरी गुस्ताखियों के बाद गुस्ताखी कर रहा हूँ मैं,, #Nojoto #Shayar #Mistake
ABHISHEK SWASTIK
खामोश हूं आज मैं वाक़िफ हुआ हूं उनकी हर गुस्ताखियों से उनसे राब्ता रखना ही हमारी सबसे बड़ी भूल थी ... -©अभिषेक अस्थाना(स्वास्तिक) खामोश हूं आज मैं वाक़िफ हुआ हूं उनकी हर गुस्ताखियों से उनसे राब्ता रखना ही हमारी सबसे बड़ी भूल थी ... -©अभिषेक अस्थाना(स्वास्तिक)
Abhishek Asthana
खामोश हूं आज मैं वाक़िफ हुआ हूं उनकी हर गुस्ताखियों से उनसे राब्ता रखना ही हमारी सबसे बड़ी भूल थी ... -©अभिषेक अस्थाना(स्वास्तिक) खामोश हूं आज मैं वाक़िफ हुआ हूं उनकी हर गुस्ताखियों से उनसे राब्ता रखना ही हमारी सबसे बड़ी भूल थी ... -©अभिषेक अस्थाना(स्वास्तिक)
Prakash Kumar viswkrma
Nasamajh
अब चलता हूँ मैं सब अपना ख्याल रखना यारों ।। आखिरी पोस्ट और शब्द मेरा ।। क्षमा चाहता हूँ अपनी गुस्ताखियों के लिए मेरी बातें आप में से किसी को बुरा लग गया हो दिल से क्षमा चाहता हूँ 🙏🙏
Vashu Ayodhyawashi
जो तुम्हारी हर गुस्ताखियों को नजरअंदाज कर दे वाशू, खुद ख़ुदा भी तुम पर इतना मेहरबाँ नहीं होगा...!!! Drop ❤️ If you feel..!!! ©Vishvnath(Vashu_Ayodhyawashi) जो तुम्हारी हर गुस्ताखियों को नजरअंदाज कर दे वाशू, खुद ख़ुदा भी तुम पर इतना मेहरबाँ नहीं होगा...!!! Drop ❤️ If you feel..!!! #lovebirds Bij
✍️ लिकेश ठाकुर
प्रेम, मधुर संगीत का अनकहा गान हैं। दिल, में उतर जायें तो,यहीं इक संसार हैं। आँखों, की गुस्ताखियों से उड़ता हुआ ग़ुबार हैं। मन, की चाहतों में,तन का पूरा सिंगार हैं। रूह, की परछाइयों में,दिखता आर-पार हैं। ओठो, की सुर्ख़ लाली,बारिश सी फुहार हैं। कमर, की लचकन में,आकर्षित यहीं चाल हैं। प्रेम, मधुर संगीत का अनकहा गान हैं। केश, लताये रूपी,अहसासों का जाम हैं। धरा, की मिट्टी में,तुझसे ही तो जान हैं। पँछी, उड़ते नभ में,कोयल सी मधुर गान हैं। पैरों, में खनकती पायल,झुल्फों की घनी छांव हैं। प्रेम, मधुर संगीत का अनकहा गान हैं।। ✍️लिकेश ठाकुर प्रेम, मधुर संगीत का अनकहा गान हैं। दिल, में उतर जायें तो,यहीं इक संसार हैं। आँखों, की गुस्ताखियों से उड़ता हुआ ग़ुबार हैं। मन, की चाहतों में,