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Rajat Bhardwaj
Ashutosh Mishra
White तू और तेरी यादें तू कहता था ना,,तेरा शहर तुझे सबसे प्यारा है आ,,देख ये कैसे सिसक सिसक कर रो रहा है। नहीं रही वो पहले सी चहल पहल उदास हो गया है एक के बाद एक ना जाने कितना दर्द सहा है। बड़ी बेरहमी से लूटा है लुटेरों ने इसकी आबरु को दर्द से कराह भी नही सकता,,दहशत में जी रहा है। कभी,,लगता था भाईचारे का मेला जहां इंसानियत वहीं तार तार हो रही है। सभी सामर्थवान सामर्थ की गंगा में हाथ धो रहें है असमर्थवान उनकी बनाई चक्की में पिस रहें है। अल्फ़ाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #City तू कहता था ना,,तेरा शहर तुझे सबसे प्यारा है आ,,देख कैसे सिसक सिसक कर रो रहा है। #शहर #तू_और_तेरी_यादें #दहशत #बेआबरू Babli BhatiBa
INDIA CORE NEWS
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White गीत :- मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले , होता खूब प्रचार ।। मानव सेवा करने को अब... हम आज तुम्हारे शुभचिंतक , करो न हमसे बैर । सबको हृदय बसाकर रखता , कहीं न कोई गैर ।। पाँच-साल में जब भी मौका, मिलता आता द्वार । खोल हृदय के पट दिखलाता , तुमको अपना प्यार ।। मानव सेवा करने को अब ... देखो ढ़ोंगी और लालची , उतरे हैं मैदान । उनकी मीठी बातों में अब , आना मत इंसान ।। मुझको कहकर भला बुरा वह , लेंगें तुमको जीत । पर उनकी बातें मत सुनना, होगी तेरी हार । मानव सेवा करने को अब..... सब ही ऐसा कहकर जाते , किसकी माने बात । सच कहते हो कैसे मानूँ , नहीं करोगे घात ।। अब जागरूक है ये जनता ,ये तेरा व्यापार । अपनों को तो भूल गये हो , हमे दिखाओ प्यार ।। मानव सेवा करने को अब .... सच्ची-सच्ची बात बताओ , इस दौलत का राज । मुश्किल हमको रोटी होती , सफल तुम्हारे काज ।। सम्पत्तिन तुम्हारे पिता की, और नहीं व्यापार । हमकों मीठी बात बताकर , लूटो देश हमार । मानव सेवा करने को अब..... मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले , होता खूब प्रचार ।। २०/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले , होता खूब प्रचार ।। मानव सेवा करने को अब... हम आज तुम्हारे शुभचिंतक ,
संगीत कुमार
Meri Mati Mera Desh 26. (भारतीय रेल) भारतीय रेल तुझे जन्मदिन की शुभकामना। भारत की धरती पर दिन 16 अप्रैल 1853 से चलना शुरू हुआ।। एशिया मे तू दुसरा सबसे बड़ा रेल - जाल बना। सरकारी अधिकृत वाला जग का तू चतुर्थ रेल-क्रांति बना।। भारतीय रेल तुझे जन्मदिन की शुभकामना। भारत के परिवहन का अभिन्न श्रोत बना। तेरह लाख से अधिक कर्मचारियों तु परिवार बना।। सबके जीवनरूपी आनंद को एक सूत्र मे बांँधे रहा। उत्तर-दक्षिण, पूर्व -पश्चिम हर कोने सबको पहुँचाता रहा।। भारतीय रेल तुझे जन्मदिन की शुभकामना। भारतीय रेल टूटे दिलों को जोड़ता रहा। आपदा में हर क्षेत्र को सामग्री पहुँचाता रहा ।। कर्मचारी , सजग होकर अपने पथ पर चलता रहा। हर प्रलय को झेलता रहा, सब की सेवा करता रहा।। भारतीय रेल तुझे जन्मदिन की शुभकामना। भारतीय रेल सत्रह क्षेत्र में विभक्त है। अनेक उपक्रम इसके अधीन कार्यरत है।। कार्य करने को सब तत्पर है। उन्नति की ओर अग्रसर है।। भारतीय रेल तुझे जन्मदिन की शुभकामना। भारतीय रेल कामयाबी अपने नाम किया। विश्व धरोहर सूची मे नाम दर्ज हुआ।। अनेक गाड़ीयाँ अपने नाम किया। अपने-अपने क्षेत्र में पहचान हुआ।। भारतीय रेल तुझे जन्मदिन की शुभकामना। ©संगीत कुमार #26. (भारतीय रेल) भारतीय रेल तुझे जन्मदिन की शुभकामना। भारत की धरती पर दिन 16 अप्रैल 1853 से चलना शुरू हुआ।। एशिया मे तू दुसरा सबसे बड़ा
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Beautiful Moon Night दोहा :- माता तेरे नाम का , रखता हूँ उपवास । सुत मेरा भी हो सही , बस इतनी है आस ।।१ बदलो मेरे भाग्य की , माता जी अब रेख । हँसते हैं सब लोग अब , कष्ट हमारे देख ।।२ जीवन से मैं हार कर , होता नही निराश । करता रहता कर्म हूँ , होगा क्यों न प्रकाश ।।३ इस दुनिया में मातु पर , रखना नित विश्वास । वे ही अपने लाल के , रहती हैं निज पास ।।४ कहकर उसको क्यों बुरा , बुरे बने हम आज । ये तो विधि का लेख है , करता वह जो काज ।।५ कभी किसी के कष्ट को , देख हँसे मत आप । वह भी माँ का लाल है , हँसकर मत लो श्राप ।।६ मदद नही जब कर सको , रहना उनसे दूर । कल उनके जैसे कहीं , आप न हों मजबूर ।।७ करने उसकी ही मदद , भेजे हैं रघुवीर । ज्यादा मत कुछ कर सको ,बँधा उसे फिर धीर ।।८ जग में सबकी मातु है, जीव-जन्तु इंसान । कर ले उनकी वंदना , मिल जाये भगवान ।।९ माँ की सेवा से कभी , मुख मत लेना मोड़ । उनकी सेवा से जुड़े , हैं जीवन के जोड़ ।।१० ११/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- माता तेरे नाम का , रखता हूँ उपवास । सुत मेरा भी हो सही , बस इतनी है आस ।।१ बदलो मेरे भाग्य की , माता जी अब रेख । हँसते हैं सब लोग अ
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- आ गया नवरात्रि का त्यौहार है । देख लो माँ का सजा दरबार है ।। आ गया नवरात्रि का त्यौहार है ... लोग माँ की कर रहे हैं अर्चना । सुन रही हैं मातु सबकी वंदना ।। और हठ बैठे किए कुछ भक्त हैं । मातु पे सुत का सदा अधिकार है । आ गया नवरात्रि का त्यौहार है..... मातु सेवा में लगा दी पीढियाँ । चढ़ रहे हम भक्त सारे सीढियाँ ।। उन पहाड़ों पे करे माँ वास है । सुन रही वो भक्त की दरकार है । आ गया नवरात्रि का त्यौहार है.... गीत गाकर आज बंदनवार कर । मातु का अब भोग भी तैयार कर ।। आ गई हैं कर सवारी सिंह की । अब उन्हीं की हर तरफ जयकार है ।। आ गया नवरात्रि का त्यौहार है.... मोह माया छोड़ माँ के द्वार चल । फिर न मौका ही मिलेगा सोच कल ।। भूल तेरी आज हो जाये क्षमा । कष्ट से होते वही उद्धार है । आ गया नवरात्रि का त्यौहार है ।। आ गया नवरात्रि का त्यौहार है । देख लो माँ का सजा दरबार है ।। १०/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- आ गया नवरात्रि का त्यौहार है । देख लो माँ का सजा दरबार है ।। आ गया नवरात्रि का त्यौहार है ...
KUNWA SAY
Men walking on dark street वो तो अपना दर्द रो-रो कर सुनाते रहे ,,हमारी तन्हाईयों से भी आंख चुराते रहे ,,हमें ही मिल गया ख़िताब-ये-बेवफा ,,क्यूंकि हम हर दर्द मुस्कुरा कर छुपाते रहे follow kare ©KUNWA SAY #Emotional वो तो अपना दर्द रो-रो कर सुनाते रहे ,,हमारी तन्हाईयों से भी आंख चुराते रहे ,,हमें ही मिल गया ख़िताब-ये-बेवफा ,,क्यूंकि हम हर द