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Shahab
मिठास मोहब्बत की कैसे मनाती वो " चॉकलेट डे " उसका वाला तो गुटखा खाता है ... ©Shahab #गुटखा
Anand Kumar Ashodhiya
श्रीमान, मुझे गुटखा कहते हैं! हर नुक्कड़ चौराहे पे, पान की दूकान पर, भिन्न भिन्न आकार में, भिन्न भिन्न प्रकार में, आपकी सेवा में उपलब्ध हूँ श्रीमान, मुझे गुटखा कहते हैं! आप भी आएं, दूसरों को भी लाएं, खुद भी खाएं, दूसरों को भी खिलाएं, क्योंकि सहजता व प्रचुरता में उबलब्ध हूँ श्रीमान, मुझे गुटखा कहते हैं! गले और गाल के कैंसर की गारंटी है जवानी में ही बुढ़ापे के असर की गारंटी है धीरे धीरे गुटक लेता हूँ इंसानों की जान, मुझे गुटखा कहते हैं! खांसी कफ़ के साथ साथ, दांत भी खराब होंगे शारीरिक कमजोरी के संग, गुर्दे और आंत भी खराब होंगे मेरे भेजे मुर्दो से तो क्षुब्ध है श्मशान, मुझे गुटखा कहते हैं! छोटी मोटी विपदा नहीं, साक्षात् काल हूँ मैं, यम यहाँ, दम वहां, उससे भी विकराल हूँ मैं, साक्षात् मौत के सामान का प्रारब्ध हूँ श्रीमान, मुझे गुटखा कहते हैं! जीवन पर्यंत आपको कंगाल बनाए रखूगा, इस बेशकीमती ज़हर का गुलाम बनाए रखूगा आप फिर भी मुझे गुटक रहे हैं, स्तब्ध हूँ श्रीमान, मुझे गुटखा कहते हैं! रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015 #हिन्दीकविता #गुटखा #आजकाविचार
#हिन्दीकविता #गुटखा #आजकाविचार
read moreVivek Kumar Singh
कुछ ससुरे गुटखाखोर गुटखे और ज़र्दे की पुड़ियाँ फाड़कर दोनों को ऐसे सावधानी से मिलाएंगे जैसे कोई डॉक्टर सूई देने से पहले दवाओं को मिलाता है। गुटखा #vks #yqbaba #yqhindi #yqmuzaffarpur #yqdidi #yqgudiya
Salim Saha
कुछ तो था उनके लबों पर जो वो हमें देखकर बड़बड़ाती थी, फिर पता चला एक दिन कि वो तो गुटखा चबाती थी😆😆 ©Salim Saha #गुटखा खाने #वाले लड़की के ऊपर यह शायरी#
अदनासा-
बोलों ज़ुबां केसरी कभी चिलचिलाती धूप में पसीना बहाते, कभी बरसात में तर-बतर तो कभी ठंड में ठीठुरते हुए, बड़ी मेहनत से, एक सफाई कर्मी हमारे आस-पास के वातावरण को साफ-सुथरा रखता है। मगर अचानक जिंस और टी शर्ट पहने, लहराकर चलते हुए, एक बंदा अपनी जिंस की जेब से, एक पुड़िया को ख़ूबसूरत अंदाज़ में फाड़ता है, उस पुड़िया में स्थित वस्तु को बड़े मन से, अपने मुंह में उड़ेलता है, उस कागज़ को बड़ी लापरवाही से सड़क पर फेंकता है और सड़क को केसरी रंग में रंगता लहराता चल जाता है, क्योंकि ज़ुबां केसरी होने के गुण को समाज के त्रिमूर्ति नायक, अजय जी, शाहरुख जी और अक्षय जी, ज़ुबां केसरी होने के गुण एवं मंत्र का प्रचार करते है। मगर उस सफ़ाई कर्मी के मेहनत पर कैसे इस केसरी ज़ुबां ने पानी फेर दिया, इस और कोई ध्यान नही देता, और नाही यह ध्यान देता है की इस ज़ुबां केसरी से युवा पीढ़ी कैंसर की ज़ुबां बोलने पर मजबूर हैं। ©अदनासा- #हिंदी #छद्म #विज्ञापन #प्रचार #गुटखा #कैंसर #युवा #सफाईकर्मी #Instagram #अदनासा
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