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BS NEGI
उम्र भी कहाँ, रूकती है भला। अपने अंदाज में चली जा रही है। एक एक पल का हिसाब है,। जिंदगी के खाते में। ©BS NEGI खाता जिंदगी का
bhim ka लाडला official
Rajkumar Siwachiya
मन्ना होवय ताती ओ साथी बिना कोए बाती या बात नहीं तेरी आच्छी भगवान कसम साच्ची होज्या तावली राजी में उसा कोन्या जिसा लावय तू नाजी ✨👩❤️👨✨♥️🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ ©Rajkumar Siwachiya Ohhhhh... Saathi में उसा जमा कोन्या जिसा ला बैठी तू नाजी ✨♥️✨👩❤️👨🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ #Tulips #rajkumarsiwachiya #oyedesi #har
Ankit Singh
एक मनुष्य भोजन के लिए जानवरों को मारे बिना जीवित और स्वस्थ रह सकता है, इसलिए, यदि वह मांस खाता है, तो वह केवल अपनी भूख के लिए पशु जीवन लेने में भाग लेता है। ©Ankit Singh एक मनुष्य भोजन के लिए जानवरों को मारे बिना जीवित और स्वस्थ रह सकता है, इसलिए, यदि वह मांस खाता है, तो वह केवल अपनी भूख के लिए पशु जीवन लेने
Rajkumar Siwachiya
White गांव के रेता की शाम वा खेता की सुकून यहां खुला बरसै संसद ना नेता की ✨🌍✨♥️🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ ©Rajkumar Siwachiya सफ़र वो गामा का गामा में शामा का गैल साथ यार जिगरी जिंदगी जमा बेफिक्री ✨🧑🤝🧑✨♥️🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️🌍 #safar #rajkumarsiwachiya #o
Poet Kuldeep Singh Ruhela
# जिंदगी में जो कदम आगे बढ़ाते हैं सच कहूं वो ही कामयाबी को पातें हैं आतें रहते है हमेशा राहों में काटें ही कांटे मुस्किलों में भी अपने पैरो को जमा जाते है! वही जिंदगी में कामयाबी को पाते है ! ©Poet Kuldeep Singh Ruhela # # जिंदगी में जो कदम आगे बढ़ाते हैं सच कहूं वो ही कामयाबी को पातें हैं आतें रहते है हमेशा राहों में काटें ही कांटे मुस्किलों में भी अपने
Poet Kuldeep Singh Ruhela
कामयाबी का मंत्र # जिंदगी में जो कदम आगे बढ़ाते हैं सच कहूं वो ही कामयाबी को पातें हैं आतें रहते है हमेशा राहों में काटें ही कांटे मुस्किलों में भी अपने पैरो को जमा जाते है! वही जिंदगी में कामयाबी को पाते है ! ©Poet Kuldeep Singh Ruhela # कामयाबी का मंत्र # जिंदगी में जो कदम आगे बढ़ाते हैं सच कहूं वो ही कामयाबी को पातें हैं आतें रहते है हमेशा राहों में काटें ही कांटे मुस्
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
दर्द उगते रहे मैं गुनगुनाता रहा चोट खाकर भी,मुस्कुराता रहा हादसों की कितनी सूरत लिए वक्त आता रहा और'जाता रहा देवता मानने की, भूल हो गई पत्थरों पर सिर, टकराता रहा बस्ती के अंधेरे से घबरा गया रात भर उम्मीदें, जलाता रहा खुरच दी लकीरें हथेलियों से नसीब इस तरह मिटाता रहा मुर्दा एहसास की वो कहानी बेवज़ह सभीको सुनाता रहा तमाम उम्र गफ़लत में गुजरी हकीकत की मार खाता रहा ©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS #दर्द #उगते #रहे #मैं #गुनगुनाता रहा चोट खाकर भी,मुस्कुराता रहा हादसों की कितनी सूरत लिए वक्त आता रहा और'जाता रहा देवता मानने की, भूल हो
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White संध्या छन्द :- 221 212 22 इंसान क्या नही खाता । क्या देखता नही दाता ।। है अंत में जरा देरी । आयी न रात अंधेरी ।। पीडा समीप में डोले । तो राम राम वे बोले ।। कान्हा कहें सुनो राधा । वो भक्त ही बना बाधा ।। मीठी लगे हमें बोली । जो प्रेम से भरें झोली ।। जो आप पास में होते तो क्यूँ भला बता रोते ।। मैं तो करूँ सदा सेवा । औ चाहता मिले मेवा ।। जो दान में मिला देखा । ये भाग्य से बनी रेखा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR संध्या छन्द :- 221 212 22 इंसान क्या नही खाता । क्या देखता नही दाता ।। है अंत में जरा देरी । आयी न रात अंधेरी ।।