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दीपक पंडित
तेरी आन रहे तेरी शान रहे जीवित तेरा सम्मान रहे मैं रहूं चार दिन या न रहूं जिंदा मेरा हिंदुस्तान रहे गीत नया गाऊंगा,गीत नया गाऊंगा
Abhishek Singh Rathore
"मेरा हर जिक्र उसकी फ़िक्र से जुदा होगा मैं उसका नाम किसी गीत में न गाऊंगा" "मेरा हर जिक्र उसकी फ़िक्र से जुदा होगा मैं उसका नाम किसी गीत में न गाऊंगा" ~ @DrKumarVishwas
रजनीश "स्वच्छंद"
मैं पतझड़ गाऊंगा।। आज मैँ पतझड़ गाऊंगा, उमड़ घुमड़ मैं गाऊंगा। जो आस की जननी रही सदा, मैं अमर उसे कर जाऊंगा।, धरती बंजर ये बोल रही, चिड़िया भी मुख है खोल रही। वीरान पड़े हैं बाग ये देखो, डाली बिन पत्ते डोल रही। मन मे आस लिए डोले, अन्तर्मन भी खुल खुल बोले। नवजीवन का संचार लिए, बीज उड़े हौले हौले। बगिया भी मन्द मुस्काती है, श्रृंगारोत्सव की बेला है। संग झूमेंगे उसके सहोदर भी, पता झूम रहा जो अकेला है। दुख की बदली जब जब छाये, आशाएं तभी पनपतीं हैं। घना अंधेरा जो दिख जाए, दीप-लौ तभी दमकतीं हैं। जन्मोत्सव है आज आस की, आज मैं जी भर गाऊंगा। आज मैँ पतझड़ गाऊंगा, उमड़ घुमड़ मैं गाऊंगा। जो आस की जननी रही सदा, मैं अमर उसे कर जाऊंगा।, पतझड़ कहती, अवसान मेरा, एक सुखद लाभ पहुंचाएगा। जब भी होगी मेरी विदाई, बादल भी घिर घिर छायेगा। शुष्क धरा जल की बूदें, भीनी महक जगाएगी। निर्जीव पड़ी ये पत्ती भी, यौवन पा कर शर्माएगी। परम् सत्य है, गांठ बांध लो, हर सुबह रात के बाद हुई। मेरा चर्चा तो आम रहा, जब नवजीवन की बात हुई। एक सत्य पतझड़ बोली, अवसान सुखद भी होता है। सुबह तेरी होगी एक दिन, क्यूँ पकड़ माथ तू रोता है। इस परमसत्य की आभा में, चमक चमक मैं गाऊंगा। आज मैँ पतझड़ गाऊंगा, उमड़ घुमड़ मैं गाऊंगा। जो आस की जननी रही सदा, मैं अमर उसे कर जाऊंगा।, ©रजनीश "स्वछंद" मैं पतझड़ गाऊंगा।। आज मैँ पतझड़ गाऊंगा, उमड़ घुमड़ मैं गाऊंगा। जो आस की जननी रही सदा, मैं अमर उसे कर जाऊंगा।, धरती बंजर ये बोल रही,
Himanshu Prajapati
तुझे मैं सात समुंदर पार भगा ले जाऊंगा, तेरे साथ नाचूंगा, तेरे साथ खाऊंगा, तुझे छोड़कर कभी भी दूर नहीं जाऊंगा, अगर तूने जिद किया मुझे छोड़ने का सुबह पिटुंगा शाम को मनाऊंगा..! ©Himanshu Prajapati #tumaurmain तुझे मैं सात समुंदर पार भगा ले जाऊंगा, तेरे साथ नाचूंगा, तेरे साथ खाऊंगा, तुझे छोड़कर कभी भी दूर नहीं जाऊंगा, अगर तूने जिद किया
रजनीश "स्वच्छंद"
कदमों में शीश चढ़ा कर आया हूँ।। कदमों में शीश चढ़ा कर आया हूँ,मैं वन्दे मातरम गाऊंगा। कद तेरा जग में बढ़ा कर आया हूँ,मैं वन्दे मातरम गाऊंगा। तेरा दूध लहू बन दौड़े रग में,यौवन भी तुझपे वार रहा। है खेद जरा जयचंदों की,हिम्मत फिर भी न हार रहा। तू जननी, तू माता मेरी,विश्वकर्मा रचनाकार तू ही। तू ही भाल का चन्दन है,कुंडल कवच श्रृंगार तू ही। तेरी आभा ही लिए चले हम,निशा-दिवस और चार पहर। ये धरती तेरी, अम्बर तेरा,कस्बा नगर और गांव शहर। जीवन तेरे नाम करा कर आया हूँ,मैं वन्दे मातरम गाऊंगा। कदमों में शीश चढ़ा कर आया हूँ,मैं वन्दे मातरम गाऊंगा। ये भुजा तेरी, ये भुजबल तेरा,शत्रुबल क्षीण कर आया हूँ। शत्रुदलन का भाव लिए मैं,रिपु को दीन कर आया हूँ। तेरे शौर्य की मादकता में,बन गज रण में झूमा हूँ। मुंडमाला लिए गले मे,हो रौद्र शत्रुदल में घूमा हूँ। आंख न कोई उठने पाए,सजग तेरे संतान खड़े हैं। सहिष्णु तो हम रहे सदा,कर में तीर-कमान पड़े हैं। शोणित से लाल धरा कर आया हूँ,मैं वन्दे मातरम गाऊंगा। कदमों में शीश चढ़ा कर आया हूँ,मैं वन्दे मातरम गाऊंगा। ©रजनीश "स्वछंद" कदमों में शीश चढ़ा कर आया हूँ।। कदमों में शीश चढ़ा कर आया हूँ, मैं वन्दे मातरम गाऊंगा। कद तेरा जग में बढ़ा कर आया हूँ, मैं वन्दे मातरम गाऊंगा।
Odysseus
RV Chittrangad Mishra
प्रेमिका की शादी अपनी शादी का बुलावा देना मैं आऊंगा ज़रूर एक ही निवाला सही पर खाऊंगा ज़रूर. उस दिन सबके सर पर सेहरे देखूंगा मैं पूरी रात रुक कर सातों फेरे देखूंगा मैं वो सात वचन जब लोगी तुम ईश्वर की कसम जब लोगी तुम तुम्हारी आंखों में शर्म देखनी है मुझे उस आग की लपटे भी चीख उठे अग्नि इतनी गरम देखनी है मुझे उस दिन के बाद हर रात में नाचूंगा मैं जिस दिन तुम्हारी बारात में नाचूंगा मै. कोई पूछेगा रूकसती के वक्त आंखो में आंसू क्यों नहीं मैं कह दूंगा मेरे मेहबूब की शादी है मैं नाचू क्यों नही. ये आखरी मुलाकात है तो जी भर कर देखेंगे तुम्हे दिल तुम्हे रोकना चाहेगा मगर हम किस हक से रोकेंगे तुम्हे तुम्हारे बाद फिर कहां किसी की हसरत रहेगी खामखा उम्र भर मोहबत से नफरत रहेगी ख़ैर तुम्हे जाना है तो जाओ हम दुहाई नहीं देंगे तुम्हारे शादी में आएंगे पर बधाई नही देंगे तुम्हारे मेंहदी का रंग तुम्हारा शादी का जोड़ा देखना है मुझे बहोत करीब से तुम्हारा वो सांतवा फेरा देखना है शहनाई के शोर में तुम्हे कुछ सुनाई नहीं देगा मेरा दिल रोएगा मेरा आंसू तुम्हे दिखाई नही देगा किसी ने मेरी आंसुओं की वजह पूछी तो ये जिक्र तुम्हारा करेगा क्योंकि तुम्हारा झुमका अब किसी और को इशारा करेगा जब मुझसे नज़रे मिलाओगी तुम क्या मुझे रोता देख मुस्कुराओगी तुम लेकिन अपने आंखो में आंसू तुम बचा कर रखना उसका नाम तुम अपने मेंहदी में छुपा कर रखना तुम्हे आखरी दफा देखने का ये लम्हा भी गुजर जायेगा मेरा रंग तो तुम्हारे हल्दी से उतर जायेगा मैं अकेला तुम्हारे आस पास शहजादियां होंगी बारात आयेगी गली में आतिशबाजियां होंगी मुझे दूल्हे की शेरवानी उसका सेहरा देखना है जिसने मेरी मोहब्बत छीनी उसका चेहरा देखना है तुम्हारे खुशी के लिए मैं उसके साथ में नाचूंगा मेरा वादा है मैं तुम्हारे बारात में आऊंगा !! Chittrangad Mishra ©R.V. Chittrangad Mishra 9839983105 प्रेमिका की शादी अपनी शादी का बुलावा देना मैं आऊंगा ज़रूर एक ही निवाला सही पर खाऊंगा ज़रूर. उस दिन सबके सर पर सेहरे देखूंगा मैं पूरी रात रु