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Vedantika
डींग हाँकना उनकी आदत बहुत पुरानी है जिनकी ज़िंदगी बस एक झूठी कहानी है दिखाते हैं बहुत कुछ खास खुद को ज़माने में लेकिन उनके पास भी हम जैसी परेशानी है ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_146 👉 डींग हाँकना मुहावरे का अर्थ --- बढ़ चढ़ कर कहना। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ दो
Soulmate (Yuhee)
उसके अश्रुओं से दर्द और तन्हाई कोई तो समझे एक पानी था । है नहीं , था। क्योंकि वह चला गया , जाने वाले के आगे ' था ' लग जाता है । तो लग गया । लेकिन पानी कहाँ गया , समंदर की ओर । शा
Divyanshu Pathak
भावों के धरातल पे "संकल्प" और "विकल्पों" की लहर में बहने लगा हूँ ....... डूब जाऊंगा या दूसरा किनारा छू जाऊंगा.....… ......... "श्याम" रंग की चूनर ओढ़े 'तुम मेरे' या 'मैं तेरा' हो ही जाऊंगा....... ........... मैं 'नर' हूँ तुम 'नारायण' मैं 'प्रकृति' तुम 'परमात्मा' बताओ क्या तुमसे 'अलग' कभी रह पाऊंगा... 😊👨☕🍨💐🍫 "संवाद" की बात आती है तो 'दो' का होना वहुत जरूरी होता है।जब तक कोई साथ न हो या बात न करे तो संवाद असम्भव है लेकिन कभी कभी हम "अपने आप" से ह
भुवनेश शर्मा
सुंदर सृष्टि, उसमें भी हम इंसान अनुपम कृति और उस देव की संतान मुस्कुराए हर पल, बढ़ाएँ मदद को हाथ "डींग हाँकने" से क्या लाभ, कुछ कर दिखाएँ जग को -प्रियतम ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_146 👉 डींग हाँकना मुहावरे का अर्थ --- बढ़ चढ़ कर कहना। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ दो
DR. SANJU TRIPATHI
जिंदगी में किसी के सामने बड़ी-बड़ी डींगें हाँकने से बेहतर है कुछ करके दिखाओ, मेहनत से काम करोगे तो तुम्हारा काम बोलेगा तुम्हें बोलने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_146 👉 डींग हाँकना मुहावरे का अर्थ --- बढ़ चढ़ कर कहना। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ दो
Parul Sharma
चापलूसी की चासनी में डींगे घोल घोलकर वो घुट्टी पिला देते है बार बार झूठ बोलकर पहले से पता कर लेते है पोल की झोल क्या है अपने सारे करा लेते है उनकी राज खोल कर निर्बल को डराना,मारना,धमकाना बखूबी आता उनके जैसे बहुत है ये लौट आयेगे डोल डोल कर खत्म हो जाता गुरूर, ओददा, काया और माया जहर तो जहर है कितना भी दो दौलत में तोलकर मानवता ही गड़ी जाती है आदर्शों की कहानी में ये मीठा जहर पीने या पिलाने की तू ना भूल कर ©Parul Sharma चापलूसी की चासनी में डींगे घोल घोलकर वो घुट्टी पिला देते है बार बार झूठ बोलकर पहले से पता कर लेते है पोल की झोल क्या है अपने सारे करा लेत
Rahul Ashesh
फ़िर हुई है सुबह तो दिनकर भी नया सा है, पुराना कुछ भी नहीं है हर मंज़र भी नया सा है। आज फ़िर देह रूपी रथ को निडर निश्वार्थ हाँकना है, मुश्किल नई सी है तो अवसर भी नया सा है। ©Rahul Ashesh फ़िर हुई है सुबह तो दिनकर भी नया सा है, पुराना कुछ भी नहीं है हर मंज़र भी नया सा है। आज फ़िर देह रूपी रथ को निडर निश्वार्थ हाँकना है, मुश्किल न
MANJEET SINGH THAKRAL
बच्चे भी कितने मासूम होते हैं। उसकी पूरी दुनिया उजड़ गयी, फिर भी माँ के साथ ठिठोली कर रहा। जब ये बड़ा होगा और पता चलेगा कि भूख और शरीर में पान