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Stories related to ज्योति का नंबर

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pramod malakar

मैं ज्योति का अधिकारी हूं #कविता

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मैं ज्योति का अधिकारी हूं ,
राष्ट्र विरोधियों पर भारी हूं ,
मैं भारतीय नारी हूं।
अंधेरा मन में उजाला भर जाती हूं ,
सनातन संस्कृति का सच समझाती हूं 
गीत वतन का गाती हूं।
घर - घर जाकर हिन्दुत्व का
अलख जगाती हूं ,
कमल फूल है निसान हमारा ,
सबको बतलाती हूं।
गौरवमय है भारत का इतिहास ,
सच कि विगुल बजाती हूं।
मैं कर रही 2024 कि तैयारी हूं ,
मैं ज्योति अधिकारी हूं,
राष्ट्र विरोधियों पर भारी हूं।
(((((((((((((((((())))))))))))))))))
प्रमोद मालाकार की कलम से

©pramod malakar मैं ज्योति का अधिकारी हूं

pramod malakar

मैं ज्योति का अधिकारी हूं #कविता

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Manju Bahuguna

# सबके चश्मे का नंबर #शायरी

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Dharminder Dhiman

एक नंबर का झूठा

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एक नंबर का झूठा,"हाँ" सही सुना।
एक नंबर का झूठा हूं..."मैं"...?
मेरी बातों में मत आना....
हाँ सच..,एक बात और,
कल मैंने कहा था ना,
कि तुम बहुत सुंदर हो....! एक नंबर का झूठा

Savita Nimesh

होस्टल का रूम नंबर 13 #हॉरर

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मैं कॉलेज हॉस्टल में न्यू आई थी वहां पता लगा मेरा रूम नम्बर 13  है ।
वहा खड़े कुछ स्टूडेंट के चेहरे का रंग उड़ गया था वो आखों ही आखों में ना जाने क्या बात कर रहे थे, खैर मैंने अपना सामान उठाया और अपने रूम की तरफ जाने लगी सभी मुझको बहुत अजीब सी नज़रों से देख रहे थे।
मैं अपने रूम में आई और अपना सामान लगाने लगी।
क्लास शुरू होने ही वाली थी मैने जल्दी से काम खत्म किया और क्लास में पहुंच गई। मैडम ने मेरा परिचय पूरी क्लास से कराया और सबने अपना परिचय मुझसे कराया, मुझे बहुत अच्छा लगा।
लेकिन क्लास खत्म होने के बाद मैंने सबसे अपना पेंडिंग वर्क मांगा तो सबने को न कोई बहाना बना के मना कर दिया।
तब मैं निराश सी होकर एक एकांत कोने में जा बैठी ।
तभी एक लड़की मेरे पास आई और बोली  तुम क्लास में काम मांग रही थी ना, ये लो मेरा वर्क काम होने के बाद वापस कर देना।
मेरे चेहरे पर एक तरफ खुशी थी तो दूसरी तरफ एक सवाल था कि ये लड़की क्लास में तो थी नहीं फिर इसको ये सब कैसे पता, पर खैर मुझे क्या मुझे तो वर्क मिल गया था
मैं जैसे ही उसका नाम पूछने के लिए मुड़ी वो वहां नहीं थी।
मै जब शाम को अपने रूम में पहुंची और पेंडिंग वर्क कंप्लीट करने में लग गई, 12 बज गए मेरा वर्क होने में, अचानक आंधी चलने लगी मेरे रूम की खिड़की बहुत तेज तेज बजने  लगी।
आसमान में बिजली कड़कने और बादल गरजने की आवाज से में सिहर गई , ऊपर से लाइट भी चली गई।
मैंने मोबाइल टॉर्च जला के मोमबत्ती ढूंढ के जलाई , तभी मेरा डोर किसी ने बजाया
ठक्क ठक्क ठक्क ठक्क्क
मैं मोमबत्ती हाथ में लिए दरवाज़ा खोलने लगी दरवाजा अपने आप झटके से खुल गया और हवा के झोंके से मोमबत्ती बुझ गई
मुझे कुछ भी साफ साफ नहीं दिख रहा था बस एक लड़की की परछाई दिखी मैने पूछा कौन हो इतनी रात गए क्या काम है मुझसे, अचानक मेरे पीछे की खिड़की फिर हवा से बजने लगी मैं खिड़की की तरफ बढ़ी तो लाईट भी आ गई, मैने जैसे ही पीछे मुड़कर दरवाज़े की तरफ देखा तो वहा कोई नही था।
अगले दिन सुबह मैंने अपने आस पास के सभी रूम की लड़कियों से पूछा की क्या कल तुम मेरे रूम पर आई थी पर सभी ने मना कर दिया,खैर फिर मैं इस बात को भूल गई और अपने में व्यस्त हो गई।
मैं वो सभी नोट्स वापस करने के लिए उस लड़की का इंतजार किया पर वो शायद आज आई ही नहीं थी।
तभी मैंने कुछ लड़कियों को आपस में बाते करते सुना की कल फिर से रूम नम्बर 13  की सुधा फिर से होस्टल में घूमती हुई कुछ लोगो ने देखी, ये सब सुनते ही मुझे सब समझ आ गया और मैं वही बेहोश हो गई।

©Savita Nimesh होस्टल का रूम नंबर 13

Savita Nimesh

होस्टल का रूम नंबर 13 #हॉरर

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मैं कॉलेज हॉस्टल में न्यू आई थी वहां पता लगा मेरा रूम नम्बर 13  है ।
वहा खड़े कुछ स्टूडेंट के चेहरे का रंग उड़ गया था वो आखों ही आखों में ना जाने क्या बात कर रहे थे, खैर मैंने अपना सामान उठाया और अपने रूम की तरफ जाने लगी सभी मुझको बहुत अजीब सी नज़रों से देख रहे थे।
मैं अपने रूम में आई और अपना सामान लगाने लगी।
क्लास शुरू होने ही वाली थी मैने जल्दी से काम खत्म किया और क्लास में पहुंच गई। मैडम ने मेरा परिचय पूरी क्लास से कराया और सबने अपना परिचय मुझसे कराया, मुझे बहुत अच्छा लगा।
लेकिन क्लास खत्म होने के बाद मैंने सबसे अपना पेंडिंग वर्क मांगा तो सबने को न कोई बहाना बना के मना कर दिया।
तब मैं निराश सी होकर एक एकांत कोने में जा बैठी ।
तभी एक लड़की मेरे पास आई और बोली  तुम क्लास में काम मांग रही थी ना, ये लो मेरा वर्क काम होने के बाद वापस कर देना।
मेरे चेहरे पर एक तरफ खुशी थी तो दूसरी तरफ एक सवाल था कि ये लड़की क्लास में तो थी नहीं फिर इसको ये सब कैसे पता, पर खैर मुझे क्या मुझे तो वर्क मिल गया था
मैं जैसे ही उसका नाम पूछने के लिए मुड़ी वो वहां नहीं थी।
मै जब शाम को अपने रूम में पहुंची और पेंडिंग वर्क कंप्लीट करने में लग गई, 12 बज गए मेरा वर्क होने में, अचानक आंधी चलने लगी मेरे रूम की खिड़की बहुत तेज तेज बजने  लगी।
आसमान में बिजली कड़कने और बादल गरजने की आवाज से में सिहर गई , ऊपर से लाइट भी चली गई।
मैंने मोबाइल टॉर्च जला के मोमबत्ती ढूंढ के जलाई , तभी मेरा डोर किसी ने बजाया
ठक्क ठक्क ठक्क ठक्क्क
मैं मोमबत्ती हाथ में लिए दरवाज़ा खोलने लगी दरवाजा अपने आप झटके से खुल गया और हवा के झोंके से मोमबत्ती बुझ गई
मुझे कुछ भी साफ साफ नहीं दिख रहा था बस एक लड़की की परछाई दिखी मैने पूछा कौन हो इतनी रात गए क्या काम है मुझसे, अचानक मेरे पीछे की खिड़की फिर हवा से बजने लगी मैं खिड़की की तरफ बढ़ी तो लाईट भी आ गई, मैने जैसे ही पीछे मुड़कर दरवाज़े की तरफ देखा तो वहा कोई नही था।
अगले दिन सुबह मैंने अपने आस पास के सभी रूम की लड़कियों से पूछा की क्या कल तुम मेरे रूम पर आई थी पर सभी ने मना कर दिया,खैर फिर मैं इस बात को भूल गई और अपने में व्यस्त हो गई।
मैं वो सभी नोट्स वापस करने के लिए उस लड़की का इंतजार किया पर वो शायद आज आई ही नहीं थी।
तभी मैंने कुछ लड़कियों को आपस में बाते करते सुना की कल फिर से रूम नम्बर 13  की सुधा फिर से होस्टल में घूमती हुई कुछ लोगो ने देखी, ये सब सुनते ही मुझे सब समझ आ गया और मैं वही बेहोश हो गई।

©Savita Nimesh होस्टल का रूम नंबर 13

jyoti gurjar

हां हूं में, ज्योति सांवली-सांवली सी
,जरा बावली बावली सी ,

वो रंग पर बड़ा इतराती हैं,
पर हमेशा अपनी मान मर्यादा को खोकर जाती हैं।

समाज का नाम बढ़ाने की जगह,
वो कुल को ही बदनाम कर जाती हैं।

©jyoti gurjar #ज्योति

Jyoti Agrahari

ज्योति

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एक ज्योति पुंज सी बन जाऊँ ये  नाम अमर अब मेरा हो ,
जग में आएँ तो कुछ करना है वो काम अमर अब मेरा हो। ज्योति

Jyoti Rajpurohit

ज्योति

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आज का ज्ञान शुभ प्रभात  🙏 ज्योति

HP

अखंड ज्योति

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💝अखंड ज्योति💝
वह मनुष्य निश्चय ही सौभाग्यवान है जिसने अपने अन्तःकरण को निर्मल बना लिया है और जिसका जीवन आध्यात्मिकता की ओर उन्मुख हो रहा है। अध्यात्म जीवन का वह तत्वज्ञान है, जिसके आधार पर मनुष्य विश्व ही नहीं अखण्ड ब्रह्माण्ड के सारे ऐश्वर्य को उपलब्ध कर सकता है। अध्यात्म ज्ञान के बिना सारा वैभव—सारा ऐश्वर्य और सारी उपलब्धियाँ व्यर्थ हैं। जो भाग्यवान अपने परिश्रम, पुरुषार्थ एवं परमार्थ से थोड़ा बहुत भी अध्यात्म लाभ कर लेता है वह एक शाश्वत सुख का अधिकारी बन जाता है। व्यवहार जगत में अनेक सीखने योग्य ज्ञानों की कमी नहीं है। लोग इन्हें सीखते हैं, उन्नति करते हैं, सुख−सुविधा के अनेक साधन जुटा लेते हैं। किन्तु इस पर भी जब तक वे अध्यात्म की ओर उन्मुख नहीं होते वास्तविक सुख-शाँति नहीं पा सकते। अखंड ज्योति
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