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Stories related to रामधारी सिंह दिनकर की कविता

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Ayush Arya

#रामधारी सिंह दिनकर की कविता।

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felling india

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता #kavita

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Randhir Kumar Jha

रामधारी सिंह दिनकर की कविता मेरी आवाज़ में रश्मिरथी के कुछ अंश

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Randhir Kumar Jha

रामधारी सिंह दिनकर की कविता * उर्वशी* के कुछ अंश मेरी आवाज़ में

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Randhir Kumar Jha

रामधारी सिंह दिनकर की कविता * उर्वशी* के कुछ अंश मेरी आवाज़ में

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richa verma

नमस्ते लेखको । कोलाब करे Pen n Popcorn के साथ और अपनी सुबह की शुरुआत कीजिए रामधारी सिंह " दिनकर" की कविता के साथ । #pnphindipoet3 #pnphindi #YourQuoteAndMine #collabwithpnp #pennpopcorn #pnp031120

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जीवन का होता है।
संघर्ष  जग से नहीं 
 स्वयं से होता है ।


 नमस्ते लेखको ।
कोलाब करे Pen n Popcorn के साथ और अपनी सुबह की शुरुआत कीजिए रामधारी सिंह " दिनकर" की कविता के साथ ।

#pnphindipoet3 #pnphindi

sukriti vaskar creations

सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है।sach hai vipatti jab aati hai...रामधारी सिंह दिनकर की कविता👈रश्मिरथी तृतीय सर्ग👈✍रामधारी सिंह #nojotovideo

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Anirudh Tiwary

# रामधारी सिंह दिनकर जी की कविता #poem

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आशीष रॉय 🇮🇳

कविता - रामधारी सिंह दिनकर। #reading

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कविता - रामधारी सिंह दिनकर।

दिनकर की रचनाओं ने स्वाभिमान जगाया है।
दबी बुझी सी चिंगारी में फिर ज्वाला भड़काया है।
कलमों को हथियार बना अंग्रेजों को भगाया है।
कविताओं के बल पर आजादी हमें दिलाया है। 

कविताओं में हुंकार जब दिनकर ने लगाया है।
दुश्मन के सीने को दिनकर ने खूब जलाया है।
दुश्मन हो या अपने सभी को आईना दिखलाया है।
लड़खड़ाती राजनीति को साहित्य से संभाला है।

कोरे कागज सा जीवन में साहित्य का दीप जलाया है।
उर्वशी में स्त्री का क्या कोमल ह्रदय दर्शाया है।
जो देश के लिए तन मन सब अर्पित कर जाता है।
वही राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर कहलाता है।

                                           - आशीष रॉय। कविता - रामधारी सिंह दिनकर।

#reading

VIJAY PRAKASH

रामधारी सिंह दिनकर

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सम्बन्ध कोई हों लेकिन
 यदि दुःख में साथ न दें अपना,
फिर सुख में उन सम्बन्धों का
रह जाता कोई अर्थ नहीं।
मन कटुवाणी से आहत हो
भीतर तक छलनी हो जाय,
फिर बाद कहे प्रिय बचनों का 
रह जाता कोई अर्थ नहीं।
सुख-साधन चाहे जितने हों
पर काया रोगों का घर हो,
फिर उन अगनित सुविधाओं का
रह जाता कोई अर्थ नहीं। रामधारी सिंह दिनकर
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