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söñâlï srívåstãvâ
घूंघट में चाँद चमक उठी निगाहें नूरानी चेहरे को देख सितम ग़र घूंघट मे अफताब छुपाये बैठे थे... घूंघट में
घूंघट में
read moreAnuj Ray
घूंघट में चाँद कब तक छुपे रहोगे घुंघट में मेरे चांद तड़पा के दिल को मेरे तुम्हें घुटन नहीं होती घूंघट में चांद
घूंघट में चांद
read moreprashant singh
घूंघट में चाँद ग़जब की शाम आयी है, घूंघट में चाँद निकला है| मिलूंगा आज उनसे मैं, अभी फरमान निकला है| लगाऊं कस के गले उनको, ये दिल में अरमान निकला है | ग़जब की शाम आयी है, घूंघट में चाँद निकला है || stylo... # घूंघट में चाँद.
# घूंघट में चाँद. #कविता
read morewriter##Zeba Noor
घूंघट में चाँद वो देखो घूंघट में चांद बैठा है मेरे यार का दीदार कर रहा है छुप छुप कर देखता है उसे मेरे ही यार को अपना बनाए बैठा है । घूंघट में चांद
घूंघट में चांद
read moreR K Mishra " सूर्य "
चेतावनी ये है नोजोटोका घोटाला जो अपनी मर्ज़ी से पैसा बूस्ट के नाम पर वॉलेट से पैसा काट लिया है ©R K Mishra " सूर्य " #घोटाला
Sunil Kumar Maurya Bekhud
आसमा में उड़ चला ऊँची मेरी उड़ान इस जहाँ से चला बाँध कर सामान चन्द पल के बाद ही जाऊंगा मै उस जहाँ फिर न वापस आऊंगा लौट कर फिर इस जहाँ फिर मुझे छू पाना होगा नहीं आसान जानेंगे जब तक मेरा लोग असली रूप जाऊंगा ऐसी जगह होंगे नहीं यमदूत जानकर घोटालों में शामिल है मेरा नाम लूट अपने देश को चल दिया परदेश मुझको नहीं अफ़सोस है मन में न कोई क्लेश चल दिया हूँ आज अपना बेच कर ईमान ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #घोटाला
VINIT TIWARY
बिक रही सरकारी नौकरी, बिहार सरकार मे। परीक्षा से पहले आ जाता प्रश्न-उत्तर बाजार में।। सभी जगह घोटाला, पैसे से बहाली। रोना आता है देखकर, शिक्षा की बदहाली।। घोटाला
घोटाला #कविता
read moreJay Krishan Kumar
घूंघट में चाँद आज घूंघट में चाँद है और , बंदगी में है आशिकी । नूर है जो घूंघट की ओट से छटक रही , बढ़ा रही है इश्क की तृष्णगि । है जुस्तजू कि सरक जाए ये पर , पर लुभा रही है घूंघट से छिटकती चांदनी । आज घूंघट में चाँद है और , बंदगी में है आशिकी । जी करता है यूँ ही थमा सा रहे वक्त , और बस प्रकृति गाती रहे प्रेम - रागिनी । अमावस के चक्र से पड़े बस , यूँ ही छिटकटती रहे पूर्णमासी कि चांदनी । है जुस्तजू कि लिपट जाऊं इससे पर , पर आंखें चाहती है निहारता रहूँ यूँ ही । आज घूंघट में है चाँद और , बंदगी में है आशिकी ॥ आज घूंघट में है चाँद ...
आज घूंघट में है चाँद ... #कविता
read moreAnand Kumar Ashodhiya
घोटाला पिछले कुच्छ दिनों से मेरा मन, बहुत मचल रहा है लालच का महादानव मुझे उद्वेलित कर, आत्मा को कुचल रहा है बेईमानी से कमाने की इच्छा, बलवती हो रही है शिष्टाचार और सद्भावना, अन्दर ही अन्दर सती हो रही है दिल करता है, भ्रष्ट आचार से, कोई घोटाला कर लूँ अनीति और हराम की कमाई से, अपना घर भर लूँ जनता की खून पसीने की कमाई, पल भर में डकार जाऊं खुद पर लगे आरोपों को, पूरी बेशर्मी से नकार जाऊं खाकर रकम गरीबों की, बेशर्म और नम्फ्ट हो जाऊं सब इल्जामों पे मिट्टी डाल, कुम्भकर्णी नींद सो जाऊं ये "थर्ड रेट" आन्दोलनकर्ता मेरा क्या कर लेंगे अपने खिलाफ मुंह खोलने वाले, एक एक को धर लेंगे हार, बेइज्जती और सजा के बावजूद भी, नहीं आऊंगा बाज़ करके झूठे वादे धोखे, पांच साल बाद, फिर पहनूंगा ताज़ घपले और घोटालों के फ़ेरहिस्त में, अपना नाम लिखवाऊंगा करके कायम अराजकता, फिर धृतराष्ट्र हो जाऊँगा रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइ ©Anand Kumar Ashodhiya #घोटाला #MereKhayaal