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Bharat Bhushan pathak
विकलता है,हृदय का प्रेम नयन की प्यास है इसमें। मुहब्बत नाम है जिसका,लिखी गाथा,कई इसपे।। प्रतीक्षा है किसी की ये,किसी की चाह दिखती है। बनाई है,कवि कितने,इसी की धूम दिखती है।। ©Bharat Bhushan pathak #essenceoftime विकलता है,हृदय का प्रेम नयन की प्यास है इसमें। मुहब्बत नाम है जिसका,लिखी गाथा,कई इसपे।। प्रतीक्षा है किसी की ये,किसी की चाह
Rathva Sanjay
Year end 2023 ❤🤝🏻🤝🏻🍷🍷☃🥂✈❤ पुराना साल सबसे हो रहा है दूर, क्या करें यही है कुदरत का दस्तूर, पुरानी यादें सोच कर उदास ना हो तुम, नया साल आया है चलो, धूम मचा ले धूम मचा ले धूम। नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं… ❤🤝🏻🤝🏻🍷🍷☃🥂✈❤ ©Rathva Sanjay ❤🤝🏻🤝🏻🍷🍷☃🥂✈❤ पुराना साल सबसे हो रहा है दूर, क्या करें यही है कुदरत का दस्तूर, पुरानी यादें सोच कर उदास ना हो तुम, नया साल आया है चलो, धूम मचा
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौकडिया छन्द रघुवर अपने घर आ जाओ , मातु साथ ले आओ । बरसो कर ली बहुत प्रतिक्षा , अब तो दरश दिखाओ ।। जायें जल घर-घर फिर दीपक , खुशियाँ संग मनाओ । चंदन भाल लगाए हम सब , अवसर हमें दिलाओ ।। आने वाली है दीवाली , हर घर में खुशहाली । कोयल मीठे गान सुनाती , देखो डाली-डाली ।। धरती से अम्बर तक दिखती , देखो छटा निराली । आने वाले हैं जो जग में , वह हैं जग के माली ।। राहों में तुम फूल बिछाओ ,मिलकर धूम मचाओ । आने वाले है रघुनंदन , नगरी आज सजाओ ।। दुल्हन जैसी लगे अयोध्या ,गीत खुशी के गाओ । ढ़ोलक बाजे कान्हा नाचे , खुशियाँ सभी मनाओ ।। २७/१२/२०२३ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौकडिया छन्द रघुवर अपने घर आ जाओ , मातु साथ ले आओ । बरसो कर ली बहुत प्रतिक्षा , अब तो दरश दिखाओ ।। जायें जल घर-घर फिर दीपक , खुशियाँ संग
Rathva Sanjay
❤🤝🏻🤝🏻🍷🍷☃🥂✈❤ पुराना साल सबसे हो रहा है दूर, क्या करें यही है कुदरत का दस्तूर, पुरानी यादें सोच कर उदास ना हो तुम, नया साल आया है चलो, धूम मचा ले धूम मचा ले धूम। नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं… ❤🤝🏻🤝🏻🍷🍷☃🥂✈❤ ©Rathva Sanjay ❤🤝🏻🤝🏻🍷🍷☃🥂✈❤ पुराना साल सबसे हो रहा है दूर, क्या करें यही है कुदरत का दस्तूर, पुरानी यादें सोच कर उदास ना हो तुम, नया साल आया है चलो, धूम मचा
Medha Bhardwaj
Devesh Dixit
ऐ भगत सिंह तुम ज़िंदा हो, हर एक लहू के कतरे में ऐ भगत सिंह तुम ज़िंदा हो, हर एक लहू के कतरे में। हिला दिया था अंग्रेजों को, समझ गये वो थे खतरे में। गहरी चाल चली उन सब ने, जाल में तुम्हें फंँसाया था। धड़कन ही थम रही थी जैसे, सब ने दिल में बसाया था। राजगुरु और सुखदेव के संग, मिलकर आवाज़ उठाई थी। अंग्रेजों को फिर किया था तंग, जब उन्होंने अति मचाई थी। जलियाँवाले बाग को देख कर, तुम्हारा खून भी खौला था। कर गुजरना है उस हद तक, जज्बा दिल का बोला था। देश भक्ति की मशाल जलाकर, अंग्रेजों को ललकारा था। उन दुष्टों को फिर धूल चटाकर, तबियत से धिक्कारा था। वक्त आया था फांँसी का जब, रंग दे बसंती को गाया था। देश भक्ति की ज्वाला को तब, कई दिलों में धधकाया था। चूम कर फंदे को फिर तीनों ने, देश प्रेम की अलख जगाई थी। भीग गईं तब सबकी आँखें, तीनों को दी फिर तब विदाई थी। .............................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #ऐ_भगत_सिंह_तुम_ज़िंदा_हो #nojotohindi ऐ भगत सिंह तुम ज़िंदा हो, हर एक लहू के कतरे में ऐ भगत सिंह तुम ज़िंदा हो, हर एक लहू के कतरे में। हिल