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मिहिर
White घर पहला घर मां की कोख है फिर जहां मां होती है वो घर होता है मां भी प्रकृति सी होती है और प्रकृति भी मां जैसी स्नेह जहां पनपता है प्रेम जहां पलता है वहां घर है वही घर है कमरे, गांव, शहर या देश घर नही जहां प्रेम है वहां घर है वही घर है!! ©मिहिर #घर
HARSH369
White अभी तक भारत मे कितने भी उम्मिदवार हुवे, उनमे से किसी ने भी देश के विकाश के बारे मे सोचा कभी किसी ने...उत्तर है नही सब के सब अपने बारे मे,अपनी जेब भरने मे लगे रहे एक नेता हमारे देश मे एसे आये जिन्होने देश को असीम ऊचाईयो मे पहुंचाया, देश का गौरव बढ़ाया,देश मे स्वच्छता से लेकर नये नये मन्दिर,उद्ध्योग खोले देश कि हर जनता के बारे मे सोचा हर किसान,हर बेरोजगार,हर कन्या के बारे मे सोचा हर होने वाले बालक बालिकाओ के बारे मे सोचा नये नये लोन प्रकरण के बारे मे सोचा नोट बन्दि करवा कर टेक्स ना भरने वालो कि कमर तोढ़ दि, उस पर जी.ऍस.टी.लगवाकर देश कि आर्थिक स्थिती मे बदलाव , घर घर मे गैस सुविधाये पहुंचाई अन्य भी बहुत कुछ दिया बी.जे.पी.सरकार ने मैने तो जब से इस सरकार का काम देखा है मैने यह सोचा है जब तक हिन्दुस्तान का नाम रहे देश मे प्रधान मन्त्री के तौर पर मोदी जी का हि नाम रहे.. हर हर मोदी,घर घर मोदी..!! ©HARSH369 #election_2024 #हर हर मोदी,हर घर मे मोदी
#election_2024 #हर हर मोदी,हर घर मे मोदी #विचार
read moreNimisha Mishra HI
White एक कहावत है और हकीकत भी कि मूर्ख लोग घर बनाते है, और अक्लमंद उसमे किराए पर रहते है .। ©Nimisha Mishra HI #City घर
Dev Rishi
मुस्कुरा चेहरा पे ये बोझ है ज़बान घरो की जिम्मेदारी उठानी तो रोज़ है ©Dev Rishi #जिम्मेदारी #घर
दिनेश
White धरती पे कदम बने रहें यूँ चाह नहीं कि आसमान मिले , पर मैं जब वापस आऊँ घर को सबके चेहरे पर मुस्कान मिले । तुम चिंता क्यूँ करते हो ? मैं मरा नहीं अभी जिंदा हूँ , पर लौटकर घर तो आऊँगा ही अभी बेशक एक परिंदा हूँ । भाई से बस एक भाई मिले न कि एक मेहमान मिले । पर मैं जब वापस आऊँ घर को सबके चेहरे पर मुस्कान मिले । ©दिनेश #Hope घर
Rudra Pratap Singh
मुझे घर बनाने; घर से दूर निकलना पड़ा, और गिरते-गिरते कई बार सम्हलना पड़ा। हारा हिम्मत; टूटा हौसला कई बार, बेशक! “कुछ दूर और!” कह कर बस चलना पड़ा। थक कर चूर; जब सोया कभी इत्मीनान से, नींद आई नहीं पूरी रात; बस करवट बदलना पड़ा। याद आती रही मां, बाप से दूर होना खलता रहा, मत पूछो, अपनों से दूर हो कितना मचलना पड़ा। और गिरते-गिरते कई बार सम्हलना पड़ा। ©Rudra Pratap Singh मुझे घर बनाने घर से दूर निकालना पड़ा #घर #होली #Festival #holi