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Dheeraj kumar
White धूप–पानी सब कुछ दिया मैंने अपनों को सब ने मुझे कीड़े वाला फल दिया, बात हुई थी मंजिल तक साथ चलने की कोई रास्ते में बदला किसी ने रास्ता बदल दिया। सबके बुरे वक्त में मैं था मेरे वक़्त किसी ने नज़रे चुराई, कोई आँखें दिखा कर चल दिया । जब मुझे सहारे की जरूरत थी तो अपनो ने मुझे सलाह दिया, मैं सूरज जैसा चमकता रहा जब वो अंधेरे में थे मैने जरा सी रौशनी मांगी सब ने मिल के मेरा घर जला दिया । __धीरज कुमार © Dheeraj kumar #nojohindi #हिंदी #कविता
Eklakh Ansari
Ghumnam Gautam
कर देबे जो क्योर कबीता ख़ुद में हो जो श्योर कबीता आओ आज सुनाएँ सबको हिंदी की वो प्योर कबीता ©Ghumnam Gautam #truecolors #कविता #हिंदी #आज #ख़ुद #ghumnamgautam
'मनु' poetry -ek-khayaal
HARSH369
मन कि व्यथा मन ही जाने, ना तुम जान सको न मैं जानू क्या मन करवाये क्यू करवाये ये मन ना तुम जान सको ना हि मैं जानू.. बेधड़क बोलता हूं,बेखौफ बोलता हूं रिस्तो के बन्धन को कान्टों पर तोलता हूं जिसके पास जितना पैसा, उसी कि सरकार है बाकि बेकारो के लिये बेकार परिवार है,..! बाकि ये सब क्यूं बनाया भगवान ने ना तुम जान सके ना हि मैं जानू..! मन की व्यथा..मन हि जाने..!! ©SHI.V.A 369 #मन की व्यथा..!! #कविता मन की
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla
घर से दूर घर की याद बहुत आती है। सुबह तो भाग दौड़ मे निकल जाती, शाम संग यादों का कारवां लाती है, घर से दूर घर की याद बहुत आती है। सब कुछ है इस शहर मे, बस अपनापन नही, कोई अपना नही करवटें बदलती रातों मे माँ की आँचल..। जरा सा तबियत बिगड़ जाने पे, पापा का वो हलचल... गाँव का वो डॉक्टर... जब खाना पकाते वक्त कभी अचानक से जब अंगुली जल जाती है, खाना बन गया है आके खालो ये आवाज कान से होकर आँखों तक आ जाती है... बस मे धक्के खाते वक्त पापा का बाईक से स्कूल छोड़नी याद आती है। बड़े हो जाने पर बचपन की याद सताती है। घर से दूर घर की याद बहुत आती है।। ©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla #LongRoad कविता # घर की याद...