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Sonia Lath
aisi Bani boliye , man ka aapa khoye, auron ko Sheetal kare, aap ko Sheetal hoye. nindak niyare rakhiye , aangan kuti chhawaye, bin Pani sabun Bina, Nirmal kare Subha. ©Sonia Lath #kabir ji ke dohe
#Kabir ji ke dohe
read moreDeepak Kumar
पढ़े गुनै सीखै सुनै मिटी न संसै सूल। कहै कबीर कासों कहूं ये ही दुःख का मूल ॥ अर्थ : बहुत सी पुस्तकों को पढ़ा गुना सुना सीखा पर फिर भी मन में गड़ा संशय का काँटा न निकला कबीर कहते हैं कि किसे समझा कर यह कहूं कि यही तो सब दुखों की जड़ है – ऐसे पठन मनन से क्या लाभ जो मन का संशय न मिटा सके? #kabir ji ke Dohe
Deepak Kumar
अर्थ: रात सो कर बिता दी, दिन खाकर बिता दिया हीरे के समान कीमती जीवन को संसार के निर्मूल्य विषयों की – कामनाओं और वासनाओं की भेंट चढ़ा दिया – इससे दुखद क्या हो सकता है ? #WorldEnvironmentDay Kabir ji ke Dohe
#WorldEnvironmentDay Kabir ji ke Dohe #विचार
read moreDeepak Kumar
अर्थ: प्रेम खेत में नहीं उपजता प्रेम बाज़ार में नहीं बिकता चाहे कोई राजा हो या साधारण प्रजा – यदि प्यार पाना चाहते हैं तो वह आत्म बलिदान से ही मिलेगा. त्याग और बलिदान के बिना प्रेम को नहीं पाया जा सकता. प्रेम गहन- सघन भावना है – खरीदी बेचे जाने वाली वस्तु नहीं ! #WorldEnvironmentDay Kabir ji ke Dohe
#WorldEnvironmentDay Kabir ji ke Dohe #विचार
read moreDeepak Kumar
कबीर सोई पीर है जो जाने पर पीर । जो पर पीर न जानई सो काफिर बेपीर ॥ अर्थ: कबीर कहते हैं कि सच्चा पीर – संत वही है जो दूसरे की पीड़ा को जानता है जो दूसरे के दुःख को नहीं जानते वे बेदर्द हैं – निष्ठुर हैं और काफिर हैं. #WorldEnvironmentDay Kabir ji ke Dohe
#WorldEnvironmentDay Kabir ji ke Dohe #विचार
read moreDeepak Kumar
साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय, सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय। अर्थ: इस संसार में ऐसे सज्जनों की जरूरत है जैसे अनाज साफ़ करने वाला सूप होता है। जो सार्थक को बचा लेंगे और निरर्थक को उड़ा देंगे। Kabir dohe
Kabir dohe #शायरी
read moreDeepak Kumar
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय। अर्थ: जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला। जब मैंने अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं है। Kabir dohe
Kabir dohe #शायरी
read moreZero Kumar
पाहन पूजे हरि मिले तो मैं पूजू पहाड़। याते ये चक्की भली पीस खाए संसार। Kabir Dohe ©Zero Kumar Kabir Dohe
Kabir Dohe #कविता
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