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Shailendra Singh Yadav
संघर्ष है जीवन में आस की लौ कभी बुझनी नहीं चाहिये। कितने विपरीत पल हों खुश रहें हमेशा उदासी दिखनी नहीं चाहिये। शायरः-शैलेन्द्र सिंह यादव #gif शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी आस की लौ कभी बुझनी नहीं चाहिये।
शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी आस की लौ कभी बुझनी नहीं चाहिये। #Gif
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जल रहा जिससे ज़माना लगी वह आग बुझनी चाहिए अखबारों के मुखपृष्टों की तस्वीर अब आज बदलनी चाहिए निर्णय जो देगा आज अदालत उस फ़ैसले का सम्मान होना चाहिए मज़हबी बैर में रोज़ होने वाला हंगामा वर्षों पुराना अब थमना चाहिए संप्रभु वाले अपने इस धरा का पुनः आज इतिहास वो दोहराना चाहिए सेंकते सब मतलब कि रोटी इसपर वह राजनीतिक व्यापार अब थमना चाहिए भटके हुए अवसरवादी रहनुमाओं का बचा हुआ वजूद भी अब ख़ाक होना चाहिए रह रहा सालों से तंबू में जो अब तलक तेरे जैसा न सही पर घर उसका भी होना चाहिए सुना है हुज़ूर के मुखर से ख़ुदा बोलता है फ़िर आज तो श्री राम का जय-जयकार होना चाहिए जल रहा जिससे ज़माना लगी वह आग बुझनी चाहिए #hindi #poetry #love #life #rapidfire #random #words
Jajbaat-e-Khwahish(जज्बात)
ग़म-ए-शहर ने किफायत-ए-मोहब्बत में तेरी, सामने अदालत के इश्क की दुहाई रखी !! राज' सीने में है जब्त-ए-'सिमरन' के माफिक, जैसे काफिर ने दरीचे में छिपाकर कमाई रखी!! तेरे इत्र की खुश्बू डाल आया हूँ, दरिया में 'जस्मिन', जो आग बुझनी थी मुद्दतो पहले, हमने जलाई रखी।। गम-ए-मासूमियत में तू भी मारा गया 'जज्बात', पर इक उम्र तूने सल्तनत-ए-खुशी की जड़े हिलाई रखी !! ©Jajbaat-e-Khwahish(जज्बात) Register @ jajbaat.com for Bazm-e-raj 2022 ग़म-ए-शहर ने किफायत-ए-मोहब्बत में तेरी, सामने अदालत के इश्क की दुहाई रखी !! राज' सीने में है जब
Register @ jajbaat.com for Bazm-e-raj 2022 ग़म-ए-शहर ने किफायत-ए-मोहब्बत में तेरी, सामने अदालत के इश्क की दुहाई रखी !! राज' सीने में है जब #शायरी
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