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Amit Singhal "Aseemit"
नागरिकों को दिन रात जब सताता है युद्ध का आतंक, उनके लिए तो यह ज़हरीला होता जैसे साँप का डंक। ©Amit Singhal "Aseemit" #युद्ध #का #आतंक
abhishek💞
प्रेम क्या है ?? दिल का युद्ध दिमाग के विरूद्ध दिल का युद्ध !!
Bulbul varshney
मोहब्बत का पहला पैगाम लाए हो तुम मोहब्बत का पहला ऐसा एहसास लाए हो तुम अब जिंदगी से और कुछ नहीं चाहिए बस जिंदगी भर का तुम्हारा साथ चाहिए। ©Bulbul varshney #पहला मोहब्बत का पहला पैगाम।
Reeta Ashu
सुबह की पहली चाय मैं अपने हमसफर के साथ पीना चाहती हूं पर वह अभी मेरे साथ नहीं हैं इसलिए मैं अपने सबसे करीबी अपने मोबाइल के साथ पीना चाहूंगी क्योंकि मेरे हमसफर की छवि और एहसास हमेशा मेरे साथ होते हैं चाय का पहला प्याला मेरे और मेरे हमसफर के एहसासों के नाम ❤️ ©Reeta Ashu चाय का पहला पहला #teaandyou
Shivam Gupta
जिन्दगी एक ऐसा युद्ध हैं जहां हर पल जीत या हार मिलती हैं ©Shivam Gupta जिंदगी का युद्ध #Light
!! सनातनी जीतू !!
निर्बल बकरों से बाघ लड़े,भिड़ गये सिंह मृग-छौनों से घोड़े गिर पड़े गिरे हाथी,पैदल बिछ गये बिछौनों से हाथी से हाथी जूझ पड़े ,भिड़ गये सवार सवारों से घोड़ों पर घोड़े टूट पड़े,तलवार लड़ी तलवारों से हय-रूण्ड गिरे¸गज-मुण्ड गिरे,कट-कट अवनी पर शुण्ड गिरे लड़ते-लड़ते अरि झुण्ड गिरे,भू पर हय विकल बितुण्ड गिरे क्षण महाप्रलय की बिजली सी,तलवार हाथ की तड़प–तड़प हय–गज–रथ–पैदल भगा भगा,लेती थी बैरी वीर हड़प क्षण पेट फट गया घोड़े का,हो गया पतन कर कोड़े का भू पर सातंक सवार गिरा,क्षण पता न था हय–जोड़े का चिंग्घाड़ भगा भय से हाथी,लेकर अंकुश पिलवान गिरा झटका लग गया,फटी झालर,हौदा गिर गया¸निशान गिरा कोई नत–मुख बेजान गिरा,करवट कोई उत्तान गिरा रण–बीच अमित भीषणता से,लड़ते–लड़ते बलवान गिरा मेवाड़–केसरी देख रहा,केवल रण का न तमाशा था वह दौड़–दौड़ करता था रण,वह मान–रक्त का प्यासा था चढ़कर चेतक पर घूम–घूम,करता सेना–रखवाली था ले महा मृत्यु को साथ–साथ,मानो प्रत्यक्ष कपाली था रण–बीच चौकड़ी भर–भरकर,चेतक बन गया निराला था राणा प्रताप के घोड़े से,पड़ गया हवा को पाला था गिरता न कभी चेतक–तन पर,राणा प्रताप का कोड़ा था वह दोड़ रहा अरि–मस्तक पर,या आसमान पर घोड़ा था जो तनिक हवा से बाग हिली,लेकर सवार उड़ जाता था राणा की पुतली फिरी नहीं,तब तक चेतक मुड़ जाता था सेना–नायक राणा के भी,रण देख–देखकर चाह भरे मेवाड़–सिपाही लड़ते थे,दूने–तिगुने उत्साह भरे क्षण मार दिया कर कोड़े से,रण किया उतर कर घोड़े से। राणा रण–कौशल दिखा दिया,चढ़ गया उतर कर घोड़े से क्षण भीषण हलचल मचा–मचा,राणा–कर की तलवार बढ़ी था शोर रक्त पीने को यह,रण–चण्डी जीभ पसार बढ़ी वह हाथी–दल पर टूट पड़ा,मानो उस पर पवि छूट पड़ा कट गई वेग से भू ऐसा,शोणित का नाला फूट पड़ा ऐसा रण राणा करता था,पर उसको था संतोष नहीं क्षण–क्षण आगे बढ़ता था वह,पर कम होता था रोष नहीं कहता था लड़ता मान कहां,मैं कर लूं रक्त–स्नान कहां जिस पर तय विजय हमारी है,वह मुगलों का अभिमान कहां भाला कहता था मान कहां¸,घोड़ा कहता था मान कहां? राणा की लोहित आंखों से,रव निकल रहा था मान कहां ,,,श्याम नारायण पाण्डेय ©ब्राह्मणवंशी जीतू मिश्रा (विद्रोही जी) @हल्दीघाटी का युद्ध 'चेतक'
Manish sahu
मेरे छत से दिखता था उसका भी छत जहां वो अपने बालों को संवारने रोज शाम आती थी। शायद उसको भी मेरे होने का एहसास हो गया था, उसकी देखते ही मैं उसका हो गया था।। मुझे तो सताने लगे थे उसके याद, मेरे ख्यालों और ख्वाबों में आकर उसका भी तो दिल उदास हुआ होगा, इस शहर से दूर जाकर।। वो आज भी मुझे याद तो करती रहती होगी, इतना जगह तो मैने बना लिया था, उसके दिल में प्यार जगाकर।। ©M@ मेरा पहला इश्क का पहला एहसास #seashore
Dipika Saini
इतिहास में कहा दर्ज होते हैं वो युद्ध.. जो मन के भीतर चलते हैं.. .💥💫✍✍ राधे राधे 👏♥ ©Dipika Saini मन के भीतर का युद्ध........
Raj saxena
प्यार का पहला इश्क का दूसरा और मोहब्बत का तीसरा अक्षर अधूरा होता इसीलिए तो हम आप को चाहते है क्यों की चाहत का हर अक्षर पूरा होता है ©Raj saxena प्यार का पहला #intimacy