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vikrajgill
खुदके बचो में आपको जहाँ नज़र आता है ऐसे चेहरों में आपको कुछ कहाँ नज़र आता है इंसान हो तो इंसानियत को समझो
इंसान हो तो इंसानियत को समझो
read moreM R Mehata(रानिसीगं )
जय माता दी 🙋♂ कुछ लोग जिधर की हवा हो उधर चलने लगते हैं... ये काम कचरे का है इंसान का नहीं कोई उन्हें समझा दो 🧒इंसान हो तो इंसान बनो 🧒 ©M R Mehata(रानिसीगं ) इंसान हो तो इंसान बनो
इंसान हो तो इंसान बनो #प्रेरक
read moreAkash. gara😊
इंसाफ करना है तो इंसाफ सही से करो शुरुआत करना है तो शुरुआत सही से करो जल्दी करनी थी इंसाफ तो ,शुरुआत सही से करो गोली मारी जिसे आप ने,ये शुरुआत अपने आका से करो🙏 #इंसान हो तो सब के साथ हो
Shravan Goud
इंसान हो तो ऐसा जिसका अभिवादन करने का मन करे। इंसान हो तो ऐसा जिसका अभिवादन करने का मन करे।
इंसान हो तो ऐसा जिसका अभिवादन करने का मन करे।
read moreHasanand Chhatwani
✍🏻इंसान हो तो सच्चे रहो... झुठे तो बर्तन भी होते हैं...!!! ✍🏻इंसान हो तो सच्चे रहो... झुठे तो बर्तन भी होते हैं...!!!
✍🏻इंसान हो तो सच्चे रहो... झुठे तो बर्तन भी होते हैं...!!!
read moreManoj Patel
#PoetryOnline#मानवता.. कौन कहता है, नहीं बनना धनवान ज़रुरी है- मगर इंसान हो तो, पहले बनना इंसान ज़रुरी है# #कविता #nojotovideo
read moreSonu Akhtar "Riyaaz"
इब्तिदा-ए- मोहब्बत में घबराना लाज़मी है, तुम्हारा मेरे नाम पे यूं शर्माना लाज़मी है झगड़ कर रात को भटकते रहना आदतन, थक जाओ तो घर वापस आना लाज़मी है बरसो लगे रहना किसी शख्स को भुलाने में फिर अचानक से याद का आना लाज़मी है पत्थरों के आंसू टपके ऐसी बंदिश तो नहीं, इंसान हो तो अपना ज़ख्म दुखाना लाज़मी है इब्तिदा-ए- मोहब्बत में घबराना लाज़मी है, तुम्हारा मेरे नाम पे यूं शर्माना लाज़मी है झगड़ कर रात को भटकते रहना आदतन, थक जाओ तो घर वापस आना लाज़म
इब्तिदा-ए- मोहब्बत में घबराना लाज़मी है, तुम्हारा मेरे नाम पे यूं शर्माना लाज़मी है झगड़ कर रात को भटकते रहना आदतन, थक जाओ तो घर वापस आना लाज़म #Poetry #ghazal #Delhi #nojotoapp #Saket #RDV19 #shamesukhan
read moreSonu Akhtar "Riyaaz"
इब्तिदा-ए- मोहब्बत में घबराना लाज़मी है, तुम्हारा मेरे नाम पे यूं शर्माना लाज़मी है झगड़ कर रात को भटकते रहना आदतन, थक जाओ तो घर वापस आना लाज़मी है बरसो लगे रहना किसी शख्स को भुलाने में फिर अचानक से याद का आना लाज़मी है पत्थरों के आंसू टपके ऐसी बंदिश तो नहीं, इंसान हो तो अपना ज़ख्म दुखाना लाज़मी है इब्तिदा-ए- मोहब्बत में घबराना लाज़मी है, तुम्हारा मेरे नाम पे यूं शर्माना लाज़मी है झगड़ कर रात को भटकते रहना आदतन, थक जाओ तो घर वापस आना लाज़
इब्तिदा-ए- मोहब्बत में घबराना लाज़मी है, तुम्हारा मेरे नाम पे यूं शर्माना लाज़मी है झगड़ कर रात को भटकते रहना आदतन, थक जाओ तो घर वापस आना लाज़ #Poetry #ghazal #IITRoorkee #Delhi #MyPoetry #nojotoapp #Saket #RDV19 #shamesukhan #BVEST19
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