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Pratibha Dwivedi urf muskan

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Pratibha Dwivedi urf muskan

आद दुलाब-दुलाब थेलने ता दिन है।
लो ले लो नात मत पोंतो...
दल्दी पतलो... तोई देत लेदा...।
क्या जमाना आ गया बाल बुद्धि बहक रहे हैं ।
ए बी सी बोलना नहीं सीखे लव यू लव यू बोल रहे हैं।

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Pratibha Dwivedi urf muskan

#प्रतिभाउवाच प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कान© कीरचना #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीस्वरचितरचना Nitin Pandey (Shayari_motivation_) Satyaprem Upad #विचार

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हुनर हुनर किसी का मोहताज नहीं होता..
ये छुपने वाला कोई राज नहीं होता..!!

 लेखिका प्रतिभा द्विवेदी उर्फ मुस्कान© #प्रतिभाउवाच #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कान© कीरचना
#प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीस्वरचितरचना  Nitin Pandey (Shayari_motivation_) Satyaprem Upad

Pratibha Dwivedi urf muskan

Pratibha Dwivedi urf muskan

मैं आज की नारी 
अबला नहीं मैं सबला हूँ !!
बस अपनी बुरी नीयत पर लगाम लगा लो 
फिर हर जगह पर मैं बस सफला हूँ!!
पुरुष प्रधान समाज में भी मैं 
अस्तित्व को पुख्ता रखती हूँ !!
सौम्या हूँ सौंदर्या हूँ 
जीवन को  संरक्षित करती हूँ!!
मैं रौनक हूँ इस सृष्टि की 
चेतन जगत को करती हूँ!!
उड़ने दो मुझको पंख पसार
करने दो अपना विस्तार...
मुझे रोको ना मुझे टोको ना 
छू लेने दो अपना आसमां....
छू लेने दो अपना आसमां....

©Pratibha Dwivedi urf muskan #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीकलमसे #प्रतिभाउवाच ,#प्रतिभाद्विवेदी #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कान© #स्वरचित #मेराविचार #नोजोटो #नोजोतोहिन्दी #नो

Pratibha Dwivedi urf muskan

लव पर मुस्कान के साथ मधुर बात कीजिए हितकारी वचन बोलकर दिल जीत लीजिए।
खुशी आपको भी मिलेगी खुश सामने वाला भी होगा,,
 लव खोलिए खुशियों के गुल बिखेर दीजिए ।।

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Pratibha Dwivedi urf muskan

*सकारात्मकता बनाम नकारात्मकता*
"सच बोलना साहस का काम है, और साहसी होना बुरी बात नहीं ।माना कि सच नकारात्मक है तो नकारात्मकता को उजागर करना भी बुरी बात नहीं । गंदगी देखकर नजर अंदाज करने से बेहतर है , गंदगी ना फैले उसका प्रबंध करना .. बुराई जिसको बुरी लगती है वही उसके खिलाफ बोलता है । आलोचक भी वही करता है, व्यंग्यकार भी वही करता है । अपने शब्दों के बाणों से समाज में नैतिकता भरता है । 
और नैतिक होना भी बुरी बात नहीं है । नैतिकवादी कभी नकारात्मक नहीं होते । बुराई का खात्मा करने के लिए उसके खिलाफ बोलना अतिआवश्यक है। जहर और अमृत में से केवल अमृत के गुणगान करना ही सकारात्मकता नहीं है बल्कि जहर अगर दिख रहा है तो उसके बारे में लोगों को सचेत करना , उसे बुरा कहना , उसके दोष बताना ये भी सकारात्मकता ही है । लेकिन जहर को देखकर उसे नजर अंदाज कर देना , उसके अस्तित्व को नकारना .. ये नकारात्मकता है ,, वर्तमान में जो ऐसा कर रहे हैैं ऊपर से स्वयं के सकारात्मक होने का दावा करते हैं ,, सबसे बड़े नकारात्मक वही हैं जो सत्य को उजागर करने की स्वयं भी हिम्मत नहीं जुटा पाते और कोई ऐसा करता है तो उसको  नकारात्मक घोषित कर देते हैं । जबकि सबसे बड़े नकारात्मक और भीरू वही हैं । कड़वा सच बोलना नकारात्मकता नहीं बल्कि उसके अस्तित्व को नकारना नकारात्मकता है । जस का तस सच बोलने वाला, लिखने वाला, नकारात्मक नहीं , सकारात्मक सोच रखने वाला निर्भीक और साहसी होता है ‌। जो समाज को अपने शब्दों से जागृत करता है । सही दिशा दिखाता है । और नैतिकता को गति प्रदान भी करता है । तो जस का तस सच बोलने, लिखने वालों को नकारात्मक बोलने से पहले दस बार सोच लें कि आप स्वयं क्या हैं ।
लेखिका/कवयित्री-प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान ©
सागर मध्यप्रदेश ( 09 अप्रैल 2022 )

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Pratibha Dwivedi urf muskan

*शादी शुदा जीवन और विश्वास*
शादी पवित्र बंधन है जन्म जन्म का साथ !!!
इस बंधन में बँधकर भी लोग करते हैं विश्वास घात !!!
आश्चर्य की बात है क्यों ऐसा लोग करते हैं !!
अपने ही साथी को छल से कितना छलते हैं !!
झूठे प्यार का दिखावा अपने साथी के आगे करते हैं ।
दिल ही दिल में मगर किसी और पर ही मरते हैं ।
क्या शारीरिक संबंध ही शादी का मतलब है ???
गर ऐसा है तो जीवन साथी तो बेमतलब है ।
छलिया और जीवन साथी में बड़ा फर्क होता है ।
छल किसी से भी करना अच्छा नहीं होता है ।
तन-मन जो न्यौछावर किसी एक पर ही करता है ।
सच्चा जीवन साथी तो वही हो सकता है ।
शादीशुदा जीवन एक तप के जैसे होता है ।
क्योंकि यहाँ स्वेच्छाओं का दमन करना होता है ।
जीवन साथी के साथ सदा न्याय करना होता है।
दिल से सच्चा प्रेम भी साथी को करना होता है ।

अगर कर सकते हैं समर्पण इतना तभी शादी कीजिए ।
वरना शादीशुदा जीवन से दूरी बना लीजिए ।
किसी पर हक मिला है सात फेरे लेकर ‌।
तो अपने इस हक को छल में ना बदल दीजिए ।

पति-पत्नी के बीच में "वो" बनना बनाना ठीक नहीं ।
ये चरित्र हीनता है चरित्र गिराकर जीना ठीक नहीं ।
दोस्ती और प्रेम में फर्क बहुत होता है ।
पति-पत्नी के अलावा "वो" से प्रेम करना ठीक नहीं ‌।
लेखिका/कवयित्री-प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान ©
सागर मध्यप्रदेश ( 26 मार्च  2022 )

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Pratibha Dwivedi urf muskan

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*संदेश जिसको नजर अंदाज कर रही दुनियाँ*
पहले प्रकृति ने कोरोना के माध्यम से सचेत किया कि मानव जीवन अनमोल है , जरा सी लापरवाही से कभी भी मृत्यु शैय्या पर पहुँच सकता है । लोगों ने देखा भी कैसे कोरोना से लोग जूझे हैं । अपनों से मिलने को तरस गए , बिना अपनों से मिले ही स्वर्ग सिधार गए । सबक भी मिला कि रोजगार और शिक्षा अपने स्थाई निवास के पास ही होना चाहिए फिर भी कुछ लोगों की बुद्धि बहुत मोटी है सो विदेश में जाकर बैठ गये । अब देखो  युद्ध का बिगुल बज गया,, फिर ना जाने कितने बेकसूर लोगों की बलि चढ़ेगी , हो सकता है जो यूरोपीय देशों में पढ़ने और नौकरी करने गए हैं बहुत सारे पैसे कमाने की लालच में, वे युद्ध की भेंट चढ़ जायें !! और जिंदगी से ही हाथ धो बैठें । कोरोना में तो मजबूरी थी कि लाश का अंतिम संस्कार भी नहीं कर सकते हैं बस दूर से देखते ही रह गए । लेकिन युद्ध में जो अभी फँसे हैं अगर कहीं वो मर गये तो अंतिम दर्शन भी दुर्लभ समझो । इतनी सी बात उन लोगों को समझ नहीं आती,, जो अपना वतन छोड़कर ,अपनों को छोड़कर , विदेश चले जाते हैं । ऐसा लोभ किस काम का?? क्या भारत इतना गया गुजरा है जो आपकी पूर्ति नहीं हो पायेगी !! अपनों से दूर रहकर तुम अरबपति बन भी गए तो उन पैसों का करोगे क्या????जब आपके बूढ़े माता-पिता आपको मिलने के लिए , तरसेंगे तो क्या उन पैसों से उनकी ये कमी पूरी कर पाओगे ? बुढ़ापे में उनकी लाठी बन पाओगे ?? उनको उनका बेटा या बेटी खरीदकर उस वक्त दे पाओगे जब उनको सख्त जरूरत होगी??
क्या केवल अपने एशो-आराम के लिए पैसे कमाये जाते हैं ?? क्या केवल अपनी तरक्की के लिए शिक्षा हासिल की जाती है???
नहीं ना ,, तो फिर क्यों विदेश में जाना ??? अरे तुममें काबिलियत है, कुछ करने का जज्बा है तो अपने देश को इतना काबिल बनाओ कि मालामाल हो जाये, समृद्ध हो जाये , विकसित हो जाये , अपने देश का रत्न बनकर मरो तो कोई बात है !! और जियो तो अपने देश के लिए जियो अपनों के पास रहकर जियो हर छोटी-बड़ी खुशी में शामिल हो । अपनों की दुःख तकलीफ़ में उनके पास रहो ।
आपके माता-पिता ने तो आपको इस काबिल बना दिया कि आप अपनी जिंदगी अपने तरीके से जी पाओ। 
क्या आप इस काबिल हैं कि  अपने बूढ़े माता-पिता की आँखों के तारे को उनके साथ उनके पास रख पाओ??
*जीते जी फोटो बनकर जीना कोई जीना है ??* जिंदगी वही जो अपनों के साथ हो और मौत भी वही जो अपनों के बीच हो ।

अभी भी वक्त है चेत जाओ अपने वतन लौट आओ ,अपनों के बीच रहो ,साथ जियो और सफलता अर्जित करो !
*बेशक डनलप का गद्दा नहीं पर सुख की नींद घर में ही है ।*

*लेख का सार यही है कि रोजगार और शिक्षा अपने स्थाई निवास के पास ही होना चाहिए अपनों के लिए, अपनों के बीच होना चाहिए ।*
लेखिका/कवयित्री-प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान© 
सागर मध्यप्रदेश (25 फरवरी 2022 )
मेरा यह लेख पूर्णतः स्वरचित मौलिक व प्रामाणिक है सर्वाधिकार सुरक्षित हैं इसके व्यवसायिक उपयोग करने के लिए लेखिका की लिखित अनुमति अनिवार्य है धन्यवाद 🙏

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#together  Anita Megha Megha safikhan Reena R s

Pratibha Dwivedi urf muskan

*कृष्ण दीवानी मीरा*
मीरा नाचत दै दै तारी , चढ़ी उनपे कृष्ण खुमारी!!
लोक लाज तज मीरा , कृष्ण पे मनवा हारी !!
लोक लाज तज मीरा , कृष्ण पे मनवा हारी !!

चिंतन मनन कृष्ण का प्रतिपल
दूसर नाहिं काम कछु ।
भई दीवानी कृष्ण मिलन को
सुध-बुध आपन नाहिं कछु ।
गली-गली फिरे बाबरी मिल 
जायें कहीं तो हमार प्रभु । 
दरसन पाके धन्य हो जाऊँ
हैं जीवन का आधार प्रभु ।
हैं जीवन का आधार प्रभु ।

गिरधर गिरधर टेर लगावत
जोगन बन मनाये प्रभु ।
भूल के आपन सुध-बुध
सारी नैनन में लिए अश्रु ।
आ जाओ प्रभु आ जाओ 
सुन लो करुण पुकार प्रभु 
मीरा दीवानी नाम की तुमरी
दरसन दो मेरे श्याम प्रभु ।
दरसन दो मेरे श्याम प्रभु ।

लै इकतारा नाचत गावत
भजै निरंतर श्याम प्रभु ।
वन-वन भटकत टेर लगावत
आन मिलो घनश्याम प्रभु ।
रानी महल की छोड़ अटारी 
गलियन ढूढ़त श्याम प्रभु ।
करो कृपा हे नंद के लाला
मीरा को अपना लो प्रभु ।
मीरा को अपना लो प्रभु ।
लेखिका/कवयित्री-प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान ©
सागर मध्यप्रदेश ( 30 नवंबर 2022 )

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